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Uksssc Mock Test - 132

Uksssc Mock Test -132 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षाओं हेतु फ्री टेस्ट सीरीज उपलब्ध हैं। पीडीएफ फाइल में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। और टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। Join telegram channel - click here उत्तराखंड समूह ग मॉडल पेपर  (1) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।              सूची-I.                  सूची-II  A. पूर्वी कुमाऊनी वर्ग          1. फल्दाकोटी B. पश्चिमी कुमाऊनी वर्ग       2. असकोटी  C. दक्षिणी कुमाऊनी वर्ग       3. जोहार D. उत्तरी कुमाऊनी वर्ग.        4.  रचभैसी कूट :        A.   B.  C.   D  (a)  1.    2.  3.   4 (b)  2.    1.  4.   3 (c)  3.    1.   2.  4 (d) 4.    2.   3.   1 (2) बांग्ला भाषा उत्तराखंड के किस भाग में बोली जाती है (a) दक्षिणी गढ़वाल (b) कुमाऊं (c) दक्षिणी कुमाऊं (d) इनमें से कोई नहीं (3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 1. हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण है 2. हिंदी में लेखन के आधार पर 46 वर्ण है उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/ कौन से सही है? (a) केवल 1 (b) केवल 2  (c) 1 और 2 द

भारत के वायसराय (भाग -03)

भारत के वायसराय (भाग -03)

(1858 से 1847)

भारत के ब्रिटिश गवर्नर जनरल के बाद भारत के वायसराय के रूप में 18 वायसराय ने 1858 से 1847 तक शासन किया। जिसमें सर्वाधिक प्रमुख थे - लार्ड रिपन, लॉर्ड लैंसडाउन , लार्ड कर्जन, लॉर्ड इरविन और लॉर्ड माउंटबेटन थे।

लार्ड कैनिंग (1856-1862)

  • भारत का अन्तिम गर्वनर और भारत का प्रथम वायसराय।
  • लार्ड कैनिंग को प्रथम वायसराय बनने के बाद भारतीय दण्ड संहिता -1861 एक्ट लाया गया था।
  • आर्थिक सुधार के लिए अर्थशास्त्री विल्सन को बुलाया गया । इसके अलावा नोट (₹) का प्रचलन शुरू किया गया। 

लार्ड एल्गिन (1862-1863)

  • इसके कार्यकाल में बहावी आन्दोलन का दमन -1862

सर जॉन लारेंस (1863 -1869)

  • लॉर्ड लॉरेंस के शासनकाल में भूटान की सेना ने ब्रिटिश साम्राज्य पर सन् 1865 में आक्रमण किया। इस युद्ध में अंग्रेजी सेना ने भूटान को पराजित किया और संधि करने पर विवश किया।
  • लॉरेंस द्वारा अफगानिस्तान के प्रति अहस्तक्षेप की नीति अपनाई गई । जिसे 'शानदार निष्क्रियता' के नाम से जाना गया।
  • भारत तथा यूरोप के बीच प्रथम समुंद्री टेलीग्राफ सेवा -1865
  • इसके शासनकाल में उड़ीसा (1866) और बुंदेलखंड (1868) में भीषण अकाल पड़ा । जिसके उपरांत हेनरी कैंपबेल के नेतृत्व में एक अकाल आयोग का गठन किया गया

लार्ड मेयो (1869 - 1872)

  • मेयो कॉलेज की स्थापना (1872) - अजमेर 
  • कृषि विभाग की स्थापना (1872)
  • सन् 1871 ईस्वी में भारत में जनगणना का प्रारंभ लॉर्ड मेयो के कार्यकाल में हो चुका था लेकिन वास्तविक जनगणना 1881 में रिपन के कार्यकाल में हुई।
  • लॉर्ड मेयो के शासनकाल में स्वेज नहर खुल जाने से ब्रिटेन का भारत के मध्य व्यापार में वृद्धि हुई। स्वेज नहर का निर्माण 1869 को पूरा हुआ और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए खोल दिया गया। इसके निर्माण होने से पहले 36 घंटे समय अधिक लगता था जो कि बाद में 18 से कम रह गया। इसकी कुल लंबाई 168 किलोमीटर है व चौड़ाई 60 मीटर है। स्वेज नहर भूमध्य सागर और लाल सागर को जोड़ती है।

लार्ड नार्थ कुक (1872-1876)

  • कूका आंदोलन - 1872
  • बंगाल - बिहार में अकाल -1874

लार्ड लिटन (1876 -1880)

