वनबसा : शारदा नदी के तट पर बसा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर उत्तराखंड के चम्पावत जिले में वनबसा, एक ऐसा कस्बा है जो भारत-नेपाल सीमा पर बसा है और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। टनकपुर से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह ग्राम पंचायत, जनपद की सबसे बड़ी पंचायतों में से एक है, जहाँ लगभग 10,000+ लोग निवास करते हैं। यहाँ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अन्य समुदायों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण देखने को मिलता है, जो इस क्षेत्र को एक जीवंत सामाजिक ताने-बाने से जोड़ता है। प्रकृति और इतिहास का संगम शारदा नदी के तट पर बसा वनबसा, मैदानी और पर्वतीय संस्कृतियों का एक अनूठा मेल है। यह स्थान सदियों से पर्वतीय लोगों का प्रिय ठिकाना रहा है। पुराने समय में, जब लोग माल भावर की यात्रा करते थे, वनबसा उनका प्रमुख विश्राम स्थल था। सर्दियों में पहाड़ी लोग यहाँ अपनी गाय-भैंस चराने आते और दिनभर धूप में समय बिताकर लौट जाते। घने जंगलों के बीच बसे होने के कारण, संभवतः इस क्षेत्र का नाम "वनबसा" पड़ा। यहाँ की मूल निवासी थारू और बोक्सा जनजातियाँ इस क्ष...
उत्तराखडं राज्य के प्रतीक 9 नवम्बर 2000 को उत्तर प्रदेश (UP) के 13 पहाड़ी जिलों को काटकर भारतीय गणतन्त्र के 27वेंराज्य के रूप उत्तराखंड का गठन किया गया। उत्तराखंड को हिमालयी राज्यों के गठन के क्रम में 11वें राज्य के रूप में शामिल किया गया उत्तराखडं का राज्य पुष्प – ब्रह्मकमल उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद सन् 2000 में सरकार द्वारा ब्रह्मकमल को उत्तराखंड का राज्य पुष्प घोषित किया गया, जिसे "हिमालयी पुष्पों का सम्राट" कहा जाता है। उत्तराखडं का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल "मध्य हिमालयी क्षेत्र" में 4800 से 6000 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है, जिसकी औसत ऊँचाई 70 से 80 सेमी. के मध्य तक होती है। यह ऐसटेरसी कुल का पौधा है, ब्रह्मकमल का वैज्ञानिक नाम सोसूरिया अबवेलेटा है जिसकी उत्तराखंड में 24 और सपंर्णू विश्व में 210 प्रजातियाँ पाई जाती है। ब्रह्मकमल को स्थानीय भाषा में "कौल पद्म" के नाम से जाना जाता है, तथा महाभारत के वन पर्व में इसे सौगंधिक पुष्प कहा गया है। हिमाचल प्रदेश में ब्रह्मकमल को दूधफला कहा जाता है तथा कश्मीर में गलगल कहा जाता है। और पड़ोसी देश नेपा...