सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Uttarakhand Current Affairs (Part -2)

उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2025  नवंबर माह के सभी महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स  (भाग -2) प्रश्न 11 : डब्ल्यूएचओ कोलाबोरेटिंग सेंटर फॉर इमरजेंसी एंड ट्रोमा केयर, एम्स दिल्ली द्वारा नैनीताल में किस सम्मेलन का आयोजन किया गया? a) विज्ञान कांग्रेस 2025 b) बौद्धा सम्मेलन 2025 c) पीजी आइकॉन 2025 d) अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन 2025 व्याख्या: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल के काया आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, भुजियाघाट में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 'पीजी आइकॉन 2025' का शुभारंभ किया। इस सम्मेलन का आयोजन पाल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट, हल्द्वानी द्वारा डब्ल्यूएचओ कोलाबोरेटिंग सेंटर फॉर इमरजेंसी एंड ट्रोमा केयर, एम्स दिल्ली के सहयोग से किया गया।  राज्य सरकार का लक्ष्य उत्तराखंड को वेलनेस टूरिज्म और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रमुख केंद्र बनाना है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए गढ़वाल और कुमाऊं में एक-एक इकोनॉमिक स्पिरिचुअल जोन स्थापित किए जाएँगे। c) पीजी आइकॉन 2025 प्रश्न 12 : 'आदर्श चंपावत' लोगो के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है? a)...

Uttarakhand Current Affairs (Part -2)

उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2025  नवंबर माह के सभी महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स  (भाग -2) प्रश्न 11 : डब्ल्यूएचओ कोलाबोरेटिंग सेंटर फॉर इमरजेंसी एंड ट्रोमा केयर, एम्स दिल्ली द्वारा नैनीताल में किस सम्मेलन का आयोजन किया गया? a) विज्ञान कांग्रेस 2025 b) बौद्धा सम्मेलन 2025 c) पीजी आइकॉन 2025 d) अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन 2025 व्याख्या: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल के काया आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, भुजियाघाट में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 'पीजी आइकॉन 2025' का शुभारंभ किया। इस सम्मेलन का आयोजन पाल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट, हल्द्वानी द्वारा डब्ल्यूएचओ कोलाबोरेटिंग सेंटर फॉर इमरजेंसी एंड ट्रोमा केयर, एम्स दिल्ली के सहयोग से किया गया।  राज्य सरकार का लक्ष्य उत्तराखंड को वेलनेस टूरिज्म और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रमुख केंद्र बनाना है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए गढ़वाल और कुमाऊं में एक-एक इकोनॉमिक स्पिरिचुअल जोन स्थापित किए जाएँगे। c) पीजी आइकॉन 2025 प्रश्न 12 : 'आदर्श चंपावत' लोगो के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है? a)...

Uttarakhand current affairs 2025 (November)

उत्तराखंड नवंबर माह करेंट अफेयर्स 2025  वर्तमान परीक्षाओं में पिछले दो वर्षों के बीच घटित घटनाओं से प्रश्न पूछे गये हैं। इसलिए देवभूमि उत्तराखंड ने यह निर्णय लिया है कि बीते दो वर्ष के सभी उत्तराखंड स्पेशल करेंट अफेयर्स उपलब्ध कराए जाएंगे। सभी करेंट अफेयर्स वर्तमान पैटर्न पर आधारित होंगे किंतु साथ में व्याख्या भी की जाएगी। तथा अभ्यास हेतु आप हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ सकते हैं। Uttarakhand Current Affairs 2025 जनवरी से दिसम्बर तक........ कुल 2000 + बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ प्रश्न 1. भूभौतिकीय वेधशाला (MPGO) का मुख्य उद्देश्य क्या है? a) मौसम पूर्वानुमान b) भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं के लिए अग्रिम चेतावनी c) कृषि उत्पादन बढ़ाना d) पर्यटन विकास व्याख्या : नवंबर 2025 में (MPGO) उत्तराखंड के मसूरी में भारतीय भूचुंबकता संस्थान द्वारा बहुआयामी भूभौतिकीय वेधशाला (MPGO) की स्थापना का शिलान्यास किया गया है। यह हाईटेक वेधशाला सर्वे ऑफ इंडिया कैंपस, लैंडौर रोड पर स्थापित की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य हिमालयी क्षेत्रों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम) में आने वाले भूकंप, भू...

