उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2025 नवंबर 2025 से अप्रैल 2025 तक जैसा कि आप सभी जानते हैं देवभूमि उत्तराखंड प्रत्येक मा उत्तराखंड के विशेष करंट अफेयर्स उपलब्ध कराता है। किंतु पिछले 6 माह में व्यक्तिगत कारणों के कारण करेंट अफेयर्स उपलब्ध कराने में असमर्थ रहा। अतः उत्तराखंड की सभी आगामी परीक्षाओं को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि नवंबर 2024 से अप्रैल 2025 तक के सभी करेंट अफेयर्स चार भागों में विभाजित करके अप्रैल के अन्त तक उपलब्ध कराए जाएंगे। जिसमें उत्तराखंड बजट 2025-26 और भारत का बजट 2025-26 शामिल होगा। अतः सभी करेंट अफेयर्स प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। 956816280 पर संपर्क करें। उत्तराखंड करेंट अफेयर्स (भाग - 01) (1) 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन कहां किया गया ? (a) उत्तर प्रदेश (b) हरियाणा (c) झारखंड (d) उत्तराखंड व्याख्या :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी 2025 को राजीव गाँधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम रायपुर देहरादून, उत्तराखंड में 38वें ग्रीष्मकालीन राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन किया। उत्तराखंड पहली बार ग्रीष्मकालीन राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी की और य...
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009
भारतीय शिक्षा की पृष्ठभूमि
भारत में शिक्षा के उत्थान के लिए 1870 में ब्रिटेन ने अनिवार्य शिक्षा अधिनियम पारित किया। ज्योतिबा फुले ने सर्वप्रथम प्रत्येक बच्चे को निश्चित और प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने की मांग की। उसी के अनुरूप 1882 में शिक्षा के लिए हंटर कमीशन लागू किया गया। गोपाल कृष्ण गोखले ने भी 1910-11 में इंपीरियल लेजिस्लेटिव असेंबली से शिक्षा सुधार के लिए मांग की। देश के महानायक महात्मा गांधी जी ने 1937 में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद की बैठक में बच्चों के लिए सार्वभौमिक शिक्षा का प्रस्ताव रखा।
स्वतंत्रता के पश्चात 1948-49 में संविधान सभा की सलाहकार समिति ने शिक्षा को मौलिक अधिकार के स्थान पर नीति निर्देशक के तत्व के रूप में स्वीकार किया। और संविधान के अनुच्छेद 45 में 6 से 14 वर्ष के बच्चों की निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा को उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया। शिक्षा के अधिकार पर पहला आधिकारिक दस्तावेज वर्ष 1990 में राम मूर्ति समिति की रिपोर्ट थी। 1999 में तपस मजूमदार समिति ने अनुच्छेद 21(A) को शामिल करने की अनुशंसा की थी।
86वां संविधान संशोधन
86वां संविधान संशोधन 2002 के माध्यम से मूल अधिकारों के भाग के तहत अनुच्छेद 21 (क) जोड़ा गया और जिसमें राज्य 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए प्रावधान किया गया। इस संविधान से प्रारंभिक शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा मिला। और यह संशोधन अनुच्छेद 45 के तहत् किया गया था। इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 51(A) के तहत 11वां मौलिक कर्तव्य भी जोड़ा गया। भारत इस प्रकार के अधिकार देने वाला विश्व का 135वां देश बना।
86वें संविधान संशोधन के बाद भारत शिक्षा के उत्थान के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 पारित किया।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (Right to Education Act, 2009),
