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महासागरों का अध्ययन

महासागरों का अध्ययन  देवभूमि उत्तराखंड द्वारा कक्षा 6 एनसीईआरटी भूगोल की पुस्तक से नोट्स तैयार किए जा रहे हैं। इस लेख में एनसीईआरटी पुस्तक और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का समावेशन किया गया है। इस लेख में विश्व में कितने महासागर हैं और उनके सीमांत सागरों के साथ प्रमुख जलसंधियों का उल्लेख किया गया है। अतः लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। साथ ही विश्व का मानचित्र साथ रखें।  पृष्ठभूमि  अक्सर फिल्मों में, गानों में, कविताओं में और जिंदगी के उन तमाम पन्नों में "सात समुद्र" का जिक्र सुना होगा। और तो और इस शब्द प्रयोग मुहावरों भी करते हैं। तो क्या आप जानते हैं "सात समुद्र" ही क्यों? और यदि बात सात समुद्र की जाती है तो वे कौन-से सात समुद्र हैं? यूं तो अंक सात का अपना एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व हैं । क्योंकि दुनिया में इंद्रधनुष के रग सात हैं, सप्ताह के दिन सात हैं, सप्तर्षि हैं, सात चक्र हैं, इस्लामी परंपराओं में सात स्वर्ग हैं, यहां तक कि दुनिया के प्रसिद्ध 7 अजूबे हैं। संख्या सात इतिहास की किताबों में और कहानियों में बार-बार आती है और इस वजह से...

महासागरों का अध्ययन

महासागरों का अध्ययन 

देवभूमि उत्तराखंड द्वारा कक्षा 6 एनसीईआरटी भूगोल की पुस्तक से नोट्स तैयार किए जा रहे हैं। इस लेख में एनसीईआरटी पुस्तक और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का समावेशन किया गया है। इस लेख में विश्व में कितने महासागर हैं और उनके सीमांत सागरों के साथ प्रमुख जलसंधियों का उल्लेख किया गया है। अतः लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। साथ ही विश्व का मानचित्र साथ रखें। 

पृष्ठभूमि 

अक्सर फिल्मों में, गानों में, कविताओं में और जिंदगी के उन तमाम पन्नों में "सात समुद्र" का जिक्र सुना होगा। और तो और इस शब्द प्रयोग मुहावरों भी करते हैं। तो क्या आप जानते हैं "सात समुद्र" ही क्यों? और यदि बात सात समुद्र की जाती है तो वे कौन-से सात समुद्र हैं?

यूं तो अंक सात का अपना एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व हैं । क्योंकि दुनिया में इंद्रधनुष के रग सात हैं, सप्ताह के दिन सात हैं, सप्तर्षि हैं, सात चक्र हैं, इस्लामी परंपराओं में सात स्वर्ग हैं, यहां तक कि दुनिया के प्रसिद्ध 7 अजूबे हैं। संख्या सात इतिहास की किताबों में और कहानियों में बार-बार आती है और इस वजह से इसके महत्व के बारे में कई पौराणिक कथाएं भी हैं। 

प्राचीन और मध्यकालीन यूरोप के सात समुद्र 

कई लोगों का मानना है कि प्राचीन और मध्यकालीन यूरोप के सात समुद्रो को नाविकों द्वारा परिभाषित किया गया है। क्योंकि इन सात समुद्रों में अधिकांश भूमध्य सागर के आसपास स्थित हैं। जो इन नाविकों के घर के करीब थे। 
  1. भूमध्य सागर 
  2. एड्रियाटिक सागर
  3. काला सागर 
  4. लाल सागर 
  5. अरब सागर 
  6. फारस की खाड़ी 
  7. कैस्पियन सागर 
किन्तु प्राचीन और मध्यकालीन यूरोपवासियों के समय खोजकर्ताओं की पहुंच सीमित थी। जब 1492 में कोलंबस द्वारा अमेरिका का समुद्री रास्ता खोजा तो वहीं वास्कोडिगामा द्वारा भारत तक पहुंचने का समुद्री रास्ता खोजा गया। तब ज्ञात हुआ कि सभी सागर एक वैश्विक महासागर का हिस्सा है। क्योंकि पृथ्वी पर मौजूद सभी सागर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। लेकिन अधिकांश भूगोल वेत्ताओं ने पृथ्वी के अध्ययन हेतु वास्तविक सात समुद्र की सूची तैयार की।
  1. उत्तरी प्रशांत महासागर 
  2. दक्षिणी प्रशांत महासागर 
  3. उत्तरी अटलांटिक महासागर 
  4. दक्षिणी अटलांटिक महासागर 
  5. हिन्द महासागर 
  6. अटलांटिक महासागर 
  7. आर्कटिक महासागर 
एनसीईआरटी पुस्तक में प्रमुख 4 महासागरों का उल्लेख किया गया है। प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर और आकर्टिक महासागर।

