करेंट अफेयर्स 2026 नवंबर माह के राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (MPI) 2025 सूचकांक का परिचय जारीकर्ता: यह सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया जाता है। मापदंड: यह निर्धनता को तीन आयामों (स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर) तथा 10 संकेतकों के आधार पर मापता है। निर्धनता की परिभाषा: यदि कोई व्यक्ति इन 10 संकेतकों में से एक तिहाई (1/3) या अधिक में वंचना (Deprivation) का सामना करता है, तो उसे बहुआयामी निर्धन माना जाता है। वैश्विक निष्कर्ष निर्धन आबादी: अध्ययन की गई 6.3 बिलियन आबादी में से लगभग 1.1 बिलियन लोग बहुआयामी निर्धनता में जीवन यापन कर रहे हैं। क्षेत्रीय संकेंद्रण: बहुआयामी निर्धनता में रहने वाले लोगों में से 83.2% आबादी केवल दो क्षेत्रों में केंद्रित है: उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र दक्षिण एशिया क्षेत्र भारत की स्थिति एवं प्रगति निर्धनता में कमी (उपलब्धि): भारत में बहुआयामी निर्धनता दर 55.1% (2005-06) से घटकर 16.4% (2019-21) हो गई है। गरीबी से बाहर:...
राजी जनजाति का संपूर्ण परिचय उत्तराखंड की जनजातियां (भाग - 5) राजी जनजाति उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों में निवास करने वाली एक अत्यंत छोटी और लुप्तप्राय अनुसूचित जनजाति है। इसे "बनरौत" या "जंगल का राजा" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ये लोग मुख्यतः जंगलों में रहते हैं और प्रकृति के साथ गहरा जुड़ाव रखते हैं। राजी जनजाति की आबादी बहुत कम है, और यह विलुप्त होने के कगार पर है, जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसकी स्थिति पर चिंता जताई है। राजी जनजाति उत्तराखंड की सबसे प्राचीन और आदिम जनजातियों में से एक है। यह माना जाता है कि ये लोग प्राचीन काल से पिथौरागढ़ और चंपावत के जंगलों में निवास करते आए हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि राजी जनजाति का संबंध प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉयड या ऑस्ट्रो-एशियाटिक समूहों से हो सकता है, जो प्राचीन भारत में बसे थे। उनकी बोली, जिसे "मुण्डा" कहा जाता है, में तिब्बती और संस्कृत शब्दों की अधिकता देखी जाती है, जो उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों को दर्शाती है। राजी जनजाति के लोग काष्ठ कला में निपुण होते हैं और उनके आवासों क...