नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023
पुराने संसद भवन में कार्यवाही का अंतिम दिन 19 सितंबर था। नई संसद भवन में स्थानांतरित होने से पहले लोकसभा व राज्यसभा के पुराने संसद भवन में सामूहिक तस्वीर खिंचवाई। और पुराने संसद भवन को 'संविधान सदन' नाम दिया गया। 18 से 22 सितंबर 2023 को राष्ट्रपति द्वारा विशेष सत्र आहूत किया गया। इस विशेष सत्र के शुरू होने से एक दिन पूर्व 17 सितंबर को उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने पुराने संसद भवन में तिरंगा फहराया।
*विशेष सत्र क्या है?
भारत में सामान्यतः प्रतिवर्ष संसद में तीन सत्र होते हैं - बजट सत्र, ग्रीष्मकालीन सत्र, मानसून सत्र। किसी विशेष परिस्थितियों या विशेष मुद्दों का आयोजन किया जाता है। स्वतंत्रता के पश्चात अब तक 8 बार विशेष सत्र का आयोजन किया जा चुका है। संविधान में 'विशेष सत्र' शब्द उल्लेख नहीं किया गया है। किंतु अनुच्छेद 87 (1) में राष्ट्रपति लोकसभा के साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा। इसके अलावा संसद के संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान अनुच्छेद 108 के तहत किया गया है।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023
19 सितंबर को ही नए संसद भवन में विधेयक कार्यों की शुरुआत वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक नारी शक्ति वंदन विधेयक से शुरू किया गया। 27 वर्ष की प्रतीक्षा के पश्चात महिला आरक्षण विधेयक संसद में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के कार्यकाल में 29 सितंबर को पारित हो गया है।
यह संसद भवन में पेश होने वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक था। तथा अधिनियमित होने के पश्चात् 106वां संविधान संशोधन अधिनियम बना । लोकसभा सभा में विधेयक चर्चा के बाद 454-2 के भारी बहुमत से 20 सितंबर को पारित हो गया। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ही इसके विरोध में रही। और इसके पश्चात 21 सितंबर को यह विधेयक राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित होने के बाद राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा 29 सितंबर को विधेयक पर हस्ताक्षर किए जिसके साथ ही विधेयक ने कानून का रुप ले लिया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक लोकसभा एवं राज्य विधानसभा (दिल्ली विधानसभा सहित) में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
महिला आरक्षण विधेयक का सफर
महिलाओं को 33% आरक्षण दिलाने के लिए सर्वप्रथम एच.डी. देवगौड़ा के नेतृत्व वाली यूनाइटेड फ्रंट सरकार ने 81वां संविधान संशोधन विधेयक 12 सितंबर 1996 को प्रस्तुत किया था किंतु बहुमत नहीं मिला। इसके बाद 1998, 1999, 2002, 2003 व मनमोहन सरकार के समय 2010 में 108वां संविधान संशोधन विधेयक के तहत् लाया गया। किंतु बहुमत न मिलने के कारण यह अधिनियम नहीं बन सका। अंततः 27 वर्ष पश्चात संसद के दोनों सदनों में यह संशोधन विधेयक सितंबर 2023 में नए संसद भवन में पहले ही सत्र में पारित किया जा सका। इस विधेयक का नाम बदलकर नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया।
विशेष तथ्य
- वर्तमान समय में लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं। 106वां संविधान संशोधन के प्रभावी होने के बाद लोकसभा में 543 सीटों में से 33% अर्थात् 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
- इसमें SC, ST और OBC के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। जबकि देश की कुल विधानसभाओं 4123 सीटों (पुदुचेरी विधानसभा छोड़कर) में से 1374 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
- 106वां संविधान संशोधन अधिनियम ने परिसीमन तथा नई जनगणना के पश्चात ही लागू होगा। नए परिसीमन में सीटों की संख्या में वृद्धि होने पर महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या में वृद्धि होगी।
- राज्यसभा तथा केंद्र शासित पुडुचेरी विधानसभा के लिए यह आरक्षण लागू नहीं होगा।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
(a) 21 सितंबर
(b) 17 सितंबर
(c) 18 सितंबर
(d) 19 सितंबर
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