मेरे सपनों का भारत
सकारात्मक सोच का नजरिया
"भारत की खोज पुस्तक" सबने पड़ी होगी। उस पुस्तक के लेखक भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी हैं। उन्होंने आजादी के बाद मेरे सपनों का भारत की कल्पना की थी और अपनी इच्छा अनुसार रखने की कोशिश भी की थी , इसलिए तो और पाकिस्तान दो भागों में बंट गए । उस समय की परिस्थितियों के अनुसार उनको जैसा ठीक लगा । उन्होंने किए जिनके कुछ परिणाम काफी महत्वपूर्ण साबित हुए। वहीं कुछ कदमों के चलते जम्मू-कश्मीर हाथों से आधा निकल गया। लेकिन फिर भी सब कुछ ठीक रहा उसके बाद मिसाइल मैन के नाम से कुख्यात डॉ एपीजे अब्दुल कलाम । उन्होंने भी अपनी खुली आंखों से भारत को सजाया । अब्दुल कलाम जी 2002 से 2007 के बीच भारत के राष्ट्रपति रहे और उन्होंने 2020 तक एक सक्षम भारत होने की कल्पना की थी। यूं तो सभी आज़ादी के परवानोंं- क्या महात्मा गांधी, क्या वल्लभभई पटेल और क्या विवेकानंद जी सभी ने एक महान भारत की कल्पना की और अनेकों कदम उठाएं।
भारत की विकास प्रक्रिया
भारत को विदेशी शक्तियों ने इतना अधिक कमजोर कर दिया था। कि 70 साल लग गए भारत को बनाते - बनाते। मैं नहीं जानता किसकी गलती थी? मैं केवल इतना जानता हूं जो उस समय सही था उन्होंने वही किया था। एक बात स्पष्ट रूप से आसानी से समझाई जा सकती है। एक शासक कमजोर और बुद्धिहीन है तो उस राज्य में बुराइयां आ ही जाती है। जिस प्रकार एक युद्ध जीतने के लिए कुशल सेनापति की आवश्यकता होती है ।जिस प्रकार एक स्कूल के लिए कुशल प्रधानाचार्य की आवश्यकता होती है और जिस प्रकार एक परिवार के विकास के लिए कुशल मुखिया की आवश्यकता होती है । ठीक उसी प्रकार एक देश को चलाने के लिए कुशल प्रधानमंत्री की आवश्यकता होती है। मुझे ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं जब जब अकुशल प्रधानमंत्री का देश पर शासन रहा है तब तक बुराइयों ने जन्म लिया है। और देश को खोखला किया है । तभी शायद इतने बरस लग गए हमें संभालते संभालते।
शासकों की भूमिका
बात करें! जवाहरलाल नेहरू जी की तो 1947 मैं आजादी के तुरंत बाद आर्थिक स्थिति अत्यधिक कमजोर थी। जिसके चलते जो भी निर्णय थे मेरे विचार से उस समय तो सभी ठीक ही थे। सिवाय 1-2 छोड़कर क्योंकि सभी जानते हैं मनुष्य कभी भी परफेक्ट नहीं हो सकता। ऐसा हो ही नहीं सकता है कि वह गलती ना करें। नेहरू जी ने भी गलतियां की थी तो जाहिर है कि वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी गलतियां कर सकते हैं ?गलतियों को सुधारा भी जा सकता है जो मोदी जी सुधार भी रहे हैं । नेहरू जी के बाद लाल बहादुर शास्त्री भी एक कुशल शासक थे। लेकिन उनके शासनकाल में चीन 1962 में और पाकिस्तान से 1965 में युद्धों का सामना करना पड़ा। जिसमें एक में हार भी मिली और एक में जीत भी मिली। वैसे ही हमारी अर्थव्यवस्था पहले से ही लड़खड़ाई हुई थी और यह 2 युद्ध की वजह से और कमजोर हो गई । लेकिन जब शासन इंदिरा गांधी का आया तो उन्होंने भी देश के विकास के लिए अनेकों कार्य किए उनके सभी कदम सराहनीय थे ।फिर राजीव गांधी ने भी काफी अच्छे काम किए और उसी प्रकार नरसिम्हा राव की सरकार जब आए तब भी हमारा देश एक असीम ऊंचाइयों तक पहुंचा था । आजादी के बाद सबसे श्रेष्ठ समय 1998 से 2003 अटल बिहारी बाजपेई जी जब भारत के प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई देश में सड़कों का जाल बिछाने का क्रेडिट सिर्फ और सिर्फ अटल बिहारी वाजपेई जी को जाता है। उसके बाद मानव देश में विकास की लहर दौड़ पड़ी हो। लेकिन जैसे ही देश में डॉ मनमोहन सिंह सिंह जी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया जाता है तब एक बार पुनः पेटीकोट शासन प्रारंभ हो जाता है । शासक कोई और होता है । दिखा या कोई और जाता है । निर्णयकिसी और के होते हैं निर्णय कोई और देता है। तब भ्रम पैदा होता है ।हालांकि डॉ मनमोहन सिंह अपने आप में एक महान व्यक्ति थे। लेकिन उनकी प्रतिभाओं को छुपाया गया। जिसके चलते उन 10 सालों में सबसे ज्यादा हानि शिक्षा स्वास्थ्य और संस्थागत ढांचे में हुई और भ्रष्टाचार चरम स्तर पर पहुंच गया था। क्या नौकरियां या रोजगार सब में घूसखोरी अधिक से अधिक मात्रा में हो रही थी। एक प्रकार से यह भी कहा जा सकता है कि शिक्षा का सबसे बुरा दौर मनमोहन सिंह जी के शासनकाल में ही रहा। जहां वास्तविक शिक्षा से अधिक नंबरों और ग्रेडिंग शिक्षा प्रणाली पर फोकस किया गया।