लेख से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य 

महासागर किसे कहते हैं?
पृथ्वी पर मौजूद खारे पानी के विशाल जल निकाय को महासागर कहते हैं। यह पृथ्वी के लगभग तीन चौथाई हिस्से को कवर करता है। महासागरों की औसत गहराई लगभग 3500 मीटर है।

सागर किसे कहते हैं?
पृथ्वी पर स्थलों के आस-पास विशाल जलराशि को सागर कहते हैं। यह सदैव स्थल से जुड़े रहते हैं। 

प्रायद्वीप किसे कहते हैं ?
पृथ्वी का ऐसा भाग जो तीन ओर से पानी से घिरा हो, उस भू-भाग को प्रायद्वीप कहते हैं।

द्वीप किसे कहते हैं?
पृथ्वी का ऐसा भाग जो चारों ओर से पानी से घिरा हो, उस भूभाग को द्वीप कहते हैं ।

जलसंधि किसे कहते हैं ?
जब दो बड़े जल निकायों को एक संकीर्ण जलमार्ग द्वारा प्राकृतिक रूप से जोड़ा जाता है। तो उस जलमार्ग को जलसंधि या जलडमरूमध्य कहते हैं।

खाड़ी किसे कहते हैं ?
पृथ्वी का ऐसा भाग जो तीन ओर से भूमि से घिरा हो, उसे खाड़ी कहते हैं। जैसे बंगाल की खाड़ी, अदन की खाड़ी, मैक्सिको की खाड़ी आदि ।


[1] प्रशांत महासागर 

प्रशांत महासागर पृथ्वी का सबसे बड़ा और सबसे गहरा महासागर है। यह पृथ्वी के दोनों गोलार्द्ध में फैला हुआ है। भूमध्य रेखा पर मिलने वाले पानी के आधार पर इसे दो भागों में बांटा गया है। उत्तरी गोलार्द्ध में फैले भाग को उत्तरी प्रशांत महासागर और दक्षिणी गोलार्द्ध में फैले भाग को दक्षिणी प्रशांत महासागर कहा जाता है। 
  1. प्रशांत महसागर एशिया और आस्ट्रेलिया के पूर्वी तटों और उत्तर, मध्य, और दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तटों से घिरा हुआ है।
  2. यह पृथ्वी पर एक तिहाई भाग पर फैला हुआ है। इसका आकार लगभग वृत्ताकार है।
  3. प्रशांत महासागर आर्कटिक महासागर, अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर से सीमा साझा करता है।
  4. प्रशांत महासागर पृथ्वी का सबसे बड़ा महासागर है।
  5. प्रशांत महासागर अमेरिका और एशिया को अलग करता है।
  6. प्रशांत महासागर में दुनिया की सबसे गहरी गर्त मेरियाना गर्त जापान के निकट) है।
  7. प्रशांत महासागर में रिंग ऑफ फायर नाम का एक अत्यधिक सक्रिय ज्वालामुखी और भूकंपीय क्षेत्र है।
इस महासागर में अब तक 25 हजार द्वीप खोजे गए हैं इसकी सीमा पर अमेरिका, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया और चीन सहित लगभग 55 देश मौजूद है।

प्रशांत महासागर में 12 अलग-अलग सागरों के साथ अपनी सीमा साझा करता है। 

(1) फ़िलीपीन सागर 
यह सागर फिलीपीन के निकट पूर्वोत्तर में स्थित है। इसके पश्चिमोत्तर में दक्षिण चीन सागर स्थित है। 
  • लूजोन जलसंधि दक्षिणी चीन सागर और फिलीपीन सागर को जोड़ती है। तथा ताइवान और फिलीपींस को अलग करती है।
(2) दक्षिणी चीन सागर 
यह चीन के दक्षिण में स्थित है। यह पश्चिमी प्रशांत महासागर का हिस्सा है। इस सागर में तेल और गैस के बड़े भंडार हैं। इस सागर से होकर दुनिया के सभी समुद्री जहाजों का तिहाई व्यापार होता है। इस सागर के पूर्व में फिलीपीन, पश्चिम में वियतनाम और दक्षिण में मलेशिया, ब्रुनेई, सिंगापुर और इंडोनेशिया स्थित हैं।  

(3) कोरल सागर 
कोरल सागर आस्ट्रेलिया का एक बाहरी क्षेत्र है है जो सोलोमन द्वीप के दक्षिण में फैला हुआ है। प्रशांत महसागर में स्थित कोरल सागर प्रकृति के सबसे बड़े आश्चर्य में से एक ग्रेट बैरियर रीफ का घर है। 