  • 1 जनवरी 1877 ईस्वी को ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को "केसर-ए-हिंद" की उपाधि से सम्मानित करने के लिए दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया।
  • लार्ड लिटन ने वर्नाकुलर प्रेस एक्ट -1878 पारित कर भारतीय समाचार पत्रों पर कठोर प्रतिबंध लगा दिए। वर्नाकुलर प्रेस एक्ट के तहत अगर किसी अखबार में कोई आपत्तिजनक चीज छपती है तो सरकार उसकी प्रिंटिंग प्रेस सहित सारी संपत्ति जप्त कर लेगा।
  • लॉर्ड लिटन ने भारतीय शस्त्र अधिनियम-1878 पारित किया जिसके तहत शस्त्र रखने एवं व्यापार करने के लिए लाइसेंस को अनिवार्य बना दिया गया।
  • इसके कार्यकाल में सिविल सेवा परीक्षाओं में प्रवेश की अधिकतम आयु सीमा 21 से घटाकर 19 वर्ष कर दी गई।

लार्ड रिपन (1880 -1885)

  • भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का सर्वाधिक लोकप्रिय गवर्नर जनरल लॉर्ड रिपन था। इसके कार्यकाल को "भारत का स्वर्ण युग" कहा जाता है एवं एक महान लेखिका फ्लोरेंस नाइटेंगल ने इन्हें "भारत का उद्धारक" कहा है।
  • लॉर्ड रिपन को "स्थानीय स्वशासन का जनक" कहा जाता है।
  • लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में विलियम हंटर के नेतृत्व में "हंटर आयोग -1882" की स्थापना की गई। जिसका संबंध प्राथमिक शिक्षा के सुधार से था।
  • रिपन ने सर्वप्रथम समाचार पत्रों की स्वतंत्रता का जिक्र करते हुए। सन 1882 ईसवी में वर्नाकुलर प्रेस एक्ट को समाप्त कर दिया। 
  • इस के कार्यकाल में सिविल सेवा में प्रवेश की आयु को 19 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दिया जाता है।
  • लार्ड रिपन ने फौजदारी दंड व्यवस्था के भेदभाव को समाप्त करने के लिए "इल्बर्ट बिल 1883" में लागू किया जिसके अंतर्गत भारतीय न्यायाधीशों को यूरोपियों के मुकदमे को सुनने का अधिकार दिया गया बदले में अंग्रेजों ने इसकी आलोचना की और रिपन को वापस बुला लिया।
  • हालांकि भारत में जनगणना का प्रारंभ 1871 में लॉर्ड मेयो के शासनकाल में हो चुका था लेकिन वास्तविक जनगणना अर्थात नियमित जनगणना की शुरुआत 1881 में लॉर्ड रिपन के शासनकाल से हुई और तब से लेकर अब तक प्रत्येक 10 वर्ष के अंतराल पर जनगणना की जाती है।

लार्ड डफरिन (1884-1888)

  • लॉर्ड डफरिन के कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ए. ओ. ह्यूम के नेतृत्व में 28 दिसंबर 1885 ईसवी में मुंबई में की गई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी थे।
  • इसके कार्यकाल में तृतीय आंग्ल वर्मा युद्ध हुआ। अन्ततः बर्मा को अंतिम रूप में अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया।
  • इसके कार्यकाल में किसानों के हितों की रक्षा के लिए बंगाल में 'टेनेंसी एक्ट 1885' पारित हुआ जिसमें जमीदार किसानों से भूमि छीन नहीं सकते थे।
  • इसके कार्यकाल में सन् 1887 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
  • वही बात करें उत्तराखंड की तो सन् 1879 के अफगान युद्ध के दौरान मार्शल एसएफ राबटर्स सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी की वीरता की अत्यधिक प्रशंसा की जिसके उपरांत सूबेदार बलभद्र सिंह ने मार्शल एफएस राबर्ट्स से गढ़वाल रेजीमेंट बनाने का प्रस्ताव रखा जिसे  तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डफरिन के पास भेजा और उसके बाद 5 मई 1887 अल्मोड़ा में गढ़वालियों की बटालियन स्थापित हुई । 4 नवंबर 1887 को बटालियन अल्मोड़ा से कालोडांडा (लैंसडाउन) पहुंची।

लार्ड लैंसडाउन (1888-94)