भारतीय संसद द्वारा पारित एक कानून है, जिसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है। यह अधिनियम संविधान के 86वें संशोधन 2002 के तहत अनुच्छेद 21A के रूप में सम्मिलित किया गया था, जो बच्चों के लिए शिक्षा के मौलिक अधिकार की स्थापना करता है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 को 11 अगस्त 2009 को भारत की संसद में पारित किया गया था। और 1 अप्रैल 2010 को पूरे भारत में लागू हुआ था। (जम्मू कश्मीर छोड़कर)
उद्देश्य :
- सार्वजनिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण : सभी बच्चों के लिए शिक्षा को अनिवार्य और निशुल्क बनाना।
- गुणवत्ता शिक्षा सुनिश्चित करना : शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए मानक स्थापित करना।
- समान अवसर प्रदान करना : समाज के सभी वर्गों, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित समूहों के बच्चों को समान शैक्षिक अवसर प्रदान करना।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की संवैधानिक प्रक्रिया
02 जुलाई 2009 - कैबिनेट ने प्रस्तावित बिल (RTE) को मजरी दी
20 जुलाई 2009 - राज्यसभा द्वारा पारित
04 अगस्त 2009 - लोकसभा द्वारा पारित
26 अगस्त 2009 - राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा हस्ताक्षर
27 अगस्त 2009 - भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशित
01 अप्रैल 2010 - सम्पूर्ण देश में लागू
04 जुलाई 2013 - RTE ANTHEM को अपनाया गया
गान - टन टन सुनो घंटी बजी, स्कूल चलो स्कूल, तुमको पुकारे
*नोट्स
- वर्ष 2019 में आरटीई एक्ट के धारा 16 को संशोधन किया गया ।
- धारा 16 में 10 जनवरी 2019 को राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी दी
- धारा 16 कक्षा 8 तक के फेल न करने की नीति में बदलाव किया गया।
आरटीई एक्ट में 7 अध्याय 30 धाराएं एवं एक अनुसूची को सम्मिलित किया गया है।
- अध्याय 1 - प्रस्तावना (1-2)
- अध्याय 2 - निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान (3-5),
- अध्याय 3 - State + Local Govt + Central + Stat अभिभावक के द्वायित्व (6-11)
- अध्याय 4 - विद्यालय + शिक्षकां के दायित्व (12-20)
- अध्याय 5 - प्रारंभिक शिक्षा के पाठ्यक्रम पूरा किया जाना (29-30)
- अध्याय 6 - बाल अधिकारों को संरक्षण (31-34)
- अध्याय 7 - अन्य प्रावधान (35-38)
अध्याय 1 : प्रस्तावना (नाम, विस्तार, शब्दावली)
इस अध्याय में अधिनियम, शैक्षिक सत्र, आंगनबाड़ी, बच्चे, अपवंचित वर्ग के बच्चे, कमजोर वर्ग के बच्चे, निशुल्क सुविधाएं, स्थानीय प्राधिकारी, पड़ोसी विद्यालय, विशिष्ट श्रेणी के विद्यालय की परिभाषाएं दी गई है। जिन्हें 2 धाराओं में बांटा गया हैं -
धारा 1 - अधिनियम का परिचय व नाम (निशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार एक्ट, 2009)
यह एक्ट अल्पसंख्यकों के शिक्षा का अधिकार व मदरसों, वैदिक विद्यालयों धार्मिक शैक्षणिक संस्थाओं में लागू नहीं होगा। अर्थात् यह अधिनियम अनुच्छेद 29 + 30 पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है)
धारा 2 - प्रमुख शब्दावली और परिभाषा
बालक सामान्य - 6 से 14 वर्ष
बालक दिव्यांग - 6 से 18 बर्ष
समुचित सरकार - Central+ state + local
प्रारंभिक शिक्षा - कक्षा 1 से 8 तक कमज़ोर वर्ग का बच्चा
दिव्यांग बच्चा
स्थानीय अधिकार
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
