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Uksssc Mock Test - 132

Uksssc Mock Test -132 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षाओं हेतु फ्री टेस्ट सीरीज उपलब्ध हैं। पीडीएफ फाइल में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। और टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। Join telegram channel - click here उत्तराखंड समूह ग मॉडल पेपर  (1) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।              सूची-I.                  सूची-II  A. पूर्वी कुमाऊनी वर्ग          1. फल्दाकोटी B. पश्चिमी कुमाऊनी वर्ग       2. असकोटी  C. दक्षिणी कुमाऊनी वर्ग       3. जोहार D. उत्तरी कुमाऊनी वर्ग.        4.  रचभैसी कूट :        A.   B.  C.   D  (a)  1.    2.  3.   4 (b)  2.    1.  4.   3 (c)  3.    1.   2.  4 (d) 4.    2.   3.   1 (2) बांग्ला भाषा उत्तराखंड के किस भाग में बोली जाती है (a) दक्षिणी गढ़वाल (b) कुमाऊं (c) दक्षिणी कुमाऊं (d) इनमें से कोई नहीं (3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 1. हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण है 2. हिंदी में लेखन के आधार पर 46 वर्ण है उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/ कौन से सही है? (a) केवल 1 (b) केवल 2  (c) 1 और 2 द

डॉलर के मुकाबले रूपया क्यों गिर रहा है? आप भी जानें आसान भाषा में

भारतीय बाजार और डॉलर डॉलर के मुकाबले रूपया क्यों गिर रहा है? रूपए के कमजोर होने के क्या कारण हैं? रूपए का गिरना या कमजोर होने का अर्थ क्या है?  जानें विस्तार से आसान भाषा में 2022 में ही भारत के रुपए में तकरीबन 10-11 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। सबसे पहले यह जानेंगे कि साल 2022 में रुपए का प्रदर्शन किस तरह का रहा और साथ ही रुपए में लगातार गिरावट किस तरह से आई है। इसके अलावा इस गिरावट का असर क्या होगा और भविष्य में किस तरह की उम्मीद की जा सकती है? आदि प्रश्नों पर चर्चा करेंगे साथ ही जानेंगे कि रुपये के कमजोर होने से‌ आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा? रूपए के कमजोर होने से आपका क्या लेना देना और आपकों यह क्यों पढना चाहिए।  तो आप सभी जानते हैं कि साल 2022 में डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया था। अक्टूबर महीने के अंत में रुपया जो है तकरीबन 83.2 पर पहुँच गया था, जोकि अब तक रुपए का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। इसके अलावा सबसे विशेष बात ये रही कि साल 2022 में रुपए का जो प्रदर्शन रहा वो अन्य एशियाई देशों की तुलना में खराब रहा। भारत ने एशिया के तमाम देशों की तुलना में सबसे खराब

भारत में आर्थिक नियोजन : पंचवर्षीय योजना

भारत में आर्थिक नियोजन पंचवर्षीय योजना - 5 Year Planning आर्थिक नियोजन क्या है ? आर्थिक नियोजन वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु योजनाएं बनाई जाती हैं। भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत "सोवियत संघ" के नियोजन पद्धति से प्रेरित मानी जाती है।  भारत में अभी तक कुल 12 पंचवर्षीय योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं (1951-2017)। भारत में आर्थिक नियोजन की चर्चा वर्ष 1934 से प्रारंभ हुई थी। एम. विश्वेशरैया को भारत का आर्थिक नियोजन का प्रणेता   कहा जाता है।  आर्थिक नियोजन के उद्देश्य संसाधनों का सही वितरण सुनिश्चित करना निर्धनता के चक्र को समाप्त करना बेरोजगारी को दूर करना आधारभूत संरचना का विकास करना कृषि और उद्योग का विकास करना सामाजिक न्याय के साथ विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना राजनीतिक लोकतंत्र के साथ-साथ लोकतंत्र को भी स्थापित करना। भारत में आर्थिक नियोजन को प्रक्रिया, अवधि और क्षेत्र के आधार पर बांटा गया है । प्रक्रिया के आधार पर केंद्रीकृत नियोजन - योजना को पूरा करने आदि का उत्तरदायित्व एक केंद्रीय संगठन पर होता है और सभी निर्णय केंद्र द्वारा