  • लॉर्ड लैंसडाउन के कार्यकाल में सन् 1888 में कांग्रेस का प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष जॉर्ज यूले को नियुक्त किया जाता है। 
  • भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हेनरी लैंसडाउन के नाम पर उत्तराखंड के क्षेत्र कालोडांडा को लैंसडाउन नाम दिया गया। वर्तमान में यह स्थान उत्तराखंड राज्य की पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है।
  • लॉर्ड लैंसडाउन के कार्यकाल में भारत और अफगानिस्तान के बीच डूरेंड रेखा का निर्धारण हुआ।
  • सन 1891 में फैक्ट्री एक्ट – II लागू किया गया जिसके तहत एक सप्ताह में एक छुट्टी व स्त्रियों के 11 घंटे प्रतिदिन से अधिक काम करने पर प्रतिबंध लगाया।
  • लोकमान्य तिलक द्वारा महाराष्ट्र में सन् 1893 में 'गणपति उत्सव' मनाने की शुरुआत की गई।

लार्ड एल्गिन - ll (1894-1899)

  • इसके कार्यकाल में स्वामी विवेकानंद द्वारा बेलूर मठ (रामकृष्ण मिशन) की स्थापना की गई थी।
  • इसके काल में प्रसिद्ध मुंडा विद्रोह (1899) ईसवी में हुआ था।
  • चाफेकर बंधुओं द्वारा दो अंग्रेज अधिकारियों की हत्या (1897)
  • तिलक द्वारा 'शिवाजी उत्सव' की शुरुआत सन 1895 में इन्हीं के कार्यकाल में की गई थी।

लार्ड कर्जन (1899-1905)

जहां एक तरफ सर्वाधिक लोकप्रिय गवर्नर जनरल (वायसराय) लॉर्ड रिपन को कहा गया वहीं दूसरी तरफ सर्वाधिक अलोकप्रिय वायसराय लॉर्ड कर्जन को कहा गया।  

पी. राबर्ट्स ने अपने शब्दों में लॉर्ड कर्जन के लिए कहा कि "भारत के किसी अन्य वायसराय को अपना पद संभालने से पूर्व समस्याओं का इतना ज्ञान नहीं था जितना कि कर्जन को, कर्जन ने जनमानस की अवहेलना करते हुए भारत में ब्रिटिश हुकूमत को पत्थर की चट्टान पर खड़ा करने का प्रयास किया"

लार्ड कर्जन के कार्यकाल में बंगाल विभाजन जुलाई 1905 में हुआ। बंगाल को पूर्वी हिस्सों को अलग करके असम के साथ मिला दिया गया। बंगाल विभाजन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय आंदोलन को दबाना का कमजोर करना था। लॉर्ड कर्जन ने फूट डालो राज्य करो की नीति को अपनाया। जिस कारण इसके कार्यकाल की सर्वाधिक आलोचना हुई।

बंगाल विभाजन के समय कांग्रेस का 21 वां अधिवेशन वाराणसी में होता है जिसकी अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले करते हैं और इस अधिवेशन में गोखले द्वारा बंगाल विभाजन अर्थात कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीति की आलोचना की जाती है।

लॉर्ड कर्जन ने अपने कार्यकाल में कुछ महत्वपूर्ण आयोग की स्थापना की और आर्थिक प्रशासन एवं शिक्षा में सुधार करने की कोशिश की। जैसे -

  • अकाल आयोग का गठन - 1890 (सर एण्टनी मैकडोनाल्ड की अध्यक्षता में)
  • सिंचाई आयोग का गठन - 1901 (सर कॉलिन स्काट मानक्रीक की अध्यक्षता में )
  • पुलिस आयोग का गठन -1902 (सर एंड्रयू फ्रेजर की अध्यक्षता में – CID)
  • विश्वविद्यालय आयोग - 1902 (सर टॉमस रैले की अध्यक्षता में)
  • सन् 1902 में भूमि प्रस्ताव लेकर आया और जिसके तहत कम ब्याज पर किसानों को उधार दिया व उसके बाद 1904 में सहकारी उधार समिति अधिनियम लागू किया। इसके अलावा कर्जन ने भारत में पहली बार ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा एवं मरम्मत पर ध्यान केंद्रित किया जिसके लिए कर्जन ने भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की। और प्राचीन स्मारक परीक्षण अधिनियम 1950 लागू किया ।

लार्ड मिण्टो - II (1905 - 1910)

लॉर्ड मिंटो के कार्यकाल में कांग्रेस का 22वां अधिवेशन सन् 1906 में किया जाता है। जहां दादा भाई नौरोजी इसकी अध्यक्षता करते हैंइस अधिवेशन में दादाभाई नौरोजी द्वारा प्रथम बार 'स्वराज्य' की मांग की जाती है। किंतु इसी अधिवेशन के बाद कांग्रेस का विभाजन हो जाता है।

