लिंग वचन और कारक (हिन्दी नोट्स भाग - 04) देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर हिन्दी के महत्वपूर्ण नोट्स तैयार किए गए हैं। साथ ही टॉपिक से सम्बन्धित टेस्ट सीरीज उपलब्ध है। सभी नोट्स पीडीएफ में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। 9568166280 संज्ञा के विकार संज्ञा शब्द विकारी होते हैं यह विकार तीन कारणों से होता है लिंग वचन कारक लिंग लिंग का अर्थ है - 'चिन्ह'। संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में यह बोध हो कि वह पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का, उसे लिंग कहते हैं। जैसे - पिता, पुत्र, घोड़ा, बैल, अध्यापक आदि में पुरुष जाति का बोध है। और माता, पुत्री, घोड़ी, गाय आदि में स्त्री जाति का बोध है। संस्कृत के नपुंसक लिंग का समाहार पुलिंग में हो जाने से हिंदी में दो ही लिंग हैं। पुल्लिंग स्त्रीलिंग पुल्लिंग : वह संज्ञा या सर्वनाम जो नर (पुरुष) का बोध कराता है, उसे पुल्लिंग कहा जाता है। जैसे - लड़का, आदमी, घोड़ा, राजा, आदि। नियम देशों, प्रदेशों, नगरों, वृक्षों, पर्वतों, धातुओं, द्रव पदार्थों के नाम पुलिंग होते हैं। जैसे - भारत, जापान
महात्मा गांधी (1869-1947)
ऐसी कोई प्रतियोगी परीक्षा नहीं है जिसमें महात्मा गांधी से संबंधित प्रश्न ना आया हो? महात्मा गांधी की जीवनी से लेकर उनके समस्त आंदोलनों का हमें पूर्ण ज्ञान होना अति आवश्यक है। इसलिए आज के लेख में हम आपको महात्मा गांधी के सभी आंदोलनों के बारे में बताएंगे। अतः लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें
प्रथम भाग में महात्मा गांधी की जीवनी तथा द्वितीय भाग में महात्मा गांधी आंदोलन और अंततः तृतीय भाग में महात्मा गांधी से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे।
महात्मा गांधी का राष्ट्रीय आंदोलन में क्या योगदान था?
आधुनिक भारत के इतिहास में महात्मा गांधी सर्वाधिक लोकप्रिय महापुरुष है। जिनका अपना एक इतिहास है जिसे देश के प्रत्येक नागरिक को अवश्य ही पढ़ना चाहिए क्योंकि भारत को स्वतंत्र कराने में सबसे अधिक योगदान महात्मा गांधी का रहा है।
महात्मा गांधी राजनीतिज्ञ संगठन करता एवं सुधारक थे आदर्शवादी राजनीतिज्ञ थे उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के बल पर देश की जनता को एकत्रित कर अंग्रेजी साम्राज्य से टक्कर ली और अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश किया।
जीवन परिचय
महात्मा गांधी के बचपन का नाम मोहनदास करमचंद गांधी था उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को काठियावाड़ में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था भारत में शिक्षा ग्रहण करने के बाद इन्हें इंग्लैंड वकालत पढ़ने के लिए भेजा गया, वहां से बैरिस्टर बनकर भारत लौटे।
गांधी जी के राजनीतिक जीवन का आरंभ दक्षिण अफ्रीका से हुआ। जहां वे वकील की हैसियत से गए थे दक्षिण भारत में भारतीयों को दशा बहुत खराब थी। भारत की भांति ही वहां भी अंग्रेजी सरकार की हुकूमत थी। अंग्रेजी सरकार वहां के स्थायी निवासियों और भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार करती थी। उन्होंने कहा कि सरकार के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन चलाया और भारतीयों को उनके अधिकार दिलवाए।
गांधी जी का भारत में आगमन - 9 जनवरी 1915
महात्मा गांधी भारत की स्वतंत्रत आंदोलन के सूत्रधार थी उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अनेक आंदोलन का नेतृत्व किया और स्वतंत्र आंदोलन को जन आंदोलन का रूप दिया । गांधी व देश की जनता के अथक प्रयासों से भारत स्वतंत्र हुआ। महात्मा गांधी का राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।