वर्तमान सरकार का समय
2014 में एक बार पुनः भाजपा सरकार द्वारा नरेंद्र मोदी जी के रूप में एक कुशल प्रशासक प्रधानमंत्री बने और अभी तक के सभी निर्णय सराहनीय है। अगर उनकी प्रारंभिक योजनाओं की बात करें तो जन धन योजना जो 2015 में लागू की गई। इसमें मोदी जी की दूरदर्शिता झलकती है। किसानों के लिए फसल बीमा योजना ,मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना। 2016 में नोटबंदी 2017 में जीएसटी जैसी बड़ी योजनाओं और नीतियों का प्रारंभ किया गया। नोटबंदी और जीएसटी की कड़ी आलोचना की गई लेकिन विकास के लिए और सपनों के भारत का लक्ष्य पूरा करने के लिए जरूरी था। क्योंकि जीएसटी से व्यापार में सुगमता आती हैं और नोटबंदी से भले ही काला धन वापस ना आया हो लेकिन काली कमाई पर लगाम जरूर लगी है ।और इस तरह सपनों के भारत का लक्ष्य पूरा करते हुए राम मंदिर का निर्माण तथा अनुच्छेद 370 का हटना भी देश में शांति का परिचय देता है। अब धर्म और राज्य के नाम से लड़ाई नहीं होंगी। और उसके बाद देश की जनता के लिए बेहद जरूरी नई शिक्षा नीति 2020 जो वास्तविकता पर आधारित है यदि नई शिक्षा नीति देश में पूर्णतया लागू होती है ।तो सपनों का भारत जल्द ही पूरा होने में मदद मिलेगी। क्योंकि बच्चों को वास्तविक शिक्षा मिलेगी ना कि केवल डिग्री की। देश बदल रहा है देश को बदलने के लिए हमारे सिविल सेवकों को भी पारदर्शिता एवं स्वतंत्रता प्रदान की गई है । उनके लिए मिशन कर्म योगी की स्थापना की गई हैै। देश की सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश योगी जी के नेतृत्व में विकास कर रहा है। और बिहार में भाजपा की जीत हुई है।जिससे मानो लग रहा है जैसे सभी दिशाएं सपनों के भारत का लक्ष्य पूरा करने के लिए साथ दे रही हैं। जैसे -मनोविज्ञान का भी नियम कहता है कि " किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहो तो वह मिल जाता है "तो ठीक उसी प्रकार देश की प्रगति के पथ पर सभी दिशाएं ऐसे चल रही हैं । जैसे एक विकास की बयार चली हो । अमेरिका में बनेें नए वाइडन जी ने भी भारत का साथ देने का वादा किया। है और वर्तमान में RCEP मेगा व्यापार समझौता से भारत ने दूरी बनाई है ।ताकि चीन की विस्तारवादी नीति को रोका जा सके । BRICK की भी अध्यक्षता मिली है(2021 में ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा )जहां पर मोदी जी ने आतंकवाद पर निशाना साधा है। इस तरह सभी कुछ भारत के पक्ष में है। जिससे जल्द ही भारत विश्व गुरु बन सकता है ।
2030 : भारत बनेगा विश्व गुरु
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी ने अनुमान लगाया था कि 2020 तक भारत समृद्ध सील देश बन जाएगा । लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि देश का प्रधानमंत्री बदल जाएगा। लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है। 2030 तक भारत का विश्व गुरु बनने का सपना पूरा हो सकता है। लेकिन समस्या यह है कि भविष्य में भारत का अगला शासक कौन होगा? इसलिए जरूरत है हमें एक सही शासक के चुनाव करने की। सभी जानते हैं राहुल गांधी कैसे व्यक्ति हैं ? कट्टरपंन कैसा होता है। एक काली पट्टी के समान सही गलत की दिशा ही भुला देता है। खैर जो भी हो देश बदल रहा है विश्व गुरु बनने को चला।
कट्टरता पनती को इंगित करती हुई एक कविता...
कट्टरता की काली पट्टी (कविता)
आंखों में लिपटी हुई है।
पहचान नहीं इंसानों की
विनाश ओढ़ -ऐ- सर खड़ी है।
कोई सही गलत का,
भेद बताए ना मुरादों को ।
जुल्मों से धरा भरी पड़ी है।
सपने इनके असहाय हुए हैं ।
अपनी में हांक रहे हैं,
कट्टरता की काली पट्टी,
विनाश ओढ़े सर खड़ी है ।
सियासत की गर्दिशों में,
अपनों की बंदिशें बड़ी है,
नाम ना ले कोई बैरी का,
सर में गर्मी बहुत चढ़ी है।
उपयुक्त आर्टिकल का उद्देश्य यह बिल्कुल नहीं है कि किसी पार्टी या संस्था की आलोचना करना। बल्कि वर्तमान में हो रहे परिदृश्य से अवगत कराना दिए गए आर्टिकल का मुख्य उद्देश्य है और सोच और विचार के आधार पर आप अपना पक्ष स्वयं तय कर सकते हैं।
धन्यवाद।
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