महासागरों का अध्ययन देवभूमि उत्तराखंड द्वारा कक्षा 6 एनसीईआरटी भूगोल की पुस्तक से नोट्स तैयार किए जा रहे हैं। इस लेख में एनसीईआरटी पुस्तक और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का समावेशन किया गया है। इस लेख में विश्व में कितने महासागर हैं और उनके सीमांत सागरों के साथ प्रमुख जलसंधियों का उल्लेख किया गया है। अतः लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। साथ ही विश्व का मानचित्र साथ रखें। पृष्ठभूमि अक्सर फिल्मों में, गानों में, कविताओं में और जिंदगी के उन तमाम पन्नों में "सात समुद्र" का जिक्र सुना होगा। और तो और इस शब्द प्रयोग मुहावरों भी करते हैं। तो क्या आप जानते हैं "सात समुद्र" ही क्यों? और यदि बात सात समुद्र की जाती है तो वे कौन-से सात समुद्र हैं? यूं तो अंक सात का अपना एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व हैं । क्योंकि दुनिया में इंद्रधनुष के रग सात हैं, सप्ताह के दिन सात हैं, सप्तर्षि हैं, सात चक्र हैं, इस्लामी परंपराओं में सात स्वर्ग हैं, यहां तक कि दुनिया के प्रसिद्ध 7 अजूबे हैं। संख्या सात इतिहास की किताबों में और कहानियों में बार-बार आती है और इस वजह से...
अक्षांश रेखाएं व देशांतर रेखाएं
देवभूमि उत्तराखंड द्वारा कक्षा 6 की भूगोल की पुस्तक अध्याय 2 अक्षांश और देशांतर रेखा से संबंधित महत्वपूर्ण नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्नों को तैयार किया गया है। अतः अन्त तक पढ़ें।
ग्लोब क्या है?
- ग्लोब पृथ्वी का एक छोटा मॉडल है, जो हमारी पृथ्वी की सतह को समझने में मदद करता है।
- यह गोलाकार होता है और पृथ्वी के स्वरूप, अक्षांश और देशांतर को दिखाता है।
अक्षांश रेखाएँ (Latitudes):
- अक्षांश रेखाएँ पृथ्वी पर पूर्व से पश्चिम दिशा में खींची गई काल्पनिक रेखाएँ हैं।
- ये भूमध्य रेखा (Equator) के समानांतर होती हैं और पृथ्वी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में विभाजित करती हैं।
- भूमध्य रेखा को 0° अक्षांश माना जाता है और इसके उत्तर व दक्षिण में 90° तक कुल 181 अक्षांश रेखाएँ होती हैं।
विषुवत् वृत्त के उत्तर की सभी समानांतर रेखाओं को उत्तरी अक्षांश कहा जाता है तथा विषुवत् वृत्त के दक्षिण स्थित सभी समानांतर रेखाओं को दक्षिणी अक्षांश कहा जाता है।
विषुवत् वृत्त से दोनों तरफ ध्रुवों के बीच की दूरी पृथ्वी के चारों ओर के वृत्त का एक चौथाई है, अतः इसका माप होगा 360 अंश का 1/4, यानी 90 अंश। इस प्रकार 90 अंश उत्तरी अक्षांश उत्तर ध्रुव को दर्शाता है तथा 90 अंश दक्षिणी अक्षांश दक्षिण ध्रुव को।
प्रमुख अक्षांश रेखाएँ
- भूमध्य रेखा (0°)
- कर्क रेखा (23.5° उत्तर)
- मकर रेखा (23.5° दक्षिण)
- आर्कटिक सर्कल (66.5° उत्तर)
- अंटार्कटिक सर्कल (66.5° दक्षिण)
भूमध्य रेखा (Equator)
- भूमध्य रेखा को विषुवत रेखा भी कहा जाता है।
- यह 0° अक्षांश रेखा है और पृथ्वी को उत्तर गोलार्ध और दक्षिण गोलार्ध में बाँटती है।
- भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणें साल में दो बार सीधी पड़ती हैं। 21 मार्च को जिसे बसंत विषुव कहते हैं। और 23 सितंबर जिसे शरद विषुव कहते हैं।
- भूमध्य रेखा तीन महाद्वीपों से होकर गुजरती है:- दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, एशिया
- कांगो नदी भूमध्य रेखा को दो बार काटती है।
विषुव क्या होता है?