(4) तस्मान सागर 
यह दक्षिणी प्रशांत महासागर का एक सीमांत सागर है। जो आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच स्थित है। यह उत्तर में कोरल सागर से मिल जाता है। केप रिंगा में तस्मान सागर प्रशांत महासागर से मिलता है। केप रिंगा न्यूजीलैंड सबसे उत्तरी बिन्दु है।
  • फोवेक्स जलसंधि - तस्मान सागर एवं न्यूजीलैंड दक्षिणी सागर के बीच स्थित है।
  • बॉस जलसंधि - यह जलसंधि तस्मान सागर को आस्ट्रेलिया सागर से जोड़ती है।
(5) बेरिंग सागर 
बेरिंग सागर प्रशांत महासागर का सबसे उत्तरी हिस्सा है। यह एशिया के पूर्वोत्तरी हिस्से और उत्तरी अमेरिका के अलास्का के बीच में स्थित है। बेरिंग सागर रूस और अमेरिका से घिरा हुआ है। 
  • बेरिंग जलसंधि बेरिंग सागर को आर्कटिक महासागर से जोड़ती है। बेरिंग जलसंधि अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के समानांतर स्थित है तथा अमेरिका के अलास्का को रूस के साइबेरिया से अलग करती है ।
(6) पूर्वी चीन सागर 
यह चीन के पूर्व में स्थित है। इसकी सीमाएं दक्षिण कोरिया, जापान और ताइवान से लगती हैं। यह कोरिया जलडमरूमध्य के जरिए जापान से जुड़ा है। चीन की सबसे लम्बी नदी यांगत्सी क्यांग इसी सागर में मिलती है। 
  • ताइवान जलडमरूमध्य (फॉर्मोसा जलसंधि) ताइवान द्वीप को महाद्वीपीय एशिया से अलग करती है। यह दक्षिण चीन सागर का हिस्सा है और उत्तर में पूर्वी चीन सागर से जुड़ा हुआ है।
(7) ओखोटस्क सागर 
ओखोटस्क सागर पूर्व एशिया का सबसे ठंडा सागर है। यह सागर पश्चिमी प्रशांत महासागर का एक सीमांत सागर है। यह पूर्व में रूस, पश्चिम में सखालिन द्वीप, उत्तर में साइबेरिया और दक्षिण में जापान से घिरा हुआ है। 
  • तातार जलसंधि (टार्टरी जलसंधि) ओखोटस्क और जापान सागर को जोड़ती है। एवं रूस को सखालिन द्वीप से अलग करती है।
(8) जापान सागर 
यह पूर्व में जापान के द्वीपसमूह और रूस के सखालिन द्वीप से तथा पश्चिम में एशिया के मुख्य भूभाग पर रूस और कोरिया के बीच स्थित है। जापान सागर को पूर्वी सागर भी कहा जाता है। 
  • कोरिया जलसंधि जापान सागर एवं जापान-कोरिया और पूर्वी चीन सागर के बीच स्थित है।
(9) पीला सागर 
यह चीन और कोरियाई प्रायद्वीप के बीच में स्थित है। यह प्रशांत महासागर का एक सीमांत सागर है। इसे पूर्वी चीन सागर का उत्तर पश्चिमी भाग माना जाता है। पीला सागर में बहने वाली हांग हो नदी में मिश्रित रेत की वजह से यह पीला दिखता है।

(10) सेलेबीज सागर (सुलावेसी) 
यह दक्षिण पूर्व एशिया का सागर है। इसके उत्तर में मिन्दनाओ द्वीप समूह और सुलु द्वीप समूह, व पूर्व में सुलावेसी प्रायद्वीप स्थित है ।
  • मकास्सार जलसंधि - इंडोनेशिया के निकट जावा सागर एवं सेलीबीज सागर के बीच जलसंधि 
(11) सुलु सागर 
यह फिलीपींस के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक सागर है । यह उत्तर पश्चिम में चीन सागर से और दक्षिण-पूर्व में सुलावेसी सागर से घिरा हुआ है ।

(12) अराफुरा सागर 
यह सागर आस्ट्रेलिया को पापुआ न्यू गिनी से अलग करता है। इसके दक्षिण में आस्ट्रेलिया और उत्तर में पापुआ न्यू गिनी स्थित है । यह तिमोर सागर और कोरल सागर के बीच में स्थित है। 
  • टोरेस जलसंधि - कोरल सागर और अराफुरा सागर को जोड़ती है ।

[2] अटलांटिक महासागर 

यह उत्तर और दक्षिणी अमेरिका के महाद्वीपों को यूरोप और अफ्रीका से अलग करता है। यह पृथ्वी का दूसरा सबसे बड़ा महासागर है। इस महासागर का प्यूटों रिको गर्त सबसे गहरा बिन्दु है। अटलांटिक महासागर को अंध महासागर के नाम से भी जाना जाता है। यह अंग्रेजी भाषा के अक्षर S आकार का है।