उत्तराखंड की प्रमुख योजनाएं

उत्तराखंड की प्रमुख योजनाऐं उत्तराखंड की टॉप 10 सबसे महत्वपूर्ण योजना उपयुक्त लेख में उत्तराखंड की प्रमुख योजनाओं की व्याख्या की गई है। जो उत्तराखंड की आगामी परीक्षाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं। अतः लेख को अन्त तक जरूर पढ़ें व उनसे संबंधित प्रश्नों के उत्तर दें ।  (1) मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित ‘मुख्यमंत्री आँचल अमृत योजना’ का शुभारंभ 7 मार्च 2019 को किया गया। हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए ‘मुख्यमंत्री आँचल अमृत योजना’ का पुन: शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने 11 बच्चों को दूध वितरित कर योजना का शुभारंभ किया। जिस कारण यह योजना प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से अत्यधिक हो जाती है। उद्देश्य मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना का पुन: शुभारंभ होने से बच्चों के विकास एवं उन्हें पर्याप्त पोषण मिलने में बड़ी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार माँ का आँचल बच्चे का धूपछाँव से बचाव करता है, उसी प्रकार ‘आँचल अमृत योजना’ बच्चों में कुपोषण को द

उत्तराखंड में नगर निगम परिषद - (कुल संख्या-09)

उत्तराखंड में नगर निगम परिषद - (कुल संख्या 09) उत्तराखंड में नगर निगम से अभिप्राय शहरी स्थानीय प्रशासन से है अर्थात शहरी क्षेत्र के लोगों द्वारा प्रतिनिधियों से बनी सरकार से है। नगरों के विकास के लिए 1992 में 74 वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान में नया 'अनुसूची -12'  को जोड़ा गया। जिनका उल्लेख संविधान के 'अनुच्छेद 243' में किया गया है । नगरपालिकाओं को अनुच्छेद 243Q के तहत् गठित करने का संविधानिक दर्जा दिया गया। उत्तराखंड में 'शहरी स्थानीय स्वशासन' को तीन स्तरों पर विभाजित किया गया है- 1. नगर पंचायत  नगर पंचायत में उस क्षेत्र को सम्मिलित किया जाता है जो ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में परिवर्तित होता है। इसके लिए 5000 से 50,000 तक जनसंख्या होना अनिवार्य माना जाता है। नगर पंचायत के सभी सदस्यों को सीधे नगर पंचायत क्षेत्र के लोगों ' प्रत्यक्ष निर्वाचन ' द्वारा निर्वाचित (चुनाव) किया जाता है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड) से लोगों द्वारा 'सभासदों' का चुनाव किया जाता है। जिसमें एक सभासद को नगर पंचायत का अध्यक्ष कहा जाता है। स्थानीय लोग नग

सकल घरेलू उत्पाद उत्तराखंड 2021 (GSDP)

      आर्थिक व्यवस्था                   (उत्तराखंड) उत्तराखंड राज्य का सकल घरेलू उत्पाद -(GSDP) आज हम उत्तराखंड के सकल घरेलू उत्पाद के बारे में जानेंगे कि राज्य सकल घरेलू उत्पाद क्या है। वित्तीय वर्ष 2019-20 राज्य के विभिन्न क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्र , द्वितीयक क्षेत्र एवं तृतीय क्षेत्र में योगदान कितना है। साथ ही जानेंगे जीईपी (GEP) क्या है? उत्तराखंड जीईपी लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है। वर्ष 2017-2018 में उत्तराखंड राज्य को खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए केंद्रीय कृषि विभाग द्वारा ' कृषि कर्मण पुरस्कार' दिया गया था। राज्य सकल घरेलू उत्पाद क्या है ? राज्य सकल घरेलू उत्पाद को अंग्रेजी में Gross State Domestic Product (GSDP) कहते हैं। जिस प्रकार किसी देश में एक वित्तीय वर्ष में देश की भौगोलिक सीमा के भीतर उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य का योग सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है। ठीक उसी प्रकार किसी राज्य में एक वित्तीय वर्ष में देश की भौगोलिक सीमा के भीतर उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य का योग 'राज्य स

बेरोजगारी क्या है ?

