श्यामलाताल : विवेकानंद आश्रम की मनमोहक शांति हिमालय की गोद में बसा विवेकानंद आश्रम, श्यामलाताल, उत्तराखंड के चम्पावत जिले का एक ऐसा रत्न है, जो प्रकृति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। समुद्र तल से लगभग 5,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह स्थल अपने आलौकिक सौंदर्य और शांति से हर किसी का मन मोह लेता है। यहाँ से टनकपुर-वनबसा और शारदा नदी घाटी के मनोरम दृश्यों के साथ-साथ नंदादेवी, पंचाचूली और नंदकोट जैसी बर्फीली चोटियों का लुभावना नजारा देखने को मिलता है, जो आत्मा को सुकून और आँखों को तृप्ति देता है। श्यामलाताल : एक झील का जादू आश्रम के ठीक निकट एक छोटी, परंतु अत्यंत आकर्षक झील है, जिसे श्यामलाताल के नाम से जाना जाता है। इस झील की लंबाई लगभग 500 मीटर और चौड़ाई 200 मीटर है। इसका गहरा श्याम वर्ण वाला जल इतना मनमोहक है कि स्वामी विवेकानंद ने स्वयं इसे 'श्यामलाताल' नाम दिया। झील के शांत जल में आसपास की हरी-भरी पहाड़ियों और नीले आकाश की छवि ऐसी दिखती है, मानो प्रकृति ने स्वयं एक कैनवास पर चित्र उकेरा हो। कैसे पहुँचें? विवेकानंद आश्रम, चम्पावत जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर ...
चार धाम की यात्रा (उत्तराखंड) (1) गंगोत्री (2) यमुनोत्री (3) केदारनाथ (4) बद्रीनाथ आपने मेरा आर्टिकल तीर्थ स्थल और पर्यटक जरूर पढ़ा होगा। जिसमें तीर्थ स्थलों का निर्माण एवं उद्देश्यों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है । और देश की सांस्कृतिक व आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में किस प्रकार तीर्थ स्थल सहायक है? उसी को आगे बढ़ाते हुए हम बात करेंगे। उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा कैसे करें? और कितना समय लग जाता है के बारे में जाने? यदि आपको अपने कार्य से 9 से 10 दिन का अवकाश मिलता है और आप तीर्थ यात्रा या फिर आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए कोई योजना बनाते हैं । तो मैं चाहूंगा कि आप जीवन में एक बार चार धाम की यात्रा जरूर करें। मैं यहां देवभूमि उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा का वर्णन विस्तार पूर्वक करूंगा । वैसे तो चार धामों की यात्रा एक साथ कर सकते हैं। लेकिन एक साथ चार धाम की यात्रा करेंगे, तो समय ज्यादा लग सकता है और यदि आप एक व्यवसायी या फिर कोई कर्मचारी या फिर कोई अधिकारी हैं तो आपको नुकसान भी हो सकता है । इसलिए मैं पहले ही बताना चाहूंग...