वनबसा : शारदा नदी के तट पर बसा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर उत्तराखंड के चम्पावत जिले में वनबसा, एक ऐसा कस्बा है जो भारत-नेपाल सीमा पर बसा है और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। टनकपुर से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह ग्राम पंचायत, जनपद की सबसे बड़ी पंचायतों में से एक है, जहाँ लगभग 10,000+ लोग निवास करते हैं। यहाँ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अन्य समुदायों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण देखने को मिलता है, जो इस क्षेत्र को एक जीवंत सामाजिक ताने-बाने से जोड़ता है। प्रकृति और इतिहास का संगम शारदा नदी के तट पर बसा वनबसा, मैदानी और पर्वतीय संस्कृतियों का एक अनूठा मेल है। यह स्थान सदियों से पर्वतीय लोगों का प्रिय ठिकाना रहा है। पुराने समय में, जब लोग माल भावर की यात्रा करते थे, वनबसा उनका प्रमुख विश्राम स्थल था। सर्दियों में पहाड़ी लोग यहाँ अपनी गाय-भैंस चराने आते और दिनभर धूप में समय बिताकर लौट जाते। घने जंगलों के बीच बसे होने के कारण, संभवतः इस क्षेत्र का नाम "वनबसा" पड़ा। यहाँ की मूल निवासी थारू और बोक्सा जनजातियाँ इस क्ष...
शब्द विचार रूप परिवर्तन प्रयोग के आधार पर विकारी शब्द संज्ञा सर्वनाम विशेषण क्रिया अविकारी अव्यव क्रिया विशेषण संबंधबोधक समुच्चयबोधक विस्मयादिबोधक निपात विकारी शब्द - वह शब्द जिनका रूप, लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार परिवर्तित हो जाता है। विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे - संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया संज्ञा क्या है ? संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है - नाम। संज्ञा सम+ज्ञा से मिलकर बना है जिसका अर्थ समान जानना है । किसी व्यक्ति, वस्तु और स्थान आदि के नाम की जाति अथवा किसी भाव के अर्थ का बोध कराने वाले शब्द संज्ञा कहलाते हैं। संज्ञा के भेद व्युत्पत्ति के आधार पर संज्ञा के तीन भेद हैं। रूढ़ संज्ञा - ऐसी संज्ञाऐं जिनके खंड निरर्थक होते हैं। जैसे - आम, घर, हाथ, यौगिक संज्ञा - ऐसी संज्ञाऐं जिनके खंड निरर्थक होते हैं। जैसे - रसोईघर, पुस्तकालय, हिमालय योगरूढ़ संज्ञा - ऐसी संज्ञाऐं जिनके खंड सार्थक हों, परंतु जिसका अर्थ खण्ड शब्दों से निकलने वाले अर्थ से भिन्न हो। जैसे - पंकज, लम्बोदर, दशानन संज्ञा के प्रकार व्यक्तिवाचक संज्...