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भारत के ब्रिटिश गवर्नर जनरल (भाग -01)
दोस्तों उत्तराखंड की आगामी परीक्षाओं को हुुए देखते संक्षिप्त रूप में भारत के सभी ब्रिटिश गवर्नर के कार्यकाल में घटित सभी महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया जा रहा है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारत में लगभग साढ़े 350 वर्ष ब्रिटिश सरकार ने शासन किया है। जिसका वास्तविक प्रशासन 1773 के चार्टर एक्ट से शुरू होता है। उस दौरान भारत में सर्वप्रथम बंगाल में गवर्नर जनरल नियुक्त किए गए तत्पश्चात 1833 का चार्टर एक्ट में बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल घोषित कर दिया गया। और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के बाद भारत के गवर्नर जनरल के पद को वायसराय से विभूषित किया गया।इस प्रकार हम भारत के सभी गवर्नर जनरल का इतिहास तीन भागों में विभाजित करके अध्ययन करेंगे।
- बंगाल के गवर्नर जनरल (1773)
- भारत के गवर्नर जनरल (1833)
- भारत के वायसराय (1858)
नीचे दिए गए लेख में हम सर्वप्रथम बंगाल के गवर्नर जनरल के कार्यकाल में घटित महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में अध्ययन करेंगे। अतः लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
बंगाल के गवर्नर जनरल (1773-1833)
बंगाल के गवर्नर जनरल के रूप में 10 ब्रिटिश गवर्नर जनरल ने 1773 से 1829 तक कार्य किया। जिसमें सर्वाधिक प्रमुख थे - वारेन हेस्टिंग्स, लॉर्ड कार्नवालिस, लॉर्ड वेलेजली, लॉर्ड हेस्टिंग्स और लॉर्ड विलियम बेंटिक थे।
वारेन हेस्टिंग्स (1774-1785)
- बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स थे। साथ ही बंगाल के अंतिम गवर्नर भी थे इनके शासनकाल में रेग्यूलेटिंग एक्ट 1773 लागू किया गया। जिसके उपरांत इन्हें बंगाल का गवर्नर जनरल बनाया गया।
- वारेन हेस्टिंग्स को न्यायिक सेवा का जन्मदाता कहा जाता है। क्योंकि वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी जिसकी प्रथम मुख्य न्यायाधीश एलिजा इम्पे बनी।
- वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल के अंतिम समय में ब्रिटिश अधिकारी विलियम जोंस ने 1784 ईसवी में "एशियाटिक सोसायटी ऑफ़ बंगाल" की स्थापना की थी।
- इन्हीं के कार्यकाल में द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1780-1784) के दौरान हैदरअली की मृत्यु हो जाती है।
सर जॉन मैकफर्सन (1785-1786)
इसे अस्थाई गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया था।लॉर्ड कार्नवालिस (1786-1793)
- बंगाल का तीसरा गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस को बनाया जाता है।
- लॉर्ड कार्नवालिस को पुलिस सेवा का जन्मदाता कहा जाता है।
- सिविल सेवा (नागरिक सेवा) का जन्मदाता भी लार्ड कार्नवालिस को कहा जाता है।
- लॉर्ड कार्नवालिस ने अपने कार्यकाल में स्थाई बंदोबस्त (1793) अर्थात जमीदारी प्रथा की शुरुआत की थी। स्थाई बंदोबस्त योजना जॉन शोर द्वारा बनाई गई थी
- लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा कर तथा न्याय प्रशासन को अलग करने के लिए पृथक्करण का सिद्धांत लागू किया गया। जिसे एक कार्नवालिस संहिता - 1793 के नाम से जाना गया।
- इसके कार्यकाल में तृतीय मैसूर युद्ध (1792) टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के बीच हुआ। जिसका समापन श्रीरंगपट्टनम की संधि से हुआ था।
- इसके कार्यकाल में प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध 1775 -1782 ईसवी में हुआ जिसका समापन सालबाई की संधि (1782 ईस्वी) से हुआ।
- इसी के कार्यकाल में जोनाथन डंकन द्वारा बनारस में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना 1791 ई. में की गई थी।
सर जॉन शोर (1793-98)
- सर जॉन शोर के कार्यकाल में 1793 का चार्टर एक्ट पारित हुआ। जिसमें बहुत ज्यादा बदलाव तो नहीं किए गए लेकिन मैसूर के शासन व्यवस्था के प्रति अहस्तक्षेप की नीति को अपनाया गया। इसके कार्यकाल में जमीदारों को भूमि का वास्तविक स्वामी का माना गया।
