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महासागरों का अध्ययन

महासागरों का अध्ययन  देवभूमि उत्तराखंड द्वारा कक्षा 6 एनसीईआरटी भूगोल की पुस्तक से नोट्स तैयार किए जा रहे हैं। इस लेख में एनसीईआरटी पुस्तक और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का समावेशन किया गया है। इस लेख में विश्व में कितने महासागर हैं और उनके सीमांत सागरों के साथ प्रमुख जलसंधियों का उल्लेख किया गया है। अतः लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। साथ ही विश्व का मानचित्र साथ रखें।  पृष्ठभूमि  अक्सर फिल्मों में, गानों में, कविताओं में और जिंदगी के उन तमाम पन्नों में "सात समुद्र" का जिक्र सुना होगा। और तो और इस शब्द प्रयोग मुहावरों भी करते हैं। तो क्या आप जानते हैं "सात समुद्र" ही क्यों? और यदि बात सात समुद्र की जाती है तो वे कौन-से सात समुद्र हैं? यूं तो अंक सात का अपना एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व हैं । क्योंकि दुनिया में इंद्रधनुष के रग सात हैं, सप्ताह के दिन सात हैं, सप्तर्षि हैं, सात चक्र हैं, इस्लामी परंपराओं में सात स्वर्ग हैं, यहां तक कि दुनिया के प्रसिद्ध 7 अजूबे हैं। संख्या सात इतिहास की किताबों में और कहानियों में बार-बार आती है और इस वजह से...

उत्तराखंड में नगर निगम परिषद - (कुल संख्या-09)

उत्तराखंड में नगर निगम परिषद - (कुल संख्या 09)

उत्तराखंड में नगर निगम से अभिप्राय शहरी स्थानीय प्रशासन से है अर्थात शहरी क्षेत्र के लोगों द्वारा प्रतिनिधियों से बनी सरकार से है। नगरों के विकास के लिए 1992 में 74 वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान में नया 'अनुसूची -12' को जोड़ा गया। जिनका उल्लेख संविधान के 'अनुच्छेद 243' में किया गया है । नगरपालिकाओं को अनुच्छेद 243Q के तहत् गठित करने का संविधानिक दर्जा दिया गया।

उत्तराखंड में 'शहरी स्थानीय स्वशासन' को तीन स्तरों पर विभाजित किया गया है-

1. नगर पंचायत 

नगर पंचायत में उस क्षेत्र को सम्मिलित किया जाता है जो ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में परिवर्तित होता है। इसके लिए 5000 से 50,000 तक जनसंख्या होना अनिवार्य माना जाता है। नगर पंचायत के सभी सदस्यों को सीधे नगर पंचायत क्षेत्र के लोगों 'प्रत्यक्ष निर्वाचन' द्वारा निर्वाचित (चुनाव) किया जाता है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड) से लोगों द्वारा 'सभासदों' का चुनाव किया जाता है। जिसमें एक सभासद को नगर पंचायत का अध्यक्ष कहा जाता है। स्थानीय लोग नगर पंचायत अध्यक्ष को 'चेयरमैन' के नाम से जानते हैं। राज्य में कुल नगर पंचायत की संख्या 47 हैै। राज्य के तीन नगर पंचायत में चुनाव नहीं होते हैं यह मनोनीत होते हैं - बद्रीनाथ, गंगोत्री, केदारनाथ

2. नगर पालिका परिषद

नगरपालिका कस्बों और छोटे शहरों के प्रशासन के लिए स्थापित की जाती है । जिन नगरों की जनसंख्या मैदानों में 50,000 से 1 लाख तथा पर्वतीय क्षेत्रों में 90 हजार जनसंख्या है वहां नगरपालिका बन सकती है। जनसंख्या आधार पर नगर पंचायत को परिषद में परिवर्तित किया जाता है। नगर पंचायत की भांति नगरपालिका के सभी सदस्यों का चुनाव 'प्रत्यक्ष निर्वाचन' अर्थात लोगों द्वारा चुना जाता है। जिन्हें 'सभासद' कहा जाता है। नगरपालिका के मुखिया को "चेयरमैन या नगरपालिका अध्यक्ष" कहा जाता है। चुनाव के उद्देश्य से प्रत्येक नगरपालिका को भी वार्डो में बांटा जाता है। नगरपालिका का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। उत्तराखंड में मसूरी नगरपालिका परिषद का गठन 1842 में हुआ था यह राज्य की सबसे पुरानी नगर पालिका परिषद है। राज्य में सब सबसे छोटी नगरपालिका कीर्तिनगर पालिका परिषद है। 