 बेरोजगारी क्या है ? "एक बेरोजगार व्यक्ति वह होता है जो अपनी योग्यता के अनुसार प्राप्त होने वाली मजदूरी की दर कार्य करने को तैयार है परंतु उसे कार्य नहीं मिल पाता। " बेरोजगारी की परिभाषा हर देश में अलग-अलग है। यूएसए यदि किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता के हिसाब से नौकरी नहीं मिलती है तो उसे बेरोजगार माना जाता है। बेरोजगारी के प्रकार विकासशील देश -   मौसमी बेरोजगारी , प्रच्छन्न बेरोजगारी,  संरचनात्मक बेरोजगारी पायी जाती है। विकसित देश - चक्रीय बेरोजगारी,  घर्षण बेरोजगारी, प्रतिरोधक बेरोजगारी (घर्षाणत्मक बेरोजगारी) के अन्य प्रकार ऐच्छिक बेरोजगारी , खुली या अनैच्छिक बेरोजगारी विकासशील देश मौसमी बेरोजगारी इस प्रकार की बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में पाई जाती है। (1) मौसमी बेरोजगारी कृषि में लगे लोगों को कृषि की जुताई बुआई कटाई आदि कार्यो के समय तो रोजगार मिलता है लेकिन जैसे ही कृषि कार्य खत्म हो जाता है तो कृषि में लगे लोग बेरोजगार हो जाते हैं।  (1) प्रच्छन्न बेरोजगारी प्रच्छन्न बेरोजगारी उसको कहते हैं। जिसमें कुछ लोगों की उत्पादकता शून्य होती है अर्थात उन लोगों को उस काम में से हटा दिया

शीत युद्ध - cold war (1945 -1989)

    शीत युद्ध - Cold War               (1948-1989) शीत युद्ध क्या है ?  शीत युद्ध के कारण और प्रभाव  द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दो महाशक्तियां संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ रूस के बीच तनाव उत्पन्न हो जाता है जिसे इतिहास में शीत युद्ध के नाम से जाना जाता है। शीतयुद्ध नामक शब्द का प्रयोग सबसे पहले "बर्नाडे बारूच" ने किया था जिन्हें "वाल्टर लिपमैन" भी कहा जाता है। शीत युद्ध की परिभाषाएं शीत युद्ध को अनेकों विद्वानों ने अपने अपने शब्दों में परिभाषित किया है - प्रवक्ता हंस जे- मॉरगेन्थाऊ  के अनुसार "शीत युद्ध पुरानी शक्ति राजनीति का नवीनीकरण है"। जोसेफ फ्रकेले  के अनुसार "शीत युद्ध दो बड़े राज्यों के बीच विद्वान गहरी प्रतियोगिता अर्थात चालू तथा प्रति चालू का सिलसिला माना जा सकता है"। आसान शब्दों में कहें तो शीतयुद्ध एक व्यापारिक संघर्ष था जहां दो देश एक-दूसरे पर प्रत्यक्ष रूप से आक्रमण नहीं करते थे। बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से नीचा दिखाने के लिए,  विरोधी राष्ट्र को कमजोर करने के लिए व युद्ध करने की तैयारी करते रहते थे। वास्तव में शीत युद्ध सर्वोच्

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

 संयुक्त राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद Evergreen topic - 2015 प्रश्नपत्र-2 प्रश्न संख्या -18 दोस्तों जब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता मिल नहीं जाती है। तब तक यह प्रश्न किसी ना किसी रूप में आता रहेगा। इसलिए प्रयास करते रहिए और मेरे द्वारा दिए गए उत्तर का मूल्यांकन कीजिए। प्रश्न संख्या 18 - संयुक्त राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट की खोज में भारत के समक्ष आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य बनने के लिए मूल ढांचे को समझना होगा । उसके बाद ही आने वाली बाधाओं को समझ सकते हैं । द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सभी राष्ट्रों ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए 1945 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थापना 51 सदस्य देशों के साथ की । जिसमें पांच स्थाई सदस्य  अमेरिका, रूस , ब्रिटेन , फ्रांस और चीन को बनाया गया । वहीं 10 अस्थाई सदस्यों का प्रावधान किया गया जो प्रत्येक 2 वर्षों में परिवर्तित होते रहेंगे। स्थाई सदस्य बनने की चुनाव प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य बनने के लिए दो तिहाई सदस्य देशों का समर्थन