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महासागरों का अध्ययन

महासागरों का अध्ययन  देवभूमि उत्तराखंड द्वारा कक्षा 6 एनसीईआरटी भूगोल की पुस्तक से नोट्स तैयार किए जा रहे हैं। इस लेख में एनसीईआरटी पुस्तक और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का समावेशन किया गया है। इस लेख में विश्व में कितने महासागर हैं और उनके सीमांत सागरों के साथ प्रमुख जलसंधियों का उल्लेख किया गया है। अतः लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। साथ ही विश्व का मानचित्र साथ रखें।  पृष्ठभूमि  अक्सर फिल्मों में, गानों में, कविताओं में और जिंदगी के उन तमाम पन्नों में "सात समुद्र" का जिक्र सुना होगा। और तो और इस शब्द प्रयोग मुहावरों भी करते हैं। तो क्या आप जानते हैं "सात समुद्र" ही क्यों? और यदि बात सात समुद्र की जाती है तो वे कौन-से सात समुद्र हैं? यूं तो अंक सात का अपना एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व हैं । क्योंकि दुनिया में इंद्रधनुष के रग सात हैं, सप्ताह के दिन सात हैं, सप्तर्षि हैं, सात चक्र हैं, इस्लामी परंपराओं में सात स्वर्ग हैं, यहां तक कि दुनिया के प्रसिद्ध 7 अजूबे हैं। संख्या सात इतिहास की किताबों में और कहानियों में बार-बार आती है और इस वजह से...

Top 25 विलोम शब्द (हिन्दी) : भाग - 01

हिन्दी प्रश्नोत्तरी (भाग - 01)

विलोम शब्द (विपरीतार्थक शब्द)

देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षाओं को देखते हुए हिंदी का क्रैश कोर्स प्रारंभ किया गया है। जैसा की आप सभी को ज्ञात है कि उत्तराखंड की अधिकांश परीक्षाओं में 40 अंक की उत्तराखंड और 20 अंक की हिंदी आनी है जिसके लिए देवभूमि उत्तराखंड एक लंबे समय से उत्तराखंड की सभी परीक्षाओं के लिए विशेष नोट्स उपलब्ध करा रहा है। आज हिंदी का प्रथम दिन है जिसमें हम हिंदी में टॉप 25 विलोम शब्द की अर्थ सहित चर्चा करेंगे। और उसके बाद हिंदी से विलोम शब्द संबंधित प्रश्न करेंगे।

(1) आलोक - अंधकार

आलोक - आलोक संस्कृत भाषा का एक शब्द है जो आ+लोक दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें आ का अर्थ है - जिसका कोई अंत ना हो। लोक का अर्थ है संसार। और लोक शब्द की बात करें तो ज्ञात होता है कि लोक शब्द की उत्पत्ति संस्कृत धातु लोक् से हुई है। जिसका मतलब होता है - नजर डालना, देखना अथवा प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना । इससे बने संस्कृत के लोक: का अर्थ हुआ - संसार। मूल धातु लोक: में समाहित अर्थों पर ध्यान दें तो ज्ञात होता है कि आंखों से देखने पर, व नजर डालने पर क्या नजर आता है संसार। अतः इससे पता चलता है आलोक शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'ऐसा प्रकाश जो अनंत हो' अर्थात "देवत्व का प्रकाश" ।
आलोक शब्द के पर्यायवाची हैं - उजाला, दर्शन, प्रबोधन, प्रतिभा, दृष्टि, रोशनी आदि
आलोक का विलोम शब्द है - अंधकार ।

इसके अलावा किसी वस्तु को देखने या किसी विषय पर विचार करने की वृत्ति या ढंग आलोक कहलाता है। जब लोक को शब्द के अंत में प्रयोग किया जाता है तब इसका अर्थ स्थान निकलता है जैसे - देवलोक, प्रेमलोक, मृत्यु लोक। और इसे जब किसी अन्य शब्द से जोड़ा जाता है तब इसका अर्थ निकलता है - प्रजा और जनता। तथा जब लोक को शब्द के शुरू में प्रयोग किया जाता है तो इसका अर्थ लोगों में प्रचलित निकलता है जैसे - लोकगीत, लोकप्रथा ।