विषुव वह समय होता है जब दिन और रात की लंबाई बराबर होती है। इस दिन सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं।
कर्क रेखा (Tropic of Cancer)
- यह 23.5° उत्तरी अक्षांश पर स्थित है।
- यह उस स्थान को दर्शाती है जहाँ सूर्य सीधा कर्क रेखा पर होता है। 21 जून को जब सूर्य कर्क रेखा के ठीक ऊपर होता है, तो उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है। इसे ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं।
- कर्क रेखा भारत के कुल 8 राज्यों से होकर गुजरती है। ये राज्य हैं: गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम
- भारत में कर्क रेखा की लम्बाई 3214 किलोमीटर है।
- भारत में माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है माही नदी विंध्य पर्वत से निकलती है और खंभात की खाड़ी में गिरती है
मकर रेखा (Tropic of Capricorn)
- यह 23.5° दक्षिणी अक्षांश पर स्थित है।
- यह उस स्थान को दर्शाती है जहाँ सूर्य सीधा कर्क रेखा पर होता है। 22 दिसम्बर को जब सूर्य मकर रेखा के ठीक ऊपर होता है, तो दक्षिणी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है। इसे मकर संक्रांति कहते हैं।
- 22 दिसम्बर से सूर्य दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवेश करता है। जिसे उत्तरायणी कहा जाता है। किन्तु भारत में यह दिन 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है।
आर्कटिक सर्कल (Arctic Circle)
- यह 66.5° उत्तरी अक्षांश पर स्थित है।
- इसके उत्तर का क्षेत्र ध्रुवीय क्षेत्र (Polar Region) कहलाता है।
अंटार्कटिक सर्कल (Antarctic Circle)
- यह 66.5° दक्षिणी अक्षांश पर स्थित है।
- इसके दक्षिण का क्षेत्र भी ध्रुवीय क्षेत्र कहलाता है।
पृथ्वी के ताप कटिबंध
अक्षांश रेखाएँ पृथ्वी के स्थानों की जलवायु और तापमान को समझने में मदद करती हैं। ये पृथ्वी के अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों (उष्णकटिबंधीय, समशीतोष्ण, और ध्रुवीय) को परिभाषित करती हैं।
- कर्क रेखा एवं मकर रेखा के बीच के सभी अक्षांशों पर सूर्य वर्ष में एक बार दोपहर में सिर के ठीक ऊपर होता है। इसलिए इस क्षेत्र में सबसे अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है तथा इसे उष्ण कटिबंध कहा जाता है।
- कर्क रेखा तथा मकर रेखा के बाद किसी भी अक्षांश पर दोपहर का सूर्य कभी भी सिर के ऊपर नहीं होता है। ध्रुव की तरफ सूर्य की किरणें तिरछी होती जाती हैं। इस प्रकार, उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा एवं उत्तर ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा एवं दक्षिण ध्रुव वृत्त के बीच वाले क्षेत्र का तापमान मध्यम रहता है। इसलिए इन्हें, शीतोष्ण कटिबंध कहा जाता है।
- उत्तरी गोलार्ध में उत्तर ध्रुव वृत्त एवं उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिण ध्रुव वृत्त एवं दक्षिणी ध्रुव के बीच के क्षेत्र में ठंड बहुत होती है। क्योंकि यहाँ सूर्य क्षितिज से ज्यादा ऊपर नहीं आ पाता है। इसलिए ये शीत कटिबंध कहलाते हैं।
देशांतर रेखाएँ (Longitudes):
देशांतर रेखाएँ पृथ्वी के विभिन्न स्थानों और समय का निर्धारण करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनकी मदद से पृथ्वी के किसी भी बिंदु का सटीक स्थान और समय ज्ञात किया जा सकता है।