चंपारण आंदोलन - 19 अप्रैल 1917
गांधी जी का भारत में सबसे पहला आंदोलन चंपारण आंदोलन था जो किसानों के हित के लिए था। चंपारण (बिहार) में अंग्रेजों (बागान मालिक) ने किसानों पर बहुत अत्याचार कर रहे थे। गांधी को जब पता चला तो वे चंपारण गए । उस समय चंपारण में तिनकठिया पद्धति प्रचलित थी जिसके अनुसार किसानों को अपनी भूमि के 3/20 हिस्से में नील की खेती करने की बाध्यता थी। ज्यादातर बागान मालिक अंग्रेज होते थे। जो किसानों से कम कीमतों में फसल खरीद लेते थे। वहां के किसानों की समस्या सुनकर आंदोलन शुरू किया। चंपारन में तैनात कमिश्नर ने गांधीजी को वहां से जाने का आदेश दिया। लेकिन गांधी जी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया अंत में वहां के कमिश्नर को झुकना पड़ा। गांधीजी की प्रतिष्ठा हर देश में बढ़ गई ।
अहमदाबाद आन्दोलन - 22 फरवरी 1918
चंपारण आंदोलन के बाद गांधीजी अहमदाबाद गए वहां पर मजदूरों की समस्या सुनकर अहमदाबाद के मिल मालिकों से वेतन बढ़ाने का आग्रह किया लेकिन मिल मालिकों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया तत्पश्चात गांधी जी ने वहां आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया अंततः मिल मालिकों को वेतन बढ़ाना पड़ा।
खेड़ा सत्याग्रह - 22 मार्च 1918
अहमदाबाद मिल हड़ताल के 7 दिन बाद 22 मार्च 1918 को खेड़ा सत्याग्रह शुरू किया गया। गांधी जी ने खेड़ा के किसानों की समस्या सुनी। क्योंकि वहां किसानों की फसलें वर्षा न होने के कारण नष्ट हो गई थी । भयंकर अकाल पड़ने से फसल का चौथा हिस्सा भी नहीं हुआ था फिर भी अंग्रेज अधिकारी पूरा कर वसूल रहे थे। जिसके कारण किसान बहुत परेशान थे। 22 मार्च 1918 में गांधी जी और वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में 'कर नहीं दो' आंदोलन चलाया गया जिसे इतिहास में खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया और इसमें किसानों को सफलता मिली।
गांधी जी द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत
गांधीजी के शुरुआती आंदोलन सफल होने के कारण सर्वाधिक चर्चित एवं प्रमुख नेता बन गए। इसी समय भारत में रॉलेक्ट एक्ट 1919 पारित हुआ जो भारतीयों का शोषण करने के उद्देश्य से लागू किया गया था। इसके विरोध में ही गांधी जी द्वारा भारत में व्यापक स्तर पर स्वतंत्रता के लिए आंदोलन शुरू किए गए -
असहयोग आंदोलन - 1 अगस्त 1919
गांधी जी द्वारा 1 अगस्त 1920 में असहयोग आंदोलन का शुरू किया गया। बाद में आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में 4 सितंबर 1920 को पारित हुआ। तत्पश्चात कांग्रेस ने इसे औपचारिक आंदोलन स्वीकृत किया। गांधी जी द्वारा रॉलेक्ट एक्ट 1919 के विरोध में असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। क्योंकि यह एक ऐसा कानून था जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना किसी कारण से बंदी बनाया जा सकता था। गांधी जी ने इस एक्ट के विरोध में 1 दिन के लिए आम हड़ताल की घोषणा की । 13 अप्रैल 1919 ईस्वी में अमृतसर के जलियांवाला बाग में आम सभा बुलाई गई। जनरल डायर ने एकत्रित स्त्रियों को पुरुषों तथा बच्चों को गोलियों से भून डाला । इस घटना से दुखी होकर गांधीजी ने 1920 ईस्वी में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में प्रस्ताव पेश किया । प्रस्ताव पेश करते हुए गांधीजी ने आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्र भारत रखा।