  • मुस्लिम लीग की स्थापना (1906 ईस्वी) - लॉर्ड मिंटो द्वितीय के कार्यकाल में कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन के दौरान ढाका में आगा खां एवं सलीमुल्ला खां द्वारा 1986 में मुस्लिम लीग की स्थापना की गई।
  • कांग्रेस विभाजन (1907 ईस्वी) - कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन हो गया। और इसी समय श्रीमती एनी बेसेंट थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष बनी। थियोसोफिकल सोसायटी एक अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्था थी जिसकी स्थापना हैलीना और कर्नल 1875 को न्यूयॉर्क में की थी। सन् 1879 में थियोसफिकल सोसाइटी का मुख्य कार्यालय न्यूयॉर्क से मुंबई लाया गया।
  • पृथक निर्वाचन मंडल (1909) - मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम - 1909 ईसवी के तहत् मतदाता प्रतिनिधित्व के उद्देश्य से संप्रदाय या धर्म के आधार पर विभाजित किए गए। अर्थात् मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन व्यवस्था स्थापित की गई।

लार्ड हार्डिंग द्वितीय (1910-1916)

  • लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय के कार्यकाल में ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम 12 दिसंबर 1911 ईस्वी में भारत आए थे जहां दिल्ली के एक भव्य दरबार में इनका स्वागत किया गया। साथ ही बंगाल विभाजन को रद्द करने की घोषणा की गई साथ ही भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गई। 
  • सन 1912 ईस्वी में दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया गया। 
  • 23 दिसंबर 1912 को लॉर्ड हार्डिंग पर दिल्ली में बम फेंका गया।
  • लॉर्ड हार्डिंग के कार्यकाल के दौरान सन् 1913 ईस्वी में रवींद्र नाथ टैगोर को साहित्य के क्षेत्र में 'गीतांजलि' पुस्तक पर 'नोबेल पुरस्कार' मिला।
  • सन् 1916 में लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त किया गया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय थे।
  • होमरूल लीग - सन् 1916 ईस्वी में बाल गंगाधर तिलक और श्रीमती एनी बेसेंट द्वारा होमरूल लीग की स्थापना की गई। 1916 के लखनऊ अधिवेशन में बाल गंगाधर तिलक "स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा"। का नारा देते हैं
  • इसके अतिरिक्त गांधी जी का भारत वापस आगमन हुआ तिलक को कारावास से 6 माह पूर्व रिहाई। इसके कार्यकाल में गोपाल कृष्ण गोखले एवं फिरोजशाह मेहता की मृत्यु हो चुकी थी।

लार्ड चेम्सफोर्ड (1916-1921)

  • कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन 1916 ईस्वी में कांग्रेस का एकीकरण हुआ । साथ ही मुस्लिम लीग के साथ समझौता हुआ। 
  • प्रथम महिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती एनी बेसेंट - सन् 1917 में श्रीमती एनी बेसेंट को कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। श्रीमती एनी बेसेंट कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनी थी। लेकिन यह विदेशी थी। प्रथम भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरोजिनी नायडू थी।
  • शिक्षा में सुधार के उद्देश्य से सन् 1917 में 'सैडलर आयोग' का गठन किया गया।
  • लॉर्ड चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में रॉलेक्ट एक्ट 1919 पारित हुआ। जिसे काला कानून के नाम से जाना गया।
  • 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ।
  • खिलाफत आंदोलन एवं गांधी जी का असहयोग आंदोलन इसी के समय प्रारंभ हुआ।

लार्ड रीडिंग (1921-1926 ईस्वी)

  • चौरा चोरी कांड ( 5 फरवरी 1922 ईस्वी ) - उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में चौरा चोरा कांड असहयोग आन्दोलन के दौरान 5 फरवरी 1922 ईस्वी घटित हुआ जिसके बाद महात्मा गांधी ने अपना असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
  • स्वराज पार्टी - 1923  चितरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद में कांग्रेस के अंतर्गत स्वराज पार्टी की स्थापना 1923 ईस्वी में की।
  • लॉर्ड रीडिंग के कार्यकाल में 'प्रिंस ऑफ वेल्स' ने नवंबर 1921 ईस्वी में भारत की यात्रा की। इस दिन पूरे भारत में हड़ताल का आयोजन किया गया था।
  • मोपला विद्रोह -1921 (दक्षिण भारत में मालाबार तट पर मुस्लिम कृषकों शोषण के खिलाफ विद्रोह)
  • एमएन रॉय द्वारा सन 1921 ईस्वी में 'भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी' का गठन किया गया।
  • भारत में सन् 1922 में इलाहाबाद में सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत की गई।
  • लॉर्ड रीडिंग के कार्यकाल में सन् 1925 में सरोजिनी नायडू को प्रथम भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाता है।