(1) कैरीबियन सागर 
कैरिबियन सागर उत्तरी अटलांटिक महासागर का एक सागर है, यह पश्चिम गोलार्द्ध में स्थित है। यह सागर दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका और वेस्ट इंडीज के द्वीपों से घिरा है और पश्चिम में मध्य अमेरिका और दक्षिण में वेनेजुएला और कोलम्बिया से घिरा हुआ है। 
  • युकाटन जलसंधि मैक्सिको की खाड़ी और कैरिबियन सागर को जोड़ती है तथा यूकाटन प्रायद्वीप और क्यूबा को अलग करती है।
(2) भूमध्य सागर 
भूमध्य सागर यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के बीच में स्थित है। यह एक अंतरमहाद्वीपीय सागर है।  यह 21 देशों से घिरा हुआ है । इसके सागर के आसपास के कई प्रारंभिक सभ्यताऐं विकसित हुई। जिनमें मिस्र, ग्रीस और रोम शामिल है।
  • जिब्राल्टर जलसंधि - भूमध्य सागर को अटलांटिक महासागर से जोड़ती है और यूरोप को अफ्रीका से अलग करती है।
  • एड्रियाटिक सागर - यह सागर उत्यूतर पूर्वी भूमध्य सागर में आता है। यह यूरोप महाद्वीप के दक्षिणी भाग में इटली और बाल्कन प्रायद्वीप के बीच में स्थित है।
  • स्वेज नहर - यह नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। इसका निर्माण 1859 से 1869 में हुआ। इस नहर को अधिकारिक रूप से 17 नवंबर 1869 को खोला गया। यह मिस्र देश में स्थित है।
(3) हड़सन बे सागर 
यह सागर कनाडा के उत्तर पूर्वी हिस्से में स्थित है। इसे हड़सन बे की खाड़ी भी कहा जाता है। 
  • हड़सन बे को पूर्व में अटलांटिक महासागर से जोड़ने वाली हड़सन जलसंधि है। तथा हड़सन सागर को आर्कटिक महासागर से जोड़ने वाली फॉक्स चैनल है।
(4) ग्रीनलैंड सागर 
ग्रीनलैंड आर्कटिक महासागर का बाहरी हिस्सा है। इसे अटलांटिक महासागर का सीमांत सागर माना जाता है। इसके उत्तर में आर्कटिक महासागर है दक्षिण पूर्व में नॉर्वेजियन सागर है। यह आइसलैंड, नार्वे, स्वालबार्ड, द्वीप समूह और ग्रीनलैंड के बीच में स्थित है। 

(5) नार्वेजियन सागर
नार्वेजियन सागर, उत्तरी अटलांटिक महासागर का हिस्सा है। यह नार्वे के उत्तर-पश्चिम में स्थित है।

(6) उत्तरी सागर 
यह पूर्व में यूरोप महाद्वीप और पश्चिम में ग्रेट ब्रिटेन से से घिरा है। नार्वे व इंग्लैंड के बीच का सागर है। इसके दक्षिण में इंग्लिश चैनल और नार्वेजियन सागर से जुड़ा है। यह अटलांटिक महासागर का हिस्सा है । कील नहर उत्तरी सागर को बाल्टिक सागर से जोड़ती है।

(7) बाल्टिक सागर 
बाल्टिक सागर उत्तरी यूरोप में स्थित एक सागर है। यह लगभग सभी तरफ जमीन से घिरा हुआ है। बाल्टिक सागर अटलांटिक महासागर का एक हिस्सा है। यह डेनिश जलडमरूमध्य के जरिए अटलांटिक महासागर से जुड़ा हुआ है। बाल्टिक सागर के किनारे कई देश हैं जिनमें डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड, रूस, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पौलेंड और जर्मनी शामिल हैं लेकिन विशेष रूप से लिथुआनिया, एस्टोनिया और लातविया को बाल्टिक देश माना जाता है। 

(8) आयरिश सागर 
यह सागर उत्तरी अटलांटिक महासागर की एक शाखा है।
आयरिश सागर ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड के द्वीपों के बीच में स्थित है। यह सागर उत्तर में स्काट लैंड, पूर्व में इंग्लैंड, दक्षिण में वेल्स और पश्चिम में आयरलैंड से घिरा है। इसका दूसरा नाम मैनक्स सागर है। आयरिश सागर में डगलस नाम का तेल क्षेत्र है।
  • नार्थ चैनल - यह आयरिश सागर एवं उत्तरी अटलांटिक महासागर को जोड़ता है। तथा आयरलैंड को स्काटलैंड को अलग करता है।
(9) इंग्लिश चैनल 
यह सागर इंग्लैंड और फ्रांस के बीच स्थित एक समुद्री जल भंडार है। यह अटलांटिक महासागर की एक संकरी शाखा है। यह सागर ग्रेट ब्रिटेन के द्वीप को यूरोप के बाकी हिस्सों से अलग करता है। इस सागर में यूरोप की प्रसिद्ध सीन नदी गिरती है। इंग्लिश चैनल पार करने वाला प्रथम भारतीय मिहिर सेन तथा महिला आरती साहा है।
  • डोवर जलसंधि - इंग्लिश चैनल एवं उत्तरी सागर के बीच स्थित है। तथा इंग्लैंड और फ्रांस को अलग करती है।
(11) लैब्राडोर सागर 
यह उत्तरी अटलांटिक महासागर का हिस्सा है। यह कनाडा के लैब्राडोर प्रायद्वीप और ग्रीनलैंड के बीच में स्थित है। लैब्राडोर सागर से होकर लैब्राडोर धारा (ठंडा जलधारा) बहती है। 
  • यह सागर डेविस जलसंधि से उत्तर में बैफिन की खाड़ी और पश्चिम में हड़सन की खाड़ी से जुड़ा हुआ है। डेविस जलसंधि विश्व की सबसे चौड़ी जलसंधि है। 
(12) मैक्सिको की खाड़ी 
यह सागर संयुक्त अमेरिका के दक्षिण में स्थित है। तथा मैक्सिको के पूर्व में स्थित है। 
  • फ्लोरिडा जलसंधि मैक्सिको की खाड़ी और अटलांटिक महासागर के बीच है। यह J के आकार की संधि बनाती है 
(13) स्कोटिया सागर 
यह सागर दक्षिणी अटलांटिक महासागर के उत्तरी किनारे पर स्थित है । यह सागर ड्रेक जलमार्ग और स्कोशिया चाप द्वारा सीमित समुद्र है। 
  • इस सागर के उत्तर पश्चिम में मैगलन जलडमरूमध्य है जो दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी सिरे (दक्षिणी चिली) से होकर गुजरने वाला एक मार्ग है। जो प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर को जोड़ता है 

