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उत्तराखंड लोकगीत और‌ लोकनृत्य (part -01)

उत्तराखंड के लोकगीत और लोक नृत्य पहाड़ की अपनी ही बोली और संस्कृति है यहाँ के लोक गीतों का विस्तृत स्वरूप मुक्तको के रूप में मिलता है। विभिन्न अवसरों तथा विविध प्रसंगी में मुक्तकों का व्यवहार होता है, पहाड़ी समाज में अपनी विशिष्ट संस्कृति पौराणिक काल से रही है. न्यौली इसे न्यौली, न्यौल्या या वनगीत के नामों से पुकारा जाता है, न्यौली का अर्थ किसी नवीन स्त्री को नवीन रुप में सम्बोधन करना और स्वर बदल बदलकर प्रेम परक अनुभूतियों को व्यक्त करना है। न्यौली प्रेम परक संगीत प्रधान गीत है जिसमें दो-दो पंक्ति होती है। पहली पंक्ति प्रायः तुक मिलाने के लिए होती है। न्यौली में जीवन चिन्तन की प्रधानता का भाव होता है। ब्योली ब्योली रैना, मेरो मन बस्यो परदेश, कब आलो मेरो सैंया, मेरो मन लियो हदेश। (अर्थ: रात बीत रही है, मेरा मन परदेश में बसा है। कब आएगा मेरा प्रिय, जिसने मेरा मन ले लिया।) "सबै फूल फुली यौछ मैथा फुलौ ज्ञान,  भैर जूँला भितर भूला माया भूलै जन,  न्यौली मया भूलै जन", बैरा (नृत्य गीत) बैरा का शाब्दिक अर्थ संघर्ष है जो गीत युद्ध के रूप में गायकों के बीच होता है। अर्थात् यह कुमाऊं क्षे...

उत्तराखंड सामान्य ज्ञान का अध्ययन कैसे करें ?

उत्तराखंड सामान्य ज्ञान का अध्ययन कैसे करें ?

यह जानने के लिए लेख को पूरा पढ़ें।

दोस्तो
वर्ष 2021-2022 में उत्तराखंड में 10,000 से अधिक भर्तियां की सौगात मिली है। जिसमें विशेषकर उत्तराखंड पुलिस कांस्टेबल, उत्तराखंड सब-इंस्पेक्टर और फोरेस्ट गार्ड सर्वाधिक चर्चा में है। उत्तराखंड पुलिस की भर्ती लगभग 6 साल के बाद आती है जिस कारण बहुत सारे छात्र छात्राएं पढ़ाई छोड़ चुके हैं। और वे सभी कंफ्यूज है कि अब उत्तराखंड की परीक्षाओं की तैयारी कैसे करें ? या फिर कुछ नए छात्र हैं जिन्होंने हाल ही में इंटर पास किया है या ग्रेजुएशन कर रहे हैं तो उनका सोचना भी लाजिमी है कि वह उत्तराखंड सामान्य ज्ञान की तैयारी कैसे करें ?  तो उन लोगों के लिए एक विशेष राय है या तो आप अपने नजदीकी शहर में एक बढ़िया-सी कोचिंग सेंटर ज्वाइन कर लीजिए। (जैसे - नानकमत्ता और सितारगंज क्षेत्र के लिए हमारा साईं कोचिंग सेंटर सर्वोत्तम उपयुक्त स्थान है) । और यदि आपके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है, पैसे नहीं है, पार्ट टाइम जोब के चलते समय नहीं मिलता है या अन्य कारणवश कोचिंग नहीं जा सकते हैं। तो ऐसे मे देवभूमि उत्तराखंड आपके लिए सौगात लाया है। जो भी उत्तराखंड की सभी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहता है। वह हमारे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार तैयारी करें।  देवभूमि उत्तराखंड के यू ट्यूब चैनल IMI 2021 में विडियो क्लास प्रारम्भ हो चुकी है। बहुत जल्द हम उत्तराखंड का इतिहास प्रारंभ करने वाले हैं - उम्मीद है आपने उत्तराखंड परिचय की सभी क्लास देख ली होगी और जिसने नहीं देखी हैं। कृपया में देख लें। क्योंकि उत्तराखंड के इतिहास को जानने के लिए आपको सभी जनपदों के बारे में मोटी-मोटी बातें पता होना जरूरी है।

उत्तराखंड सामान्य ज्ञान का अध्ययन कैसे करें ?