लार्ड इरविन (1926-1931 ईस्वी)

  • साइमन कमीशन 1928 - लॉर्ड इरविन के कार्यकाल में 3 फरवरी 1928 ईस्वी को साइमन कमीशन मुंबई पहुंचा।
  • साइमन कमीशन के विरोध प्रदर्शन के दौरान लाला लाजपत राय के सर में लाठी लगने से मृत्यु हो जाती है और बदले में भारतीय चरमपंथियों द्वारा दिल्ली के असेंबली हॉल में सन 1929 ईस्वी में बम फेंका जाता है।
  • लाहौर अधिवेशन 1929 ईस्वी - लार्ड इरविन के समय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का लक्ष्य निर्धारित किया गया और 26 जनवरी 1930 ईस्वी को स्वतंत्रा दिवस मनाने की घोषणा की गई।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) - 12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार को समाप्त करने के उद्देश्य से बिना हिंसा के प्रत्यक्ष कार्यवाही के रूप में आंदोलन चलाया गया। जिसे दांडी मार्च या दांडी सत्याग्रह के नाम से जाना गया। दांडी मार्च से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई। इस आन्दोलन दौरान महात्मा गांधी को 5 मई 1930 ईस्वी को गिरफ्तार कर लिया जाता है। 25 जनवरी 1931 को वायसराय लॉर्ड इरविन बिना कोई शर्त के उन्हें रिहा कर देता है।
  • प्रथम गोलमेज सम्मेलन 1930 - लार्ड इरविन के कार्यकाल के दौरान 12 नवंबर 1930 ईस्वी में लंदन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन हुआ इस सम्मेलन में कांग्रेस पार्टी ने भाग नहीं लिया।
  • गांधी इरविन समझौता 1931 - गांधी जी और लार्ड इरविन के बीच 4 मार्च 1931 में एक समझौता हुआ। जिसे गांधी इरविन समझौता कहा जाता है। इस समझौते के बाद गांधी जी सविनय अवज्ञा आंदोलन को रोक देते हैं। किंतु महात्मा गांधी ने 3 जनवरी 1932 को दोबारा सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया।

लॉर्ड वेलिंगटन (1931-1936 ईस्वी)

  • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन 1931 - लार्ड वेलिंगटन के कार्यकाल में लंदन में 7 सितंबर से 1 दिसंबर 1931 ईस्वी तक द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में कांग्रेस ने भी भाग लिया। कांग्रेस का प्रतिनिधित्व महात्मा गांधी ने किया। दूसरे गोलमेज सम्मेलन की सफलता के बाद महात्मा गांधी ने 3 जनवरी 1932 को दोबारा सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया।
  • 16 अगस्त 1932 ईस्वी में रैम्जे मैकडोनाल्ड ने विवादास्पद सांप्रदायिक पंचाट की घोषणा की। इसके अनुसार दलितों को हिंदुओं से अलग मानकर उन्हें अलग प्रतिनिधि देने को कहा गया और दलित वर्गों के लिए अलग निर्वाचन मंडल का प्रावधान किया गया।
  • पूना पैक्ट 1932 - सांप्रदायिक पंचाट की घोषणा से गांधीजी बहुत दुखी हुए और उन्होंने इसे हटाने के लिए आमरण उपवास आरंभ कर दिया अंत में एक समझौता जिसे प्रायः पूना समझौता कहते हैं किया गया इसमें दलित वर्गों के लिए साधारण वर्गों में से ही सीटों का आरक्षण किया गया पूना समझौता 24 सितंबर 1932 ईस्वी को हुआ।
  • 17 नवंबर से 24 दिसंबर 1932 ईस्वी तक लंदन में तृतीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हुआ कांग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया।
  • भारत सरकार अधिनियम 1935 - लार्ड वेलिंगटन ने अपने कार्यकाल में भारत सरकार अधिनियम 1935 पास किया गया।

लार्ड लिनलिथगो (1936-1943)