(3] हिन्द महासागर 

हिन्द महासागर विश्व के पांच महासागरों में से एक है।
यह महासागर अटलांटिक, प्रशांत और आर्कटिक महासागरों से जुड़ा हुआ है। तथा एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका महाद्वीप की सीमाओं को स्पर्श करता है। हिन्द महासागर ही एक ऐसा महासागर है जिसका नाम किसी देश यानी भारत के नाम पर रखा गया है। यह दुनिया के प्रमुख महासागरों में से सबसे युवा है । 
  • यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है।
  • हिन्द महासागर का आकार त्रिभुजाकार है 
  • विश्व की दो बड़ी नदी हिन्द महासागर में मिलती हैं।
  • हिन्द महासागर में जावा गर्त और डायमेंटिना गर्त जैसी गहरी खाइयां हैं।
  • हिन्द महासागर को स्वेज नहर के जरिए भूमध्य सागर से जोड़ा गया है।
हिन्द महासागर प्रमुख 7 सागरों में अरब सागर, बंगाल की खाड़ी, लाल सागर, फारस की खाड़ी, अंडमान सागर, जावा सागर और जांज सागर शामिल हैं इसके अलावा लक्षद्वीप सागर, अदान की खाड़ी (यमन और सोमालिया के बीच) व मन्नार की खाड़ी (तमिलनाडु) भी हिन्द महासागर का हिस्सा हैं।

(1) अरब सागर 
यह हिन्द महासागर का हिस्सा है यह भारत और अरब प्रायद्वीप (सऊदी अरब) के बीच स्थित है। ऐतिहासिक रूप से यह भारत और पश्चिम के बीच एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग था और आज भी ऐसा ही है। अरब सागर का प्राचीन भारतीय हिन्दू नाम "सिन्धु सागर" है । भारत की नर्मदा और ताप्ती नदी अरब सागर में गिरती हैं।
  • पाक जल संधि - अरब सागर को बंगाल की खाड़ी से जोड़ती है, यह भारत के तमिलनाडु और श्रीलंका के उत्तरी प्रांत जाफना के बीच स्थित है।
(2) बंगाल की खाड़ी 
बंगाल की खाड़ी हिन्द महासागर का पूर्वोत्तर भाग है यह मोटे रूप से त्रिभुजाकार खाड़ी है। जो पश्चिमी ओर से भारत एवं से श्रीलंका उत्तर से बांग्लादेश एवं पूर्वी और से वर्मा तथा अंडमान एवं निकोबार दीप समूह से गिरी है।