(2) स्थावर - जंगम

स्थावर का अर्थ है "एक ही स्थान पर रहने वाला" अर्थात जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया ना जा सके उसे स्थावर कहा जाता है। स्थावर दो शब्दों से मिलकर बना है - स्था + वर । स्था संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है "रुका हुआ" और वर का अर्थ है सबसे बढ़कर उत्तम श्रेष्ठ अर्थात किसी की तुलना में अच्छा या बढ़कर। वर को वट वृक्ष भी कहा जाता है और वट वृक्ष का दूसरा नाम बरगद है। 
स्थावर के पर्यायवाची हैं - अचल , स्थिर
स्थावर का विलोम है - जंगम
जंगम का अर्थ है चलने फिरने वाला अर्थात कोई सन्यासी जो के गांव-गांव घूमता फिरता हो वह जंगम कहलाता है।

(3) गमन - आगमन

गमन - एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने जाने की क्रिया या भाव गमन कहलाता है। अन्य अर्थों में आना-जाना, आवाजाही, आवागमन, प्रस्थान, विजय यात्रा करना कह सकते हैं।
गमन का विलोम है - आगमन

(4) मौन - मुखर

आमतौर पर मौन का अर्थ होठों का ना चलना माना जाता है। लेकिन मौन का शाब्दिक अर्थ है अंत:भाषा का बंद होना अर्थात चुप रहना, शांत रहना, खामोश रहना या ना बोलना। 
मौन का विलोम है : मुखर
अधिक बोलने वाला, बातूनी, वाचाल, शोर करने वाले को मुखर कहा जाता है। मुखर में खर शब्द का अर्थ है तीक्ष्ण, तीव्र, कुशाग्र, प्रखर, तेज आदि

(5) अभिज्ञ - अनभिज्ञ

अभिज्ञ एवं विज्ञान दोनों शब्दों का सामान्य अर्थ है किसी विषय क्षेत्र का जानकार या ज्ञानी किंतु इन दोनों शब्दों में सोच में अंतर है।
अभिज्ञ - अभिज्ञ उस व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है जो अधिक विषयों का ज्ञानी हो अर्थात अधिक विषयों का जानकार हो और उन में अपनी पकड़ रखता हो।
उदाहरण, गणित, विज्ञान
अभिज्ञ का विलोम शब्द है : भिज्ञ
भिज्ञ - किसी विशेष विषय या एक विषय में दक्ष (जानकारी रखने वाला ज्ञानी) व्यक्ति के लिए किसका प्रयोग किया जाता है

(6) विपन्न - सम्पन्न

विपन्न का शाब्दिक अर्थ है जिसके पास धन ना हो या धन की कमी हो। वास्तव में संसार में जिसके पास धन नहीं है वह दुखी है अर्थात हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं विपन्न का अर्थ दुखी भी है। इसके अलावा कष्टग्रस्त, दु:खित, मुफलिस, विपन्न के अर्थ हैं
विपिन का विलोम है : संपन्न
संपन्न का शाब्दिक अर्थ है जिसके पास धन दौलत हो या धन से संपन्न हो।

(7) विस्तार - संक्षेप

विस्तार का शाब्दिक अर्थ है फैलाव। या फिर हम कह सकते हैं विस्तृत विवरण। 
विस्तार के पर्यायवाची हैं :- आयाम, वृद्धि, पसार, वितान, वर्धन, प्रसार, तानना
विस्तार का विलोम है : संक्षेप
संक्षेप का शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप अर्थात किसी भी सवाल का छोटा रूप दिया जाता है उसे हम संक्षेप कहते हैं। संक्षेप दो शब्दों से मिलकर बना है सम्+क्षेप (व्यंजन संधि) 

(7) गरिमा - लघिमा

गरिमा का अर्थ किसी का महत्व बनाने की अवस्था अर्थात हम कह सकते हैं कि मान मर्यादा, सम्मान, गौरव, महिमा, शान, महात्म्य आदि होता है। शरीर को असीम रूप से भारी बनाना।
गरिमा का विलोम है लघिमा
लघु या छोटे होने की अवस्था को लघिमा कहा जाता है। लघिमा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है भजन की अनुपस्थिति भौतिक शरीर को इतना हल्का बनाने की शक्ति है कि यह लगभग भारी ने और कुछ का मानना हवा में तैर सकता है या उड़ सकता है। माना जाता है कि लघिमा प्राप्त होने पर मनुष्य बहुत छोटा या हल्का बन सकता है (साधना से)

