भारत रत्न : गोविंद बल्लभ पंत कल्पना कीजिए, 1887 की एक ठंडी सुबह। अल्मोड़ा के खूंट गांव में, जहां हिमालय की चोटियां बादलों से गपशप कर रही हैं, एक बच्चे का जन्म होता है—जिसके कंधों पर न सिर्फ उत्तराखंड का, बल्कि पूरे भारत का भविष्य चढ़ा होगा। कुछ लोग कहते हैं, जन्म तो पौड़ी में हुआ था, लेकिन सच्चाई जो भी हो, यह बच्चा गोविंद बल्लभ पंत था—एक ऐसा नाम, जो बाद में स्वतंत्रता की लपटों को हवा देगा। उनके पिता मनोरथ पंत, साधारण सिपाही थे, लेकिन किस्मत ने उनके बेटे को असाधारण बनाया। क्या आप जानते हैं, यह वही पंत जी थे, जिन्होंने गांधी जी को भी हैरान कर दिया था? चलिए, उनकी जिंदगी की इस यात्रा पर चलें—एक ऐसी कहानी जो आपको अंत तक बांधे रखेगी। गोविंद बल्लभ पंत : जीवन परिचय गोविंद बल्लभ पंत - यह नाम सुनते ही मन में स्वतंत्रता की लपटें, सामाजिक न्याय की जंग और लोकतंत्र की मजबूत नींव की याद आती है। वे न केवल उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे, बल्कि भारत के चौथे गृह मंत्री के रूप में देश की आंतरिक सुरक्षा और एकता को नई दिशा देने वाले दूरदर्शी नेता थे। 10 सितंबर 1887 को जन्मे पंत जी का जीवन एक ऐसी गाथा ...
भारतीय हस्तकला भारतीय शिल्पकार वो मूरत है खुदा की ! बेजान धातु में भी जान डाल दे, हम कद्र करें तो, कला की। भारत के शिल्पकारों के हाथों में जादू होता है जब भी किसी लकड़ी, मिट्टी, पीतल, तांबा या हाथी के दांत को उकेरते हैं तो एक अदभुत कलाकृति बना देते हैं । जिसकी चमक को विश्व में भी लोहा माना जाता हैै । आइए दोस्तों हम जाने अपने हस्तकलाओं की दुनिया और भारत में उसका योगदान कितना है । और भारतीय हस्तकला का भविष्य । जब भारत में आत्मनिर्भरता की बात आ ही गई है तो क्यों ना हस्तशिल्प कलाओं का उपयोग जान ले ताकि चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने में देश को सक्षम बना सकें और एक नए भारत का निर्माण करने में मदद कर सकें यदि आपके पास भी कोई हुनर है तो आप भी अपना भारत निर्माण में सहयोग दे सकते हैं हाथों से निर्मित भारतीय उत्पादों की विदेशी बाजारों में अत्यधिक मांग रहती और यह उत्पाद इतिहा...