माता-पिता
अभिभावक
अध्याय 2 - निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा
इसमें मुख्य रूप से 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के प्रावधानों को शामिल किया गया है इसके तहत निम्नलिखित प्रमुख प्रावधान है।
- धारा 3 : 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा
- धारा 4 : कक्षा 1 में प्रवेश की आयु 6 वर्ष (उम्र सितंबर तक पूरी न होने पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा)
- धारा 5 - स्थानांतरण पत्र प्राप्त करने का अधिकार (TC)
अध्याय - 3 ( समुचित सरकार, स्थानीय प्राधिकारी और माता-पिता के कर्तव्य)
- धारा 6 - समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारी का कर्तव्य है कि जहां विद्यालय नहीं है वहां विद्यालय स्थापित करना। कक्षा (1 से 5 तक - 1km के दायर में और कक्षा 6 से 8 तक - 3km के दायरे में विद्यालय स्थापित करें)
- धारा 7 - समुचित सरकार का वित्तीय और अन्य उदारीकरण का हिस्सा बांटना। सामान्य राज्य के 60:40 और विशेष राज्य 90:10 में आवंटन करने का प्रावधान।
- धारा 8 - समुचित सरकार के कर्तव्य है कि सरकार द्वारा निशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराना।
- धारा 9 - स्थानीय प्राधिकारी का कर्तव्य है कि प्रत्येक बच्चे को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान और दुर्बल पक्षों के साथ पक्षपात न हो
- धारा 10 - माता पिता / सुंरक्षक के कर्तव्य अपने बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा में प्रवेश दिलाएं।
- धारा 11 - विद्यालय पूर्व शिक्षा अर्थात् 3-6 वर्ष आयु के बच्चों की शिक्षा आंगनबाड़ी आदि की व्यवस्था कराना (समुचित सरकार द्वारा व्यवस्था की जाए)
अध्याय 4 - विद्यालय एवं अध्यापकों के कर्तव्य
- धारा 12 - निजी और विशेष श्रेणी के विद्यालयों को भी आर्थिक रूप से निर्बल वर्गों को 25% आरक्षण की व्यवस्था
- धारा 13 - प्रवेश शुल्क और प्रवेश के दौरान जांच परख एवं निरीक्षण पर निषेध
- धारा 14 - प्रवेश के लिए जन्म प्रमाण पत्र का प्रावधान
- धारा 15 - प्रवेश से इंकार नहीं किया जाना
- धारा 16 - रोकने और निष्कासन का प्रतिरोध (शिक्षा का अधिकार संसोधन अधिनियम 2019 द्वारा इस प्रावधान को हटा दिया गया है।
- धारा 17 - शारीरिक दंड व मानसिक उत्पीड़न का प्रतिषेध
- धारा 18 - मान्यता प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना किसी विद्यालय का स्थापित न किया जाना।
- धारा 19 - विद्यालय के मान व मानक
- धारा 20 - अनुसूची में संशोधन की शक्ति केंद्र सरकार को
- धारा 21 - विद्यालय प्रबंधन समिति (यह विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) सरकारी स्कूलों में जनप्रतिनिधियों, अभिभावकों, शिक्षकों से मिलाकर बनेगी)
- धारा 22 - विद्यालय विकास योजना
- धारा 23 - शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवश्यक सेवा और शत की बात कही गयी है।
- धारा 24 - शिक्षकों के कर्तव्य
- धारा 25 - छात्र शिक्षक अनुपात 1:40 से अधिक न हो
कक्षा 1 से 5
60 तक छात्रों - 2 अध्यापक
120 तक छात्रों - 4 अध्यापक
121-150 तक छात्रों - 5 अध्यापक
150+ छात्र - 5 अध्यापक +1 प्रधानाध्यापक
(कार्य दिवस 200 दिन या 800 घंटे अर्थात् प्रतिदिन 4 घंटे 45 मिनट)
कक्षा 6 से 8 तक
1-35 छात्रों - 1 अध्यापक
70 छात्रों - 2 अध्यापक
105 छात्रों - 3 अध्यापक
100+ - 1 हेडमास्टर + प्रत्येक विषय का अध्यापक
6 से 8 तक (220 days या 1000 घंटे)