- देशांतर रेखाएँ पृथ्वी पर उत्तर ध्रुव से दक्षिण ध्रुव तक खींची गई काल्पनिक रेखाएँ हैं।
- ये रेखाएँ भूमध्य रेखा (Equator) को लंबवत काटती हैं।
- मुख्य देशांतर रेखा प्राइम मेरिडियन (Prime Meridian) है, जो ग्रीनविच (लंदन) से होकर गुजरती है और इसे 0° देशांतर माना जाता है।
- प्राइम मेरिडियन के पूर्व की रेखाएँ पूर्वी गोलार्ध और पश्चिम की रेखाएँ पश्चिमी गोलार्ध में होती हैं।
- भारत का मानक समय (IST) 82.5° पूर्व देशांतर के आधार पर निर्धारित किया गया है।
- 82.5° पूर्व देशांतर रेखा भारत के 5 राज्यों से गुजरती है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्रप्रदेश।
- 82.5° पूर्व देशांतर रेखा इलाहाबाद के निकट मिर्जापुर शहर से होकर गुजरती है।
देशांतर रेखाओं की विशेषताएँ
- पृथ्वी पर कुल 360 देशांतर रेखाएँ होती हैं।
- 180° पूर्व में और 180° पश्चिम में।
- सभी देशांतर रेखाएँ एक-दूसरे के समान लंबाई की होती हैं।
- ये रेखाएँ पृथ्वी को पूर्वी और पश्चिमी गोलार्ध में विभाजित करती हैं।
देशांतर रेखाऐं स्थान और समय निर्धारण
देशांतर रेखाऐं अक्षांश रेखाओं के साथ मिलकर पृथ्वी पर किसी स्थान का सटीक स्थान निर्धारण करती हैं।
समय को मापने का सबसे अच्छा साधन पृथ्वी, चंद्रमा एवं ग्रहों की गति है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त प्रतिदिन होता है। अतः स्वाभाविक ही है कि यह पूरे विश्व में समय निर्धारण का सबसे अच्छा साधन है। स्थानीय समय का अनुमान सूर्य के द्वारा बनने वाली परछाई से लगाया जा सकता है, जो दोपहर में सबसे छोटी एवं सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सबसे लंबी होती है।
ग्रीनविच पर स्थित प्रमुख याम्योत्तर पर सूर्य जिस समय आकाश के सबसे ऊँचे बिंदु पर होगा, उस समय याम्योत्तर पर स्थित सभी स्थानों पर दोपहर होगी।
चूँकि, पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर चक्कर लगाती है, अतः वे स्थान जो ग्रीनविच के पूर्व में हैं, उनका समय ग्रीनविच समय से आगे होगा तथा जो पश्चिम में हैं, उनका समय पीछे होगा।
समय की गणना:
- पृथ्वी 24 घंटे में एक पूरा चक्कर लगाती है और 360° घूमती है। इस प्रकार 1 घंटे में पृथ्वी 15° घूमती है।
- प्रत्येक 1° देशांतर पर 4 मिनट का समय अंतर होता है।
- इस आधार पर समय की गणना की जाती है और विभिन्न देशों के स्थानीय समय (Local Time) और मानक समय (Standard Time) तय किए जाते हैं।
समय क्षेत्र (Time Zones):
- देशांतर रेखाओं की सहायता से पृथ्वी को 24 समय क्षेत्रों (Time Zones) में बाँटा गया है।
- उदाहरण: भारत का मानक समय (IST) 82.5° पूर्व देशांतर के आधार पर निर्धारित किया गया है।
भारत का मानक समय ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) से 5 घंटे 30 मिनट आगे है। जिसे अब यूनिवर्सल कोऑर्डिनेट टाइम (UTC) कहा जाता है। यह इसलिए है क्योंकि भारत का मानक याम्योत्तर (82.5° पूर्व) ग्रीनविच मेरिडियन (0° देशांतर) से 82.5° पूर्व में स्थित है।
ग्लोब और मानचित्र में अंतर:
- ग्लोब पृथ्वी का त्रि-आयामी (3D) मॉडल है, जबकि मानचित्र एक समतल (2D) सतह पर बनाया जाता है।
- ग्लोब पर अक्षांश और देशांतर आसानी से देखे जा सकते हैं।
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