(8) मौखिक - लिखित

मुख से बोले जाने वाला मौखिक कहलाता है या हम कह सकते हैं वह सब कही हुई बात जो लिखी ना जाएं अर्थात इसका संबंध वार्तालाप से है। और हाथों से लिखा जाने वाला लिखित कहलाता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं वह सब कही हुई बात जो लिखी जा सके
मौखिक का विलोम है - लिखित 

(9) अनाथ - सनाथ

जिसके मां बाप ना हो या जिसका कोई संरक्षक ना हो वह अनाथ कहलाता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जिसका कोई पालन पोषण करने वाला ना हो अर्थात जिसका कोई नाथ या स्वामी ना हो
इसके पर्यायवाची हैं- निराश्रित, असहाय
अनाथ का विलोम है : सनाथ

(10) अल्पज्ञ - सर्वज्ञ

अल्पज्ञ संस्कृत शब्द है। जो 'अल्प + ज्ञा' से मिलकर बना है। अल्प का अर्थ होता है थोड़ा या कम और ज्ञा का अर्थ है 'जानना'। अर्थात अल्पज्ञ का शाब्दिक अर्थ है "जिसे बहुत कम या थोड़ा ज्ञान हो"। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं जो अच्छा जानकार ना हो।
अल्पज्ञ के पर्यायवाची हैं अल्पज्ञानी, अल्प बुद्धि, अल्पदृष्टि तुच्छ बुद्धि, बोदा, बोद्दा।
अल्पज्ञ का विलोम है - सर्वज्ञ
सर्वज्ञ का शाब्दिक अर्थ है जो सभी कुछ जानता हो या जो अच्छा जानकार हो।

(11) सकारात्मक - नकारात्मक

सकारात्मकता का अर्थ है किसी संभावित कार्य या घटना के लिए आशावादी दृष्टिकोण रखना। सकारात्मक एक तद्भव शब्द है जो निश्चित रूप से सुकार्यात्मक से बिगड़ कर बना है। 'स' और 'सु' उपसर्ग का प्रयोग अच्छा के लिए किया जाता है। सकारात्मक आशावाद का सूचक है।
क्योंकि सकारात्मक सुकार्यात्मक शब्द से बिगड़ कर बना है। इसलिए इस का संधि विच्छेद होगा - सु+काम+आत्मकता । जिसमें 'सु' मतलब अच्छे काम से है। अर्थात अर्थात ऐसी सोच या विचार जिसमें शुद्धता हो. जिसमें स्वीकृती या सहमति का भाव हो। या हम कह सकते हैं जो नकारात्मक न हो। इसलिए
सकारात्मक का विलोम है : नकारात्मक

(12) सम्मुख - विमुख

सम्मुख का अर्थ है जो आंखों के सामने विद्यमान हो। सम्मुख दो शब्दों के मेल से बना है - सम्+मुख (व्यंजन संधि)। अर्थात मुख के सामने देखना। 
सम्मुख का विलोम है : विमुख
विमुख का अर्थ है मुंह फेरने वाला।

(13) अथ - इति

अथ का अर्थ है किसी लेख या कथन आदि के आरंभ में आने वाला मंगल सूचक शब्द
अथ के पर्यायवाची है : आरंभ, शुरुआत, अनंतर
अथ का विलोम है : इति
इति का शाब्दिक अर्थ है अंत या समाप्ति।

(14) उर्वर - ऊसर

उर्वर का संबंध ऐसी भूमि से है। जिसमें अच्छी उपज हो या जिसमें फसलें अच्छी तरह से उपजती हूं। अर्थात उर्वर का शाब्दिक अर्थ होगा 'उपजाऊ' । 
उर्वर का विलोम होगा - ऊसर , अनुर्वर, 
ऊसर का संबंध ऐसी भूमि से है। जिसमें अच्छी उपज ना हो या जिसमें फसल अच्छी तरह से ना उपस्थिति हो। अर्थात उसर का शाब्दिक अर्थ होगा 'बंजर'