- धारा 26 - शिक्षकों की रिक्तियां को भरा जाना
- धारा 27 - गैर शिक्षक प्रयोजनों के लिए शिक्षकों को अभिनियोजित किए जाने का प्रतिषेध
- धारा 28 - शिक्षकों द्वारा प्राइवेट ट्यूशन का प्रतिषेध
अध्याय 5 : पाठ्यक्रम और प्राथमिक शिक्षा का समापन
धारा 29 - पाठ्यचर्या एवं मूल्यांकन प्रक्रिया. -
(1) प्रारंभिक शिक्षा लिए पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रक्रिया एक अकादमिक प्राधिकारी प्रारंभिकू शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम द्वारा निधारित की जाएगी।
(2) शैक्षणिक प्राधिकारी, उप-धारा (1) के तहत पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रक्रिया निर्धारित करते समय निम्नलिखित को ध्यान में रखेगा,
- संविधान में निहित मूल्यों के अनुरूप
- बच्चे का सर्वागीण विकास
- बच्चे के ज्ञान, क्षमता और प्रतिभा का निर्माण करनाः
- पूर्ण सीमा तक शारीरिक और मानसिक क्षमताओं का विकास,
- बच्चों के अनुकूल और बाल केंद्रित तरीके से गतिविधियों, खोज और अन्वेषण के माध्यम से सीखना,
- निर्देशों का माध्यम, जहा तक संभव हो, बच्चे की मातृभाषा से होगा,
- बच्चे को भय, आपात और चिता से मुक्त बनाना और बच्चे को स्वतंत्र रूप से विचार व्यक्त करने में मदद करना,
- बच्चे की जान की समझ और उसे लागू करने की उसकी क्षमता का व्यापक और निरंतर मुल्याकन।
धारा 30 - परीक्षा एवं पूर्णता प्रमाण पत्र
(1) प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी बच्चे को कोई भी बोर्ड परीक्षा उतीर्ण करने की आवश्यकता नहीं होगी।(2) प्रारंभिक शिक्षा पूरा करने वाले हर बच्चे को निर्धारित तरीके और प्रारूप पर प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।
अध्याय 6 : बालक के अधिकारों का संरक्षण
- धारा 31 - बालक के शिक्षा अधिकार को मॉनिटर करना
- धारा 32 - राष्ट्रीय / राज्य बाल संरक्षण आयोजन अधिनियम संबंधी प्राप्त शिकायतों की जांच करेगा।
- धारा 33 - राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन करना
- धारा 34 - राज्य सलाहकार परिषद का गठन करना
अध्याय 7 : प्रकीर्ण (अन्य मुद्दे)
- धारा 35 - समुचित सरकार मार्गदर्शन सिद्धांत जारी करेगी
- धारा 36 - धारा 13,18,19 के दण्डनीय अपराध के लिए अभियोजन हेतु मंजूरी, स्वीकृति का प्रावधान
- धारा 37 - SMC (विदयालय प्रबंधन समिति) के विरुद्ध कोई वाद / विधिक कार्यवाही संबंधी क्रिया
- धारा 38 - समुचित सरकार की नियम बनाने की शक्ति.
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की उपलब्धियाँ
आरटीई अधिनियम उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6-8) में नामांकन बढ़ाने में सफलतापूर्वक कामयाब रहा है। मजबूत बुनियादी ढांचे के मानदंडों के परिणामस्वरूप स्कूल के बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। 3.3 मिलियन से अधिक छात्रों ने आरटीई के तहत 25% कोटा मानदंड के तहत प्रवेश प्राप्त किया। इसने शिक्षा को देशभर में समावेशी और सुलभ बनाया। "नो डिटेशन पोलिसी को हटाने से प्रारंभिक शिक्षा प्रणाली में जवाबदेही आई है। सरकार ने स्कूली शिक्षा के लिए समग्र शिक्षा अभियान नाम से एक एकीकृत योजना भी शुरू की है, जिसमें स्कूली शिक्षा की तीन योजनाएं शामिल हैंः- सर्व शिक्षा अभियान (SSA)
- राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA)
- शिक्षक शिक्षा पर केंद्र पायोजित योजना (CSSTE)।
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