3. नगर निगम परिषद

नगर निगम का निर्माण बड़े शहरों जैसे - दिल्ली, मुंबई,  हैदराबाद, बेंगलुरु तथा अन्य शहरों के लिए है । किसी भी नगरपालिका को नगर निगम में परिवर्तित करने के लिए कम से कम  किसी पर्वतीय शहर की जनसंख्या 90,000 से अधिक  व मैदानी क्षेत्रों में 1,00,000 से अधिक होनी चाहिए। नगर निगम परिषद के मुखिया को 'महापौर' या 'मेयर' कहा जाता है। उसकी सहायता के लिए 'उपमहापौर' होता है। महापौर का चुनाव 'प्रत्यक्ष निर्वाचन' अर्थात इन्हें भी सीधे जनता द्वारा चुना जाता है। लेकिन नगर निगम परिषद में जनता द्वारा चुने प्रतिनिधि को 'पार्षद' कहा जाता है। ज्यादातर राज्यों में महापौर का चुनाव 1 साल के नवीकरणीय कार्यकाल के लिए होता है।



उत्तराखंड में नगर निगम परिषद

नया नगर निगम परिषद - श्रीनगर (31 दिसंबर 2021)

हाल ही में उत्तराखंड में कुल नगर निगमों की संख्या 8 से बढ़ाकर 9 हो गई है । 31 दिसंबर 2021 में नया नगर निगम "श्रीनगर" को बनाया गया है । उत्तराखंड राज्य की शुरुआत से ही प्रशासन व्यवस्था केंद्र से भिन्न रहा। यहां जब किसी नगर पालिका को नगर निगम में परिवर्तित किया जाता है तो जनसंख्या को आधार न मानकर बुनियादी ढांचा और शहरी व्यवस्था को आधार माना जाता है और नगर पालिका को नगर निगम में परिवर्तित किया जाता है। क्योंकि जनसंख्या की बात करें तो एकमात्र देहरादून नगर निगम ऐसा है जिसकी जनसंख्या 5.30 लाख है। अन्य सभी आठों नगर निगम की जनसंख्या 5 लाख से कम है अभी तक उत्तराखंड में कुल नगर निगमों की संख्या 09 है। जो इस प्रकार हैं

           नगरपालिका    -   नगर निगम

  1. देहरादून (1867)   - 2003 (पुर्नगठित)
  2. हल्द्वानी  (1942)  - 2011
  3. हरिद्वार  (1868)   - 2011
  4. रूद्रपुर                 - 2013
  5. काशीपुर  (1872) - 2013
  6. रुड़की  (1868)   - 2013
  7. ऋषिकेश             - 2017
  8. कोटद्वार              -  2017
  9. श्रीनगर                - 31 दिसंबर 2021
उत्तराखंड राज्य के गठन से पूर्व देहरादून को 9 दिसंबर 1998 मेंं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नगर निगम का दर्जा दिया गया। देहरादून राज्य का सबसे बड़ा और पुराना नगर निगम है, जब कि वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने पर देहरादून का नगर निगम का दर्जा समाप्त कर दिया गया और वर्ष 2003 में उत्तराखंड सरकार द्वारा देहरादून को पुनर्गठित कर इसे नगर निगम घोषित किया गया। वर्ष 2011 में हरिद्वार और हल्द्वानी नगरपालिकाओं को नगर निगम बनाने के बाद राज्य सरकार ने 2013 में रुद्रपुर, काशीपुर और रुड़की को, और फिर 2017 में ऋषिकेश और कोटद्वार एवं 31 दिसंबर 2021 को श्रीनगर की नगरपालिका को भी नगर निगम का दर्ज़ा दे दिया।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • उत्तराखंड का सबसे बड़ा और पहला नगर निगम "देहरादून" है जिसकी स्थापना 2003 में की गई थी। देहरादून नगर निगम में वार्डो की संख्या 100  हैं । जहां 5.50 लाख से अधिक आबादी रहती है।
  • उत्तराखंड का आठवां नगर निगम "कोटद्वार" है जिसकी स्थापना 2017 में की गई थी।
  • उत्तराखंड का नौवां नगर निगम "श्रीनगर" है जिसकी स्थापना 2021 में की गई है।
  • भारत का सबसे बड़ा नगर निगम दिल्ली है।
  • भारत का पहला नगर निगम मद्रास है जिसकी स्थापना 1687-88 में हुई थी।
  • इसके अलावा ग्रामीण विकास के लिए 1992 में 73 वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान में नयी 'अनुसूची -11 को' जोड़ा गया। जिसमें गांवों के विकास के ग्राम पंचायतों का निर्माण कराया गया। ग्राम पंचायतों के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 
  • पंचायती राज व्यवस्था - (73 वां संविधान संशोधन)
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