(15) थोक - परचून

थोक का अर्थ है एक ही प्रकार की वस्तु का बहुत बड़ा ढेर या दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि एक साथ बहुत सामान खरीदना या बेचने का काम। 
थोक का विलोम है - परचून
परचून का अर्थ है एक ही दुकान पर विभिन्न प्रकार की सामग्री कम मात्रा में बेचना। जैसे आटा, दाल, चावल, नमक, ब्रेड आदि उपलब्ध होना।

(16) भूषण - दूषण

भूषण एक संस्कृत शब्द है जिसका हिन्दी अर्थ है आभूषण। अर्थात हम कह सकते हैं कि मानव द्वारा बनाई गई वह वस्तु जिसके धारण करने से किसी की शोभा बढ़ जाती है। जैसे आभूषण, कहना, जेवर आदि ।
भूषण का विलोम है - दूषण
दूषण का अर्थ है शोभा बढ़ाने के स्थान पर दोष लगाने की प्रक्रिया , या गंदा करने की प्रक्रिया या बिगाड़ने की प्रक्रिया ।

(17) अवनि - अम्बर

अवनि का शाब्दिक अर्थ है पृथ्वी, धरती। अर्थात सौर जगत का वह ग्रह है जिस पर हम लोग निवास करते हैं। धर्म ग्रंथ में पृथ्वी को भगवान विष्णु की पत्नी कहा गया है। 
अवनी के पर्यायवाची हैं - पृथ्वी, वसुंधरा, मही, अचला, रेणुका, वसुधा, अदिति, उर्वि, वैष्णवी, हेमा, अवनि शब्द से अवन से निकला है। अवन का अर्थ है रक्षण या बचाना और अवनी का शाब्दिक अर्थ है रक्षणी। अर्थात पृथ्वी
अवनि का विलोम है - अम्बर
अंबर का शाब्दिक अर्थ है। आसमान, आकाश, गगन, शून्य

(18) हेय - ग्राह्य

हेय का अर्थ है जो स्वीकार करने योग्य न हो या लेने योग्य न हो अर्थात जिसे ग्रहण नहीं किया जा सकता। 
हेय का पर्यायवाची है : तुच्छ, त्याज्य, खराब, बुरा, बेकार
हेय का विलोम है - ग्राह्म
ग्राह्म का अर्थ है जो स्वीकार करने योग्य है या लेने योग्य हो अर्थात जिसे ग्रहण किया जा सकता है।

(19) मृदुल - रूक्ष

मृदुल का अर्थ होता है कोमल। 
मृदुल के पर्यायवाची हैं मुलायम कोमल दयालु आदि
मृदुल का विलोम है - रुक्ष
जिसके स्वभाव में उदारता, कोमलता, सौजन्य स्नेह आदि बातें ना हो। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं जो कोमल ना हो

(20) कलुष - निष्कलुष

कलुष का अर्थ है मन के विकार या मलिन भाव या हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि जो पाप करता हो या पाप करने वाला।
कलुष के पर्यायवाची शब्द हैं - मालिनता, मैल, गन्दगी पाप, दूषित, अपयश, कलंक, दाग, कीचड़, दोष 
कलुष का विलोम है - निष्कलुष
निष्कलुष का अर्थ है मन में कोई विकार या मलिन भाव उत्पन्न ना हो। अर्थात जो पाप ना करता हो। निष्कलुष शब्दों से मिलकर बना है - निस्+कलुष (व्यंजन संधि) निस् एक उपसर्ग है जिसका प्रयोग हमेशा नकार के अर्थ में आता है लेकिन कई बार वह निश्चित आया पूर्णता का भी बोल कर आता है। 

(21) चिरंतन - नश्वर

चिरंतन का अर्थ है बहुत दिनों से चला आने वाला जो नष्ट ना हो अर्थात पुरातन, प्राचीन या पुराना। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जिसे हुए या बने बहुत दिन हो गए हैं।
चिरंतन के पर्यायवाची हैं - आदिकालीन, आदिम, कदीम पुराकालीन, पुरातन, पुराना, प्राचीन, प्राच्य
चिरंतन का विलोम है - नश्वर
नश्वर का अर्थ है जो नष्ट होने वाला हूं या जिसमें नष्ट हो जाने का भाव हो।

