श्यामलाताल : विवेकानंद आश्रम की मनमोहक शांति हिमालय की गोद में बसा विवेकानंद आश्रम, श्यामलाताल, उत्तराखंड के चम्पावत जिले का एक ऐसा रत्न है, जो प्रकृति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। समुद्र तल से लगभग 5,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह स्थल अपने आलौकिक सौंदर्य और शांति से हर किसी का मन मोह लेता है। यहाँ से टनकपुर-वनबसा और शारदा नदी घाटी के मनोरम दृश्यों के साथ-साथ नंदादेवी, पंचाचूली और नंदकोट जैसी बर्फीली चोटियों का लुभावना नजारा देखने को मिलता है, जो आत्मा को सुकून और आँखों को तृप्ति देता है। श्यामलाताल : एक झील का जादू आश्रम के ठीक निकट एक छोटी, परंतु अत्यंत आकर्षक झील है, जिसे श्यामलाताल के नाम से जाना जाता है। इस झील की लंबाई लगभग 500 मीटर और चौड़ाई 200 मीटर है। इसका गहरा श्याम वर्ण वाला जल इतना मनमोहक है कि स्वामी विवेकानंद ने स्वयं इसे 'श्यामलाताल' नाम दिया। झील के शांत जल में आसपास की हरी-भरी पहाड़ियों और नीले आकाश की छवि ऐसी दिखती है, मानो प्रकृति ने स्वयं एक कैनवास पर चित्र उकेरा हो। कैसे पहुँचें? विवेकानंद आश्रम, चम्पावत जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर ...
मेरे सपनों का भारत सकारात्मक सोच का नजरिया "भारत की खोज पुस्तक" सबने पड़ी होगी। उस पुस्तक के लेखक भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी हैं। उन्होंने आजादी के बाद मेरे सपनों का भारत की कल्पना की थी और अपनी इच्छा अनुसार रखने की कोशिश भी की थी , इसलिए तो और पाकिस्तान दो भागों में बंट गए । उस समय की परिस्थितियों के अनुसार उनको जैसा ठीक लगा । उन्होंने किए जिनके कुछ परिणाम काफी महत्वपूर्ण साबित हुए। वहीं कुछ कदमों के चलते जम्मू-कश्मीर हाथों से आधा निकल गया। लेकिन फिर भी सब कुछ ठीक रहा उसके बाद मिसाइल मैन के नाम से कुख्यात डॉ एपीजे अब्दुल कलाम । उन्होंने भी अपनी खुली आंखों से भारत को सजाया । अब्दुल कलाम जी 2002 से 2007 के बीच भारत के राष्ट्रपति रहे और उन्होंने 2020 तक एक सक्षम भारत होने की कल्पना की थी। यूं तो सभी आज़ादी के परवानोंं- क्या महात्मा गांधी, क्या वल्लभभई पटेल और क्या विवेकानंद जी सभी ने एक महान भारत की कल्पना की और अनेकों कदम उठाएं। भारत की विकास प्रक्रिया भारत को विदेशी शक्तियों ने इतना अधिक कमजोर कर दिया था। कि 70 साल लग गए भ...