श्यामलाताल : विवेकानंद आश्रम की मनमोहक शांति हिमालय की गोद में बसा विवेकानंद आश्रम, श्यामलाताल, उत्तराखंड के चम्पावत जिले का एक ऐसा रत्न है, जो प्रकृति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। समुद्र तल से लगभग 5,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह स्थल अपने आलौकिक सौंदर्य और शांति से हर किसी का मन मोह लेता है। यहाँ से टनकपुर-वनबसा और शारदा नदी घाटी के मनोरम दृश्यों के साथ-साथ नंदादेवी, पंचाचूली और नंदकोट जैसी बर्फीली चोटियों का लुभावना नजारा देखने को मिलता है, जो आत्मा को सुकून और आँखों को तृप्ति देता है। श्यामलाताल : एक झील का जादू आश्रम के ठीक निकट एक छोटी, परंतु अत्यंत आकर्षक झील है, जिसे श्यामलाताल के नाम से जाना जाता है। इस झील की लंबाई लगभग 500 मीटर और चौड़ाई 200 मीटर है। इसका गहरा श्याम वर्ण वाला जल इतना मनमोहक है कि स्वामी विवेकानंद ने स्वयं इसे 'श्यामलाताल' नाम दिया। झील के शांत जल में आसपास की हरी-भरी पहाड़ियों और नीले आकाश की छवि ऐसी दिखती है, मानो प्रकृति ने स्वयं एक कैनवास पर चित्र उकेरा हो। कैसे पहुँचें? विवेकानंद आश्रम, चम्पावत जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर ...
भारत के वायसराय (भाग -03) (1858 से 1847) भारत के ब्रिटिश गवर्नर जनरल के बाद भारत के वायसराय के रूप में 18 वायसराय ने 1858 से 1847 तक शासन किया। जिसमें सर्वाधिक प्रमुख थे - लार्ड रिपन, लॉर्ड लैंसडाउन , लार्ड कर्जन, लॉर्ड इरविन और लॉर्ड माउंटबेटन थे। लार्ड कैनिंग (1856-1862) भारत का अन्तिम गर्वनर और भारत का प्रथम वायसराय। लार्ड कैनिंग को प्रथम वायसराय बनने के बाद भारतीय दण्ड संहिता -1861 एक्ट लाया गया था। आर्थिक सुधार के लिए अर्थशास्त्री विल्सन को बुलाया गया । इसके अलावा नोट (₹) का प्रचलन शुरू किया गया। लार्ड एल्गिन (1862-1863) इसके कार्यकाल में बहावी आन्दोलन का दमन -1862 सर जॉन लारेंस (1863 -1869) लॉर्ड लॉरेंस के शासनकाल में भूटान की सेना ने ब्रिटिश साम्राज्य पर सन् 1865 में आक्रमण किया। इस युद्ध में अंग्रेजी सेना ने भूटान को पराजित किया और संधि करने पर विवश किया। लॉरेंस द्वारा अफगानिस्तान के प्रति अहस्तक्षेप की नीति अपनाई गई । जिसे 'शानदार निष्क्रियता' के नाम से जाना गया। भारत तथा यूरोप के बीच प्रथम समुंद्री टेलीग्राफ सेवा -1865 इसके शासनकाल में उड़ीसा (1866) और बुंदेलखंड ...