(3) अंडमान सागर 
अंडमान सागर हिंद महासागर का एक हिस्सा है। यह बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्व में स्थित है। यह म्यांमार के दक्षिण में, थाईलैंड के पश्चिम में और अंडमान द्वीप समूह के पूर्व में है। अंडमान सागर को बर्मा सागर भी कहा जाता है। और पानी का रंग हरा होने के कारण हरा सागर भी कहा जाता है।
इस सागर में म्यांमार की इरावदी नदी बहती है। 
  • मलक्का जलडमरूमध्य (जलसंधि) - यह अंडमान सागर (हिन्द महासागर) को दक्षिण चीन सागर (प्रशांत महासागर) से जोड़ता है। यह दुनिया का सबसे लंबा जलडमरूमध्य है ।
  • दस डिग्री जलसंधि - यह जलसंधि भारत के अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूह में अलग करती है।
(4) लाल सागर 
लाल सागर अफ्रीका एवं एशिया के बीच हिंद महासागर का एक नमकीन पानी की एक खाड़ी है। यह सागर उत्तर पूर्व मिश्र से दक्षिण की ओर फैले पानी की एक संकरी पट्टी है । यह अदन की खाड़ी और अरब सागर से जुड़ता है। यह स्वेज नहर के माध्यम से भूमध्य सागर से जुड़ा हुआ है और दुनिया में जाने अधिक यात्रा किए जाने वाले जलमार्गों में से एक है।
  • बाब अल-मंडेब जलसंधि - हिन्द महासागर और अरब सागर के बीच बाब अल-मंडेब जलसंधि है। यह लाल सागर को हिन्द महासागर और अदन की खाड़ी से जोड़ती है यह अरब प्रायद्वीप पर यमन और अफ्रीका के बीच स्थित है।
(5) फारस की खाड़ी 
यह सागर हिंद महासागर का एक हिस्सा है जो ईरान और अरब प्रायद्वीप के बीच स्थित है। फारस की खाड़ी के आसपास के देश हैं - बहरीन, ईरान, इराक, कुवैत ओमान, क़तर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात।
  • होमुर्ज जलसंधि अरब सागर, फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी को जोड़ती है. यह ईरान और ओमान के बीच स्थित है।‌
(6) जावा सागर 
यह सागर इंडोनेशिया के जावा द्वीप के उत्तर में स्थित है। 
  • करीमाता जलसंधि - जावा सागर के उत्तर पश्चिम में करीमाता जलसंधि इसे दक्षिण चीन सागर से जोड़ती है।
  • सुण्डा जलसंधि - इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप और जावा द्वीप के बीच स्थित है जो जावा सागर को हिन्द महासागर से जोड़ती है। यह भारत और इंडोनेशिया के बीच की प्रमुख जलसंधि है।
(7) जांज सागर 
जांज सागर अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित झीलों के के क्षेत्र से सटा हुआ है। यह हिन्द महासागर का पश्चिम हिस्सा है । यह दक्षिण पूर्व अफ्रीका तट से लेकर मोज़ाम्बिक चैनल तक फैला हुआ है।

आप भी प्रयास करें।


[4] आर्कटिक महासागर 

(1) बैरेट्स सागर (बेरिंट सागर)
यह सागर आर्कटिक महासागर का एक भाग है। तथा नार्वे और रूस के उत्तर में स्थित है। यह नार्वेजियन और रूसी संघ के बीच विभाजित है। 

(2) कारा सागर 
कारा सागर रूस के साइबेरिया के उत्तर में स्थित है। यह आर्कटिक महासागर का एक सीमांत सागर है।

(3) लाप्टेव सागर
लाप्टेव सागर रूस के उत्तरी साइबेरिया में स्थित है। तथा पश्चिम में तैमिर प्रायद्वीप और पूर्व में न्यू साइबेरियाई द्वीप से घिरा है।

(4) चुकची सागर
यह सागर रूस और अमेरिका के बीच उत्तर-पूर्वी साइबेरिया और उत्तर पश्चिमी अलास्का के पास स्थित है।

(5) ब्यूफोर्ट सागर
यह उत्तर पश्चिमी प्रदेशों युकान और अलास्का के उत्तर में और कनाडाई आर्कटिक द्वीपसमूह के पश्चिम में स्थित है।

(6) लिंकन सागर 
यह सागर कनाडा के केप कोलम्बिया से लेकर ग्रीनलैंड के कैप मॉरिस जेसप तक फैला हुआ है।

(7) वेडेल सागर 
यह दक्षिणी महासागर का एक सागर है जो अंटार्कटिका प्रायद्वीप के पूर्व में और कोट्स लैंड के पश्चिम में है। यह बर्फ से ढका हुआ सागर है। 

[5] दक्षिणी महासागर (अंटार्कटिका महासागर)

अंटार्कटिका और दक्षिण अमेरिका के अलग होने से ड्रेक मार्ग खुला जिससे दक्षिणी महासागर का निर्माण हुआ। अंटार्कटिका महाद्वीप से जुड़े होने के कारण इसे अंटार्कटिका महासागर के नाम से भी जाना जाता है। इसके कोई सीमांत सागर की जानकारी नहीं मिलती है।

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ब्रिटिश कुमाऊं कमिश्नर उत्तराखंड 1815 में गोरखों को पराजित करने के पश्चात उत्तराखंड में ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से ब्रिटिश शासन प्रारंभ हुआ। उत्तराखंड में अंग्रेजों की विजय के बाद कुमाऊं पर ब्रिटिश सरकार का शासन स्थापित हो गया और गढ़वाल मंडल को दो भागों में विभाजित किया गया। ब्रिटिश गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल। अंग्रेजों ने अलकनंदा नदी का पश्चिमी भू-भाग पर परमार वंश के 55वें शासक सुदर्शन शाह को दे दिया। जहां सुदर्शन शाह ने टिहरी को नई राजधानी बनाकर टिहरी वंश की स्थापना की । वहीं दूसरी तरफ अलकनंदा नदी के पूर्वी भू-भाग पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। जिसे अंग्रेजों ने ब्रिटिश गढ़वाल नाम दिया। उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन - 1815 ब्रिटिश सरकार कुमाऊं के भू-राजनीतिक महत्व को देखते हुए 1815 में कुमाऊं पर गैर-विनियमित क्षेत्र के रूप में शासन स्थापित किया अर्थात इस क्षेत्र में बंगाल प्रेसिडेंसी के अधिनियम पूर्ण रुप से लागू नहीं किए गए। कुछ को आंशिक रूप से प्रभावी किया गया तथा लेकिन अधिकांश नियम स्थानीय अधिकारियों को अपनी सुविधानुसार प्रभावी करने की अनुमति दी गई। गैर-विनियमित प्रांतों के जिला प्रमु...

