श्यामलाताल : विवेकानंद आश्रम की मनमोहक शांति हिमालय की गोद में बसा विवेकानंद आश्रम, श्यामलाताल, उत्तराखंड के चम्पावत जिले का एक ऐसा रत्न है, जो प्रकृति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। समुद्र तल से लगभग 5,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह स्थल अपने आलौकिक सौंदर्य और शांति से हर किसी का मन मोह लेता है। यहाँ से टनकपुर-वनबसा और शारदा नदी घाटी के मनोरम दृश्यों के साथ-साथ नंदादेवी, पंचाचूली और नंदकोट जैसी बर्फीली चोटियों का लुभावना नजारा देखने को मिलता है, जो आत्मा को सुकून और आँखों को तृप्ति देता है। श्यामलाताल : एक झील का जादू आश्रम के ठीक निकट एक छोटी, परंतु अत्यंत आकर्षक झील है, जिसे श्यामलाताल के नाम से जाना जाता है। इस झील की लंबाई लगभग 500 मीटर और चौड़ाई 200 मीटर है। इसका गहरा श्याम वर्ण वाला जल इतना मनमोहक है कि स्वामी विवेकानंद ने स्वयं इसे 'श्यामलाताल' नाम दिया। झील के शांत जल में आसपास की हरी-भरी पहाड़ियों और नीले आकाश की छवि ऐसी दिखती है, मानो प्रकृति ने स्वयं एक कैनवास पर चित्र उकेरा हो। कैसे पहुँचें? विवेकानंद आश्रम, चम्पावत जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर ...
कविता संग्रह
रूक जाना नहीं
अगर नसीब में तुम हो,
तो हम जरूर मिलेंगे।
ये वक्त एक दिलाशा है,
ये दिल , ये दिल नसीं
वक्त का ही तमाशा है।
रूक जाना जिंदगी नहीं है।
यूं ही चलते रहे तो साथ मेरे
हम नये साल पर हर बार मिलेंगे।
Happy new year 2022
इन्हींं पंक्तियों के साथ आप सभी को देवभूमि उत्तराखंड की ओर से अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार नये साल 2022 की दिल से हार्दिक शुभकामनाएं । हम आशा करते हैं इस वर्ष जितनी भी विज्ञप्ति निकाली गयी हैं। वो समय से पूर्ण हो जाए और दिल से तैयारी करने वाले आप सभी साहसियों का सिलेक्शन हो जाए।
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दोस्तों मैं न तो कोई शायर हूं न ही कोई कवि। बस जो करता हूं दिल से करता हूं। जो दिल से पढ़ाई करते हैं तो उनके मन में विचार आना तो लाजिमी बस फर्क इतना है। कुछ शब्दों में पिरों लेते हैं। कुछ दिलों में रख लेते हैं। ऐसे ही मैंने भी एक कविता लिखने का प्रयास किया हैं। कविता बहुत ही साधारण शब्दों में हैं। यदि आपको मेरे द्वारा स्वरचित कविता पसंद आए तो अपनी राय जरुर व्यक्त करना।
यादों का घर
सुनो.........
चलो धड़कते दिल को
और धडकाते है
कुछ लम्हे प्यार के,
कुछ सपनों से सजाते हैं।
कुछ बातें अपनी करना,
कुछ मेरी सुनना
किस्सा-ए-जिंदगी का
रात-भर बतकाते हैं।
चलो जिंदगी के नग्में गाते हैं।
सुनहरे पलों से भरा,
यादों का एक घर बनाते हैं।
मैंने पहली बार देखा था तुम्हें जहां
वो बात आज बतलाते हैं।
चोर नज़र से देख रहा था
जुल्फों से घिरी अदाओं को।
वो होंठों की मुस्कान देखकर
आज भी हम मुस्कराते हैं।
धन्यवाद
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शीर्षक - मन की बात (कविता)
शीर्षक - बादल (कविता)
उपवनन में मयूर देखकर.......
..........
शीर्षक - नसीब (कविता)
जिसे नसीब कहते हैं.......
Awesome
जवाब देंहटाएंHappy new year aapko bhi
जवाब देंहटाएंHappy new year apko v nd thank you so much itni achche kvita krne k liy
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