लॉर्ड वेलेजली (1798 से 1805)
- अंग्रेजी शासन की श्रेष्ठता स्पष्ट करने के लिए लॉर्ड वेलेजली ने सहायक संधि की नीति को अपनाया।
- सहायक संधि स्वीकार करने वाला प्रथम राज्य हैदराबाद (1798), दूसरा मैसूर (1799), तंजौर (1799) और अवध (1801) था । लॉर्ड वेलेजली के शासनकाल में चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध 1799 में हुआ जिसमें टीपू सुल्तान मारा गया।
- इसके कार्यकाल में 'फोर्ट विलियम कॉलेज' की स्थापना कलकत्ता में 1801 ईसवी में की गई।
सर जॉन वार्लो (1805-1807)
- सर जॉन वार्लो का कार्यकाल सिर्फ 2 वर्षों का होता है जिसमें एक बड़ी घटना घटित होती है - वेल्लोर का सिपाही विद्रोह (1806)
लॉर्ड मिंटो (1807-1813)
- लॉर्ड मिंटो के कार्यकाल के अंतिम समय में 1813 का चार्टर एक्ट लागू किया जाता है। जिसके अंतर्गत चाय और चीनी के व्यापार को छोड़कर अन्य सभी व्यापार पर ईस्ट इंडिया कंपनी पर एकाधिकार समाप्त कर दिया जाता है ।
- लॉर्ड मिंटो के कार्यकाल में राजा रणजीत सिंह और अंग्रेजों के बीच अमृतसर की संधि 1809 ईस्वी में हुई । जिसमें चार्ल्स मैटकॉफ के द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813-1823)
- लॉर्ड हेस्टिंग्स के कार्यकाल में थॉमस मुनरो द्वारा रैयतवाड़ी भूमि बंदोबस्त व्यवस्था 1820 ईस्वी में लागू की जाती है। रैयतवाड़ी में रैयत का अर्थ किसान होता है अर्थात भूमि का मालिक किसानों को बनाया जाता है जो बंगाल, मद्रास और असम क्षेत्र में प्रचलित थी। रैय्यतवाड़ी भूमि बन्दोबस्त व्यवस्था क्या है? विस्तार से पढने के लिए क्लिक करें।
- लॉर्ड हेस्टिंग्स के कार्यकाल में 1814 ईस्वी आंग्ल नेपाल युद्ध प्रारम्भ हुआ था। और इस युद्ध का समापन संगोली की संधि (1816) से समाप्त होता है।
- लॉर्ड हेस्टिंग्स के कार्यकाल में चतुर्थ आंग्ल मराठा युद्ध (1817-1818) हुआ। जिसमें मराठा संघ का अंत हो जाता है।
- लॉर्ड हेस्टिंग्स को लार्ड मेयो के नाम से भी जाना जाता है। इस के शासनकाल में राजा राममोहन राय द्वारा 1815 ईस्वी में आत्मीय सभा का गठन भी किया जाता है।
- लॉर्ड हेस्टिंग्स के कार्यकाल में पिंडारियो के विरुद्ध दमनात्मक कार्यवाही आरंभ की गई । क्योंकि पिंडारियों ने 1815 ईस्वी में निजाम के प्रदेश और 1816 ईस्वी में उत्तरी सरकार को लूटने का कार्य किया था।
लॉर्ड एडम्स (1823)
- एक वर्ष से भी कम कार्यकाल।
- लॉर्ड एडम्स कुछ समय के लिए लॉर्ड हेस्टिंग्स की स्थान पर कार्य करता है जिसके दौरान वह प्रेस पर प्रतिबंध लगा देता है।
लॉर्ड एम्हर्स्ट (1823-1828)
- लॉर्ड एम्हर्स्ट के कार्यकाल में अंग्रेजों द्वारा 1824 में पिंडारियों का पूर्ण तरह सफाया कर दिया जाता है।
- लॉर्ड एम्हर्स्ट के कार्यकाल में ही प्रथम आंग्ल बर्मा युद्ध की शुरुआत 1824 ईस्वी में हुई और यांण्डबू की संधि 1826 में समाप्त हुआ । इसी युद्ध के दौरान बैरकपुर छावनी द्वारा सैनिक विद्रोह किया गया । इस विद्रोह का मूल कारण भारतीय संस्कृति की भावनाओं के प्रति असंवेदनशीलता थी। इसमें हिंदू भाइयों को धार्मिक वस्त्र और तिलक पर रोक लगा दी गई थी और मुस्लिम सिपाहियों को दाढ़ी रखने पर रोक लगा दी गई थी।
- एम्हर्स्ट के कार्यकाल में राजा राममोहन राय ने 1825 ईस्वी में वेदांत कॉलेज की स्थापना की थी।
लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828-1835)
- लॉर्ड विलियम बैंटिक को बंगाल का अंतिम गवर्नर जनरल कहा जाता है। बैंटिक के कार्यकाल में 1833 का चार्टर एक्ट लागू किया गया था। जिसके तहत बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल घोषित कर दिया जाता है।
- राजा राममोहन राय के नेतृत्व में लॉर्ड विलियम बैंटिक द्वारा सती प्रथा का समापन समाप्त कर दिया गया । मैकाले की अनुशंसा पर 7 मार्च 1835 में भारत में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत की गई।
- लॉर्ड विलियम बैंटिक के कार्यकाल में राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना 1828 ईस्वी में की थी।
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