इस आंदोलन के अंतर्गत गांधीजी ने केसर ए हिंद की उपाधि वापस कर दी । सरकारी स्कूलों के छात्रों ने पढ़ना छोड़ दिया। वकीलों ने वकालत छोड़ दी । विदेशी माल का बहिष्कार किया गया। आंदोलन 1 वर्ष से पूरे जोरों पर था। उसी समय गोरखपुर में 4 फरवरी 1922 को चोरी चौरा में हिंसात्मक घटना घटित हो जाती है। भारतीयों ने एक पुलिस चौकी में आग लगा दी थी और थानेदार सिपाहियों सहित 22 पुलिस कर्मचारियों को मार डाला। इस घटना से दुखी गांधी जी ने अपना आंदोलन वापस कर दिया। गांधीजी के इस कदम का सारे देश में विरोध हुआ। 3 मार्च को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया । और वर्ष 1925 ई. जेल से मुक्त कर दिया गया।
देश में असहयोग आंदोलन के समकालीन खिलाफत आंदोलन शुरुआत पहले ही मार्च 1919 में हो चुकी थी । सितंबर 1920 में कोलकाता अधिवेशन के दौरान गांधी जी ने इसमें सहयोग किया और आंदोलन की सराहना की। खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की खलीफा के पद को पुनः स्थापित करना था तथा धार्मिक श्रेत्रों के प्रतिबंधों को हटाना था। खिलाफत आंदोलन की शुरुआत मोहम्मद अली और शौकत अली द्वारा लखनऊ से की गई थी।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन - 6 अप्रैल 1930
गांधीजी ने कमीशन का विरोध करने की सारे देशवासियों से अपील की 26 जनवरी 1930 को गांधी जी के नेतृत्व में स्वराज्य दिवस मनाने का निश्चय किया गया। गांधीजी ने अंग्रेजो के सामने नेहरू रिपोर्ट पेश की जिस को अस्वीकार कर दिया गया इससे निराश होकर गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ कर दिया । 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने दांडी यात्रा प्रारंभ की तथा 6 अप्रैल 1930 को नमक कानून तोड़ा सरकार ने हजारों देशभक्तों को जेल में बंद कर दिया गांधी जी को बंदी बना लिया गया।
भारत छोड़ो आंदोलन - 8 अगस्त 1942
1942 ईस्वी में गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन का नारा लगाया। गांधीजी की आवाज सारे देश की आवाज बन गई । यह प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 ईस्वी को कांग्रेस द्वारा पारित हुआ। 9 अगस्त को गांधी जी को बंदी बना लिया गया। देश में मारकाट तोड़फोड़ लूटमार आदि की घटनाएं घटित हुई । 1944 में गांधी जी को जेल से मुक्त कर दिया गया। मुक्त होने के पश्चात गांधीजी ने इस बात का प्रयास किया कि भारत का विभाजन ना हो लेकिन प्रयास करने पर भी गांधीजी इस विभाजन को ना रोक सके । गांधीजी के प्रयासों के 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा एवं शांतिपूर्ण आंदोलन का प्रयोग किया। पराधीनता की बेड़ियों को काटकर एक शक्तिशाली साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करने का यह तरीका इतिहास में अनोखा था। इसके लिए महात्मा गांधी गांधीजी की विश्व को एक महान देन है। महात्मा गांधी का व्यक्ति बड़ा ही आकर्षक और प्रभावशाली था । उन्होंने भारत को अशिक्षित सुसुप्त एवं दरिद्र जनता में जागृति भर दी। उन्होंने जिन उपायों को अपनाया वे उन उपायों द्वारा ही बड़े लोकप्रिय नेता बन गए।गांधीजी के राजनीति में पदार्पण से पूर्व कांग्रेसी केवल शिक्षित वर्ग की संस्था थी। गांधीजी ने इसको व्यापकता प्रदान कर जनता की संस्था के रूप में परिवर्तित कर दिया। राष्ट्रीय आंदोलन में जन आंदोलन का रूप धारण किया इस प्रकार आंदोलन में भाग लेने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती है।
गांधी जी के आन्दोलनों से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न -
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