उत्तराखंड में भूमि बंदोबस्त का इतिहास

  भूमि बंदोबस्त व्यवस्था         उत्तराखंड का इतिहास भूमि बंदोबस्त आवश्यकता क्यों ? जब देश में उद्योगों का विकास नहीं हुआ था तो समस्त अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर थी। उस समय राजा को सर्वाधिक कर की प्राप्ति कृषि से होती थी। अतः भू राजस्व आय प्राप्त करने के लिए भूमि बंदोबस्त व्यवस्था लागू की जाती थी । दरअसल जब भी कोई राजवंश का अंत होता है तब एक नया राजवंश नयी बंदोबस्ती लाता है।  हालांकि ब्रिटिश शासन से पहले सभी शासकों ने मनुस्मृति में उल्लेखित भूमि बंदोबस्त व्यवस्था का प्रयोग किया था । ब्रिटिश काल के प्रारंभिक समय में पहला भूमि बंदोबस्त 1815 में लाया गया। तब से लेकर अब तक कुल 12 भूमि बंदोबस्त उत्तराखंड में हो चुके हैं। हालांकि गोरखाओ द्वारा सन 1812 में भी भूमि बंदोबस्त का कार्य किया गया था। लेकिन गोरखाओं द्वारा लागू बन्दोबस्त को अंग्रेजों ने स्वीकार नहीं किया। ब्रिटिश काल में भूमि को कुमाऊं में थात कहा जाता था। और कृषक को थातवान कहा जाता था। जहां पूरे भारत में स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी बंदोबस्त और महालवाड़ी बंदोबस्त व्यवस्था लागू थी। वही ब्रिटिश अधिकारियों ...

परमार वंश - उत्तराखंड का इतिहास (भाग -1)

उत्तराखंड का इतिहास History of Uttarakhand भाग -1 परमार वंश का इतिहास उत्तराखंड में सर्वाधिक विवादित और मतभेद पूर्ण रहा है। जो परमार वंश के इतिहास को कठिन बनाता है परंतु विभिन्न इतिहासकारों की पुस्तकों का गहन विश्लेषण करके तथा पुस्तक उत्तराखंड का राजनैतिक इतिहास (अजय रावत) को मुख्य आधार मानकर परमार वंश के संपूर्ण नोट्स प्रस्तुत लेख में तैयार किए गए हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में 688 ईसवी से 1947 ईसवी तक शासकों ने शासन किया है (बैकेट के अनुसार)।  गढ़वाल में परमार वंश का शासन सबसे अधिक रहा।   जिसमें लगभग 12 शासकों का अध्ययन विस्तारपूर्वक दो भागों में विभाजित करके करेंगे और अंत में लेख से संबंधित प्रश्नों का भी अध्ययन करेंगे। परमार वंश (गढ़वाल मंडल) (भाग -1) छठी सदी में हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात संपूर्ण उत्तर भारत में भारी उथल-पुथल हुई । देश में कहीं भी कोई बड़ी महाशक्ति नहीं बची थी । जो सभी प्रांतों पर नियंत्रण स्थापित कर सके। बड़े-बड़े जनपदों के साथ छोटे-छोटे प्रांत भी स्वतंत्रता की घोषणा करने लगे। कन्नौज से सुदूर उत्तर में स्थित उत्तराखंड की पहाड़ियों में भी कुछ ऐसा ही...

कुणिंद वंश का इतिहास (1500 ईसा पूर्व - 300 ईसवी)

कुणिंद वंश का इतिहास   History of Kunid dynasty   (1500 ईसा पूर्व - 300 ईसवी)  उत्तराखंड का इतिहास उत्तराखंड मूलतः एक घने जंगल और ऊंची ऊंची चोटी वाले पहाड़ों का क्षेत्र था। इसका अधिकांश भाग बिहड़, विरान, जंगलों से भरा हुआ था। इसीलिए यहां किसी स्थाई राज्य के स्थापित होने की स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है। थोड़े बहुत सिक्कों, अभिलेखों व साहित्यक स्रोत के आधार पर इसके प्राचीन इतिहास के सूत्रों को जोड़ा गया है । अर्थात कुणिंद वंश के इतिहास में क्रमबद्धता का अभाव है।               सूत्रों के मुताबिक कुणिंद राजवंश उत्तराखंड में शासन करने वाला प्रथम प्राचीन राजवंश है । जिसका प्रारंभिक समय ॠग्वैदिक काल से माना जाता है। रामायण के किस्किंधा कांड में कुणिंदों की जानकारी मिलती है और विष्णु पुराण में कुणिंद को कुणिंद पल्यकस्य कहा गया है। कुणिंद राजवंश के साक्ष्य के रूप में अभी तक 5 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जिसमें से एक मथुरा और 4 भरहूत से प्राप्त हुए हैं। वर्तमान समय में मथुरा उत्तर प्रदेश में स्थित है। जबकि भरहूत मध्यप्रदेश में है। कुणिंद वंश का ...

उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न (उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14)

उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14 उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां वर्ष 1965 में केंद्र सरकार ने जनजातियों की पहचान के लिए लोकर समिति का गठन किया। लोकर समिति की सिफारिश पर 1967 में उत्तराखंड की 5 जनजातियों थारू, जौनसारी, भोटिया, बोक्सा, और राजी को एसटी (ST) का दर्जा मिला । राज्य की मात्र 2 जनजातियों को आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त है । सर्वप्रथम राज्य की राजी जनजाति को आदिम जनजाति का दर्जा मिला। बोक्सा जनजाति को 1981 में आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ था । राज्य में सर्वाधिक आबादी थारू जनजाति तथा सबसे कम आबादी राज्यों की रहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल एसटी आबादी 2,91,903 है। जुलाई 2001 से राज्य सेवाओं में अनुसूचित जन जातियों को 4% आरक्षण प्राप्त है। उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न विशेष सूचना :- लेख में दिए गए अधिकांश प्रश्न समूह-ग की पुरानी परीक्षाओं में पूछे गए हैं। और कुछ प्रश्न वर्तमान परीक्षाओं को देखते हुए उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित 25+ प्रश्न तैयार किए गए हैं। जो आगामी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। बता दें की उत्तराखंड के 40 प्रश्नों में से 2...

चंद राजवंश : उत्तराखंड का इतिहास

चंद राजवंश का इतिहास पृष्ठभूमि उत्तराखंड में कुणिंद और परमार वंश के बाद सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला राजवंश है।  चंद वंश की स्थापना सोमचंद ने 1025 ईसवी के आसपास की थी। वैसे तो तिथियां अभी तक विवादित हैं। लेकिन कत्यूरी वंश के समय आदि गुरु शंकराचार्य  का उत्तराखंड में आगमन हुआ और उसके बाद कन्नौज में महमूद गजनवी के आक्रमण से ज्ञात होता है कि तो लगभग 1025 ईसवी में सोमचंद ने चंपावत में चंद वंश की स्थापना की है। विभिन्न इतिहासकारों ने विभिन्न मत दिए हैं। सवाल यह है कि किसे सच माना जाए ? उत्तराखंड के इतिहास में अजय रावत जी के द्वारा उत्तराखंड की सभी पुस्तकों का विश्लेषण किया गया है। उनके द्वारा दिए गए निष्कर्ष के आधार पर यह कहा जा सकता है । उपयुक्त दिए गए सभी नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से सर्वोत्तम उचित है। चंद राजवंश का इतिहास चंद्रवंशी सोमचंद ने उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में लगभग 900 वर्षों तक शासन किया है । जिसमें 60 से अधिक राजाओं का वर्णन है । अब यदि आप सभी राजाओं का अध्ययन करते हैं तो मुमकिन नहीं है कि सभी को याद कर सकें । और अधिकांश राजा ऐसे हैं । जिनका केवल नाम पता...

भारत की जनगणना 2011 से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (भाग -01)

भारत की जनगणना 2011 मित्रों वर्तमान परीक्षाओं को पास करने के लिए रखने से बात नहीं बनेगी अब चाहे वह इतिहास भूगोल हो या हमारे भारत की जनगणना हो अगर हम रटते हैं तो बहुत सारे तथ्यों को रटना पड़ेगा जिनको याद रखना संभव नहीं है कोशिश कीजिए समझ लीजिए और एक दूसरे से रिलेट कीजिए। आज हम 2011 की जनगणना के सभी तथ्यों को समझाने की कोशिश करेंगे। यहां प्रत्येक बिन्दु का भौगोलिक कारण उल्लेख करना संभव नहीं है। इसलिए जब आप भारत की जनगणना के नोट्स तैयार करें तो भौगोलिक कारणों पर विचार अवश्य करें जैसे अगर किसी की जनसंख्या अधिक है तो क्यों है ?, अगर किसी की साक्षरता दर अधिक है तो क्यों है? अगर आप इस तरह करेंगे तो शत-प्रतिशत है कि आप लंबे समय तक इन चीजों को याद रख पाएंगे साथ ही उनसे संबंधित अन्य तथ्य को भी आपको याद रख सकेंगे ।  भारत की जनगणना (भाग -01) वर्ष 2011 में भारत की 15वीं जनगणना की गई थी। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर था तथा भारत की कुल आबादी 121,08,54,922 (121 करोड़) थी। जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 62.32 करोड़ एवं महिलाओं की 51.47 करोड़ थी। जनसंख्या की दृष...