दोस्तों हम उत्तराखंड का इतिहास कैसे पढ़ना है। उसके बारे में बात करेंगें। सबसे पहले उत्तराखंड का संक्षिप्त परिचय पढ़ें। जिसमें उत्तराखंड राज्य का गठन कब हुआ ?, कैसे हुआ। उसके बाद सभी जनपदों के नाम और मुख्यालय के साथ ही एक प्राचीन नाम व‌ जनपद की प्रमुख नदी के बारे में पढ़ें। क्योंकि जब आप उत्तराखंड का इतिहास पढ़ेंगे तो प्रत्येक शहर के नाम  उल्लेख प्राचीन नाम से होगा और वह एक प्रमुख नदी के किनारे बसा होगा। (जैसे - पिथौरागढ़ का प्राचीन नाम सौर है।  अजय रावत की किताब उत्तराखंड का समग्र इतिहास में कहीं भी पिथौरागढ़ नाम का उल्लेख नहीं है प्रत्येक स्थान पर "सौर" नाम का जिक्र है) ।   इतना सब याद करने के बाद फिर आप उत्तराखंड का इतिहास विस्तार से पढ़ना और उत्तराखंड का इतिहास विस्तार से पढ़ने के लिए आपको भारत के इतिहास की थोड़ी बहुत अध्ययन होना चाहिए। इसलिए पहले भारतीय इतिहास जैसे - ऋग्वेद वैदिक काल, मौर्य वंश, गुप्त वंश व मुगल वंश के इतिहास का अध्ययन होना चाहिए कहीं-कहीं इन सभी वंश का संबंध उत्तराखंड के इतिहास से रहा है। यदि आप इतना कर लेते हैं तो आप उत्तराखंड का इतिहास समझ पाने में सक्षम है अन्यथा आप बिना समझे रटने की कोशिश करेंगे और सभी जानते हैं रटा हुआ ज्ञान कुछ समय के लिए ही होता है अतः इतिहास रटे नहीं समझे। 

दोस्तों दोस्तों मैंने अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम के द्वारा फ्री यूट्यूब क्लासेस उपलब्ध कराने की छोटी सी कोशिश की है। जिसमें उत्तराखंड के इतिहास को बेहद सरल और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है। हम अभी तक उत्तराखंड के अध्ययन में उत्तराखंड : एक परिचय में 4 वीडियो क्लास पढ़ चुके हैं। जहां पहले पार्ट में उत्तराखंड का गठन कब हुआ ? कैसे हुआ? दूसरे पार्ट में उत्तराखंड के नगर निगम व तीसरे पार्ट में उत्तराखंड के सभी जनपदों के बारे में संक्षिप्त विवरण पढ चुके हैं। 

दोस्तों हम उत्तराखंड के इतिहास को बेहद सरल और आसान भाषा में समझने की कोशिश करेंगे कोई भी टॉपिक नहीं छूटेगा यह वादा है हमारा लेकिन टॉपिक की शुरुआत वहां से करेंगे जहां आपको आसानी से याद हो जाए और उत्तराखंड सामान्य ज्ञान सरल लगे इसलिए मैं पहले ही एक साइटमैप के द्वारा आपको बता देना चाहता  हूं । उत्तराखंड के इतिहास में आगे क्या पढ़ेंगे - । 



उत्तराखंड का इतिहास

जैसा कि पहले ही बताया उत्तराखंड का इतिहास समझने के लिए हमें सर्वप्रथम भारतीय इतिहास के बारे में पढ़ना होगा। इसलिए पहला टॉपिक हमारा भारतीय इतिहास का संक्षिप्त परिचय होगा जो उत्तराखंड सामान्य ज्ञान का पार्ट -7 होगा उसके बाद में क्रमशः -

  • कुणिंद वंश (पहला राजनैतिक वंश )
  • कत्यूरी राजवंश (संस्थापक : बसंतनदेव)
  • चंद राजवंश (संस्थापक : सोमदेव)
  • उत्तराखंड का परमार वंश (संस्थापक : कनकपाल)
  • उत्तरवर्ती परमार वंश ( संस्थापक : सुदर्शन शाह)
  • गोरखा शासन
  • ब्रिटिश शासन (प्रथम कमिश्नर : ई. गार्डनर)
  • उत्तराखंड में भूमि बन्दोबस्त
  • उत्तराखंड का प्रौगेतिहासिक काल
  • उत्तराखंड का भूगोल
  • उत्तराखंड के सभी जनपद (विस्तार से)
  • भारत का इतिहास
  • हमारा संविधान
  • उत्तराखंड मॉक टेस्ट सीरीज (50+)
इन सबके अतिरिक्त उत्तराखंड की विशेष तैयारी के लिए हिन्दी और रिजनिंग की प्रत्येक सप्ताह दो क्लास पढ़ेंगे। साथ ही प्रत्येक टॉपिक के बाद आपका एक टेस्ट लिया जाएगा। करेंट अफेयर्स की बात करें तो परीक्षा होने से पूर्व 4 महीने के करेंट अफेयर्स प्रति दिन दिए जाएंगे। शेष समय के weekly current affairs की सीरीज चलाती जा रही है जिसमें केवल महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ही बात की जाएगी। और अधिक जानकारी के लिए आप हमें कमेंट कर सकते हैं। हमारे व्हाट्सएप ग्रुप या टेलीग्राम चैनल से जुड़ सकते हैं। लिंक नीचे दिए गए हैं।

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प्रमुख पुस्तकें :- उत्तराखंड पुलिस के लिए

- उत्तराखंड परीक्षावाणी (केसरी नंदन त्रिपाठी)

उत्तराखंड का समग्र राजनीतिक इतिहास (अजय रावत)

सामान्य ज्ञान अध्ययन (lucent publication)

हिन्दी (lucent publication)

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