Current affairs 2026 (Part -01)

करेंट अफेयर्स 2026  नवंबर माह के राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स  बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (MPI) 2025  सूचकांक का परिचय जारीकर्ता: यह सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया जाता है। मापदंड: यह निर्धनता को तीन आयामों (स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर) तथा 10 संकेतकों के आधार पर मापता है।  निर्धनता की परिभाषा: यदि कोई व्यक्ति इन 10 संकेतकों में से एक तिहाई (1/3) या अधिक में वंचना (Deprivation) का सामना करता है, तो उसे बहुआयामी निर्धन माना जाता है। वैश्विक निष्कर्ष निर्धन आबादी: अध्ययन की गई 6.3 बिलियन आबादी में से लगभग 1.1 बिलियन लोग बहुआयामी निर्धनता में जीवन यापन कर रहे हैं। क्षेत्रीय संकेंद्रण: बहुआयामी निर्धनता में रहने वाले लोगों में से 83.2% आबादी केवल दो क्षेत्रों में केंद्रित है: उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र दक्षिण एशिया क्षेत्र भारत की स्थिति एवं प्रगति निर्धनता में कमी (उपलब्धि): भारत में बहुआयामी निर्धनता दर 55.1% (2005-06) से घटकर 16.4% (2019-21) हो गई है। गरीबी से बाहर:...

राजी जनजाति का संपूर्ण परिचय (Raaji Janjaati)

राजी जनजाति का संपूर्ण  परिचय  उत्तराखंड की जनजातियां (भाग - 5) राजी जनजाति उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों में निवास करने वाली एक अत्यंत छोटी और लुप्तप्राय अनुसूचित जनजाति है। इसे "बनरौत" या "जंगल का राजा" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ये लोग मुख्यतः जंगलों में रहते हैं और प्रकृति के साथ गहरा जुड़ाव रखते हैं। राजी जनजाति की आबादी बहुत कम है, और यह विलुप्त होने के कगार पर है, जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसकी स्थिति पर चिंता जताई है।  राजी जनजाति उत्तराखंड की सबसे प्राचीन और आदिम जनजातियों में से एक है। यह माना जाता है कि ये लोग प्राचीन काल से पिथौरागढ़ और चंपावत के जंगलों में निवास करते आए हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि राजी जनजाति का संबंध प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉयड या ऑस्ट्रो-एशियाटिक समूहों से हो सकता है, जो प्राचीन भारत में बसे थे। उनकी बोली, जिसे "मुण्डा" कहा जाता है, में तिब्बती और संस्कृत शब्दों की अधिकता देखी जाती है, जो उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों को दर्शाती है। राजी जनजाति के लोग काष्ठ कला में निपुण होते हैं और उनके आवासों क...

टनकपुर हिल स्टेशन : कुमाऊं का पूर्वी द्वार

कुमाऊं का पूर्वी द्वार : टनकपुर  उत्तराखंड की धरती का एक अनमोल रत्न — टनकपुर,  चंपावत जिले का सबसे घनी आबादी वाला नगर और एक प्रमुख रेलवे स्टेशन। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी यह इलाका सिर्फ घने वनों का घर था?  आइए, चलें एक ऐसे सफर पर जहाँ ब्रह्मा का यज्ञ, अंग्रेजों की बसाहट, और हिमालय की हवाओं की खुशबू मिलकर एक बनी है अनोखी कहानी  वन से नगर तक : टनकपुर का जन्म उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक, यह इलाका पूर्णतः वनों से आच्छादित था। नेपाल की सीमा से सटा टनकपुर उस समय एक छोटा-सा गाँव था। यहाँ से तीन मील दूर कत्यूरी वंश के अंतिम राजा द्वारा ब्रह्मदेव मंडी स्थापित की गई थी। किन्तु प्रकृति की लीला देखिए, एक दिन भूस्खलन ने पूरी मंडी को जमीन में समा दिया। आज उस नगर के सिर्फ नाम और कथाएँ ही शेष हैं। ब्रह्मा का यज्ञ और रहस्यमयी कांकर घाट लोककथाओं के अनुसार, कभी सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने शारदा नदी के तट पर, कांकर घाट में एक विशाल यज्ञ किया था। आज भी वहाँ प्राचीन यज्ञस्थली, हवनकुंड और नगर के भग्नावशेष बिखरे हैं मानो अतीत की कहानियाँ हवा में तैर रही हों। यही नहीं, कहा जाता है कि गढ़...