  • लार्ड लिनलिथगो के कार्यकाल के दौरान भारत में प्रथम बार 11 प्रांतों में चुनाव कराए गए थे जिनमें 8 प्रांतों में कांग्रेस ने अपनी सरकार बनाई । 
  • प्रथम विश्व युद्ध (1939-1945) - लार्ड लिनलिथगो के कार्यकाल के समय 1 सितंबर 1939 ईस्वी को द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ ब्रिटिश सरकार ने बिना भारतीयों से पहुंचे भारत को भी युद्ध में झोंक दिया कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए नारा दिया - "ना कोई भाई ना कोई पाई" और उसने अपने द्वारा शासित प्रांतों के सभी मंत्री मंडलों से त्यागपत्र दे दिया।
  • फारवर्ड ब्लाक 1939 - सुभाष चंद्र बोस ने 1 मई 1939 ईस्वी को फॉरवर्ड ब्लॉक नाम से एक नई पार्टी बनाई।
  • 1940 ईस्वी में मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पाकिस्तान की मांग की गई। हालांकि पाकिस्तान नाम सर्वप्रथम कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने 1933 में गढ़ा था ।
  • 8 अगस्त 1940 को अगस्त प्रस्ताव अंग्रेजों द्वारा लाया गया।
  • 1942 ईसवी में क्रिप्स मिशन भारत आया।
  • भारत छोड़ो आन्दोलन 1942 - महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन का प्रारंभ 9 अगस्त 1942 को किया।

लार्ड वेवेल (1944-1947)

  • लार्ड वेवेल के कार्यकाल में शिमला समझौता 1945 में हुआ।
  • कैबिनेट मिशन 1946 ईस्वी में भारत आया इस मिशन के सदस्य थे स्टेनफोर्ड, पैथिक लॉरेंस, ए.बी. अलेक्जेंडर।
  • 20 फरवरी 1947 ईस्वी में प्रधानमंत्री लार्ड क्लीमेंट एटली ने हाउस ऑफ कॉमस में यह घोषणा की कि जून 1948 ईस्वी तक प्रभुत्ता भारतीयों के हाथ में दे देंगे।

लार्ड माउंटबेटन (मार्च 1947 से 1948 ईस्वी)

  • सत्ता हस्तांतरण के लिए 24 मार्च 1947 ईस्वी को भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन को बनाया गया।
  • 3 जून 1947 ईस्वी को "माउंटबेटन योजना" घोषित की गई जिसमें भारत का विभाजन शामिल था।
  • 4 जुलाई 1947 ईस्वी को ब्रिटिश संसद में एटली द्वारा भारतीय स्वतंत्र विधेयक प्रस्तुत किया गया। इसे 18 जुलाई को स्वीकृति मिली । विधेयक के अनुसार भारत और पाकिस्तान के 2 स्वतंत्र राष्ट्र की घोषणा की गई।
  • 15 अगस्त 1947 ईस्वी को भारत स्वतंत्र हुआ।
  • स्वतंत्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन हुआ। जबकि स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय एवं अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी बने।

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उत्तराखंड के प्रमुख व्यक्तित्व उत्तराखंड की सभी परीक्षाओं हेतु उत्तराखंड के प्रमुख व्यक्तित्व एवं स्वतंत्रता सेनानियों का वर्णन 2 भागों में विभाजित करके किया गया है । क्योंकि उत्तराखंड की सभी परीक्षाओं में 3 से 5 मार्क्स का उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान अवश्य ही पूछा जाता है। अतः लेख को पूरा अवश्य पढ़ें। दोनों भागों का अध्ययन करने के पश्चात् शार्ट नोट्स पीडीएफ एवं प्रश्नोत्तरी पीडीएफ भी जरूर करें। भाग -01 उत्तराखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी [1] कालू महरा (1831-1906 ई.) कुमाऊं का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) "उत्तराखंड का प्रथम स्वतंत्रा सेनानी" कालू महरा को कहा जाता है। इनका जन्म सन् 1831 में चंपावत के बिसुंग गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम रतिभान सिंह था। कालू महरा ने अवध के नबाब वाजिद अली शाह के कहने पर 1857 की क्रांति के समय "क्रांतिवीर नामक गुप्त संगठन" बनाया था। इस संगठन ने लोहाघाट में अंग्रेजी सैनिक बैरकों पर आग लगा दी. जिससे कुमाऊं में अव्यवस्था व अशांति का माहौल बन गया।  प्रथम स्वतंत्रता संग्राम -1857 के समय कुमाऊं का कमिश्नर हेनरी रैम्

चंद राजवंश : उत्तराखंड का इतिहास

चंद राजवंश का इतिहास पृष्ठभूमि उत्तराखंड में कुणिंद और परमार वंश के बाद सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला राजवंश है।  चंद वंश की स्थापना सोमचंद ने 1025 ईसवी के आसपास की थी। वैसे तो तिथियां अभी तक विवादित हैं। लेकिन कत्यूरी वंश के समय आदि गुरु शंकराचार्य  का उत्तराखंड में आगमन हुआ और उसके बाद कन्नौज में महमूद गजनवी के आक्रमण से ज्ञात होता है कि तो लगभग 1025 ईसवी में सोमचंद ने चंपावत में चंद वंश की स्थापना की है। विभिन्न इतिहासकारों ने विभिन्न मत दिए हैं। सवाल यह है कि किसे सच माना जाए ? उत्तराखंड के इतिहास में अजय रावत जी के द्वारा उत्तराखंड की सभी पुस्तकों का विश्लेषण किया गया है। उनके द्वारा दिए गए निष्कर्ष के आधार पर यह कहा जा सकता है । उपयुक्त दिए गए सभी नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से सर्वोत्तम उचित है। चंद राजवंश का इतिहास चंद्रवंशी सोमचंद ने उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में लगभग 900 वर्षों तक शासन किया है । जिसमें 60 से अधिक राजाओं का वर्णन है । अब यदि आप सभी राजाओं का अध्ययन करते हैं तो मुमकिन नहीं है कि सभी को याद कर सकें । और अधिकांश राजा ऐसे हैं । जिनका केवल नाम पता है । उनक

परमार वंश - उत्तराखंड का इतिहास (भाग -1)

उत्तराखंड का इतिहास History of Uttarakhand भाग -1 परमार वंश का इतिहास उत्तराखंड में सर्वाधिक विवादित और मतभेद पूर्ण रहा है। जो परमार वंश के इतिहास को कठिन बनाता है परंतु विभिन्न इतिहासकारों की पुस्तकों का गहन विश्लेषण करके तथा पुस्तक उत्तराखंड का राजनैतिक इतिहास (अजय रावत) को मुख्य आधार मानकर परमार वंश के संपूर्ण नोट्स प्रस्तुत लेख में तैयार किए गए हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में 688 ईसवी से 1947 ईसवी तक शासकों ने शासन किया है (बैकेट के अनुसार)।  गढ़वाल में परमार वंश का शासन सबसे अधिक रहा।   जिसमें लगभग 12 शासकों का अध्ययन विस्तारपूर्वक दो भागों में विभाजित करके करेंगे और अंत में लेख से संबंधित प्रश्नों का भी अध्ययन करेंगे। परमार वंश (गढ़वाल मंडल) (भाग -1) छठी सदी में हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात संपूर्ण उत्तर भारत में भारी उथल-पुथल हुई । देश में कहीं भी कोई बड़ी महाशक्ति नहीं बची थी । जो सभी प्रांतों पर नियंत्रण स्थापित कर सके। बड़े-बड़े जनपदों के साथ छोटे-छोटे प्रांत भी स्वतंत्रता की घोषणा करने लगे। कन्नौज से सुदूर उत्तर में स्थित उत्तराखंड की पहाड़ियों में भी कुछ ऐसा ही हुआ। उत्

उत्तराखंड में भूमि बंदोबस्त का इतिहास

  भूमि बंदोबस्त व्यवस्था         उत्तराखंड का इतिहास भूमि बंदोबस्त आवश्यकता क्यों ? जब देश में उद्योगों का विकास नहीं हुआ था तो समस्त अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर थी। उस समय राजा को सर्वाधिक कर की प्राप्ति कृषि से होती थी। अतः भू राजस्व आय प्राप्त करने के लिए भूमि बंदोबस्त व्यवस्था लागू की जाती थी । दरअसल जब भी कोई राजवंश का अंत होता है तब एक नया राजवंश नयी बंदोबस्ती लाता है।  हालांकि ब्रिटिश शासन से पहले सभी शासकों ने मनुस्मृति में उल्लेखित भूमि बंदोबस्त व्यवस्था का प्रयोग किया था । ब्रिटिश काल के प्रारंभिक समय में पहला भूमि बंदोबस्त 1815 में लाया गया। तब से लेकर अब तक कुल 12 भूमि बंदोबस्त उत्तराखंड में हो चुके हैं। हालांकि गोरखाओ द्वारा सन 1812 में भी भूमि बंदोबस्त का कार्य किया गया था। लेकिन गोरखाओं द्वारा लागू बन्दोबस्त को अंग्रेजों ने स्वीकार नहीं किया। ब्रिटिश काल में भूमि को कुमाऊं में थात कहा जाता था। और कृषक को थातवान कहा जाता था। जहां पूरे भारत में स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी बंदोबस्त और महालवाड़ी बंदोबस्त व्यवस्था लागू थी। वही ब्रिटिश अधिकारियों ने कुमाऊं के भू-राजनैतिक महत्

उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न (उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14)

उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14 उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां वर्ष 1965 में केंद्र सरकार ने जनजातियों की पहचान के लिए लोकर समिति का गठन किया। लोकर समिति की सिफारिश पर 1967 में उत्तराखंड की 5 जनजातियों थारू, जौनसारी, भोटिया, बोक्सा, और राजी को एसटी (ST) का दर्जा मिला । राज्य की मात्र 2 जनजातियों को आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त है । सर्वप्रथम राज्य की राजी जनजाति को आदिम जनजाति का दर्जा मिला। बोक्सा जनजाति को 1981 में आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ था । राज्य में सर्वाधिक आबादी थारू जनजाति तथा सबसे कम आबादी राज्यों की रहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल एसटी आबादी 2,91,903 है। जुलाई 2001 से राज्य सेवाओं में अनुसूचित जन जातियों को 4% आरक्षण प्राप्त है। उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न विशेष सूचना :- लेख में दिए गए अधिकांश प्रश्न समूह-ग की पुरानी परीक्षाओं में पूछे गए हैं। और कुछ प्रश्न वर्तमान परीक्षाओं को देखते हुए उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित 25+ प्रश्न तैयार किए गए हैं। जो आगामी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। बता दें की उत्तराखंड के 40 प्रश्नों में से 2

Uttrakhand current affairs in Hindi (May 2023)

Uttrakhand current affairs (MAY 2023) देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आपको प्रतिमाह के महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स उपलब्ध कराए जाते हैं। जो आगामी परीक्षाओं में शत् प्रतिशत आने की संभावना रखते हैं। विशेषतौर पर किसी भी प्रकार की जॉब करने वाले परीक्षार्थियों के लिए सभी करेंट अफेयर्स महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2023 की पीडीएफ फाइल प्राप्त करने के लिए संपर्क करें।  उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2023 ( मई ) (1) हाल ही में तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है। तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के किस जनपद में स्थित है। (a) चमोली  (b) उत्तरकाशी  (c) रुद्रप्रयाग  (d) पिथौरागढ़  व्याख्या :- तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से 3640 मीटर (12800 फीट) की ऊंचाई पर स्थित एशिया का सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित शिवालय हैं। उत्तराखंड के पंच केदारों में से तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर का निर्माण कत्यूरी शासकों ने लगभग 8वीं सदी में करवाया था। हाल ही में इस मंदिर को राष्ट्रीय महत्त्व स्मारक घोषित करने के लिए केंद्र सरकार ने 27 मार्च 2023

ब्रिटिश कुमाऊं कमिश्नर : उत्तराखंड

ब्रिटिश कुमाऊं कमिश्नर उत्तराखंड 1815 में गोरखों को पराजित करने के पश्चात उत्तराखंड में ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से ब्रिटिश शासन प्रारंभ हुआ। उत्तराखंड में अंग्रेजों की विजय के बाद कुमाऊं पर ब्रिटिश सरकार का शासन स्थापित हो गया और गढ़वाल मंडल को दो भागों में विभाजित किया गया। ब्रिटिश गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल। अंग्रेजों ने अलकनंदा नदी का पश्चिमी भू-भाग पर परमार वंश के 55वें शासक सुदर्शन शाह को दे दिया। जहां सुदर्शन शाह ने टिहरी को नई राजधानी बनाकर टिहरी वंश की स्थापना की । वहीं दूसरी तरफ अलकनंदा नदी के पूर्वी भू-भाग पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। जिसे अंग्रेजों ने ब्रिटिश गढ़वाल नाम दिया। उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन - 1815 ब्रिटिश सरकार कुमाऊं के भू-राजनीतिक महत्व को देखते हुए 1815 में कुमाऊं पर गैर-विनियमित क्षेत्र के रूप में शासन स्थापित किया अर्थात इस क्षेत्र में बंगाल प्रेसिडेंसी के अधिनियम पूर्ण रुप से लागू नहीं किए गए। कुछ को आंशिक रूप से प्रभावी किया गया तथा लेकिन अधिकांश नियम स्थानीय अधिकारियों को अपनी सुविधानुसार प्रभावी करने की अनुमति दी गई। गैर-विनियमित प्रांतों के जिला प्रमु