(22) संन्यासी - गृहस्थ

संन्यासी वह होता है जिसने संन्यास को धारण किया है इंद्रियों पर नियंत्रण करने वाला संन्यासी कहलाता है। संन्यास का अर्थ होता है सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर निष्काम भाव से प्रभु का निरंतर स्मरण करते रहना। इसके अलावा दूसरों को कन्या नार्थ सदैव तत्पर रहने वाला व्यक्ति होता है। 
सन्यासी के पर्यायवाची हैं - तपस्वी, महात्मा, त्यागी, ब्रह्मचारी, अनिकेत, विरक्त
सन्यासी का विलोम है ग्रहस्थ
गृहस्थ का अर्थ है घर में रहने वाला अर्थात सांसारिक बंधनों से बंधा हुआ।

(23) स्वकीया - परकीया

स्वकीया का शाब्दिक अर्थ है जो निज का हो या अपना हो या फिर जिस पर अपना अधिकार हो दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि वह विवाहिता स्त्री जो केवल अपने पति से प्रेम करती हो। 
स्वकीया का विलोम है : परकीया
परकीया का अर्थ है जो स्वयं का ना हो या जिस पर अपना अधिकार ना हो, दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि वह विवाहिता स्त्री जो अपनी पति की उपेक्षा कर दूसरे पुरुष से प्रेम करती हो।

(24) श्रीगणेश - इतिश्री

श्रीगणेश का अर्थ है कार्य प्रारंभ करना या फिर कहें सूत्रपात करना। 
श्री गणेश का विलोम है - इतिश्री
इतिश्री का अर्थ है कार्य का अंत करना अर्थात समाप्त करना

(25) आविर्भाव - तिरोभाव

आविर्भाव का शाब्दिक अर्थ है अस्तित्व में आकर प्रकट होना । दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि उत्पन्न होकर सामने आना या उपस्थित होना अर्थात पहले पहल प्रकट होना।
आविर्भाव 2 शब्दों के मेल से बना है आवि:+भाव (विसर्ग संधि)।
आविर्भाव के पर्यायवाची हैं उदय, अवतरण, या प्रकट होना
आविर्भाव का विलोम शब्द है : तिरोभाव
तिरोभाव का शाब्दिक अर्थ है अदृश्य होना अंतर्धान या लोग हो ना। जबकि प्रादुर्भाव, आविर्भाव का समानार्थी है, सम्भाव का अर्थ है समान भाव एवं अभाव का अर्थ है कमी से होता है।

हिन्दी प्रश्नोत्तरी - 01 (अभ्यास प्रश्न)

अपनी क्षमता की जांच करें। और 12 प्रश्नों में कितने सही हैं उत्तर दें।

(1) निम्नलिखित में से अंधकार किस शब्द 
 का विलोम है -
(a) मयंक
(b) आलोक
(c) कलुष
(d) भूषक

(2) निम्नलिखित में से जंगम किसका विलोम है
(a) गमन
(b) चेतन
(c) सचल
(d) स्थावर

(3) उर्वर का विपरीतार्थक शब्द है -
(a) ऊसर
(b) विकार
(c) नीचता
(d) उत्कृष्ट

(4) रूक्ष का विपरीतार्थक है - 
(a) हेय
(b) मृदुल
(c) आकृष्ट
(d) मोक्ष

(5) निम्न में से विमुख किस शब्द का विलोम है ?
(a) उन्मुख
(b) प्रमुख
(c) अधिमुख
(d) इनमें से कोई नहीं

(6) कलुष का विलोम शब्द है-
(a) निष्पाप
(b) सुस्त
(c) निष्कलुष
(d) विषाद

(7) नश्वर का विलोम है- 
(a)‌ आलौकिक
(b) नश्वर
(c) नैसर्गिक
(d) नाउम्मीद

(8) हेय का विलोम शब्द है?
(a) ग्राह्य
(b) नगण्य
(c) द्रुत
(d) लघु

(9) मुखर का विलोम क्या होगा?
(a) विकार
(b) विमुख
(c) मौन
(d) चंचल

(10) लघिमा का विपरीतार्थक शब्द है- 
(a) विशाल
(b) करूणिमा
(c) गरिमा
(d) ललिमा

(11) थोक का विलोम शब्द है-
(a) परचून
(b) शोक
(c) लोक
(d) परथोक

(12) आविर्भाव का विलोम शब्द है
(a) प्रादुर्भाव 
(b) संभाव 
(c) तिरोभाव 
(d) अभाव

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