बाणासुर का किला — इतिहास, रहस्य और गौरव की कहानी

बाणासुर का किला — इतिहास, रहस्य और गौरव की कहानी स्थान और सौंदर्य लोहाघाट से लगभग पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाणासुर का किला आज भग्नावस्था में होने के बावजूद अपनी प्राचीन भव्यता का एहसास कराता है। यह जनपद चंपावत के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक है। किले के उत्तर में हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाएँ,  दक्षिण में मायावती आश्रम,  और नीचे की ओर हरे-भरे समतल खेत इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और भी मनमोहक बनाते हैं। अद्वितीय स्थापत्य कला कहा जाता है कि बाणासुर ने शोणितपुर की इस ऊँची पर्वत चोटी पर अपने साम्राज्य की रक्षा हेतु यह किला बनवाया था। पूरी पहाड़ी को तराशकर तैयार किया गया यह किला चारों ओर से मज़बूत दीवारों से घिरा हुआ था। किले की लंबाई लगभग 90 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर है। दीवारों में दुश्मन पर नज़र रखने के लिए सुरंगें और ऊँचे मंच बनाए गए थे। किले के भीतर पाँच भवनों के अवशेष आज भी दिखाई देते हैं। यहाँ के कुएँ में उतरने के लिए 32 सीढ़ियाँ बनी हैं, जो उस समय की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। बाणासुर — शक्ति और अहंकार का प्रतीक बाणासुर, राजा बलि का सबसे बड़ा पुत्र था। उसने भगवा...

देवभूमि उत्तराखंड स्थापना दिवस पर स्लोगन

उत्तराखंड स्थापना दिवस पर स्लोगन  उत्तराखंड, देवभूमि की यह पावन धरती, 9 नवंबर 2000 को अपने स्वतंत्र अस्तित्व में आई। इस अवसर पर, उत्तराखंड के समृद्ध विकास और जीवंत संस्कृति को समर्पित 30 स्लोगन और कविताएं प्रस्तुत हैं। ये रचनाएं राज्य की प्रगति, प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विरासत और भविष्य की आशाओं को प्रतिबिंबित करती हैं। 30 स्लोगन (उत्तराखंड के विकास और संस्कृति पर) “जहाँ हर पर्वत बोल उठे — पहाड़ हमारी पहचान, संस्कृति हमारा अभियान” 🌿‌ देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक विरासत और संस्कृति से प्रेरित स्लोगन उत्तराखंड स्थापना दिवस (रजत जयंती – 25 वर्ष) विशेष स्लोगन “25 वर्षों की गौरवगाथा – देवभूमि की अद्भुत परिभाषा!” (राज्य की उपलब्धियों और पहचान का गौरव) “पर्वतों से ऊँचा हमारा मान – यही है उत्तराखंड की पहचान!” (गौरव और आत्मसम्मान का संदेश) “संघर्ष से सफलता तक का सफर – जय जय उत्तराखंड अमर!” (संघर्षशील भावना का सम्मान) “रजत जयंती का ये उत्सव महान – आओ मिलकर करें देवभूमि का सम्मान!” (सामूहिक उत्सव का आह्वान) “हर घाटी, हर गाँव में गूँजे स्वर – उत्तराखंड जिंदाबाद सदा अमर!” (लोकएकता और प्रद...

उत्तराखंड स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण (रजत जयंती)

उत्तराखंड स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण (रजत जयंती) हिमालय की गोद में बसी देवभूमि उत्तराखंड आज अपने राज्य स्थापना दिवस पर 25वीं वर्षगांठ, यानी रजत जयंती मना रही है। 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आया यह राज्य, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक लंबे आंदोलन का परिणाम था। 25 वर्षों में उत्तराखंड ने न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति भी हासिल की। इस रजत जयंती के अवसर पर देहरादून में आयोजित भव्य समारोहों ने राज्य की एकजुटता और भविष्य की आकांक्षाओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। एक नजर में 25 वर्षों का सफर उत्तराखंड का गठन राज्य आंदोलनकारियों के बलिदान और जनता की एकजुटता का प्रतीक है। चिपको आंदोलन से लेकर राज्य निर्माण तक, यह भूमि पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और लोकतांत्रिक संघर्ष की कहानी कहती है। पिछले 25 वर्षों में राज्य की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) 12.69 प्रतिशत रही, जो राष्ट्रीय औसत से चार गुना अधिक है। किसानों की आय